नई दिल्ली। दिल्ली के कालकाजी इलाके में एक पशु अधिकार समूह के सदस्यों ने भैंस ले जा रहे तीन लोगों के साथ कथित तौर पर मारपीट की जिसके बाद दोनों पक्ष की तरफ से शिकायतें दर्ज कराई गईं। प्राथमिकी में कहा गया कि आरोपियों का ताल्लुक ‘पीपुल फॉर एनीमल्स’ (पीएफए) से है, लेकिन इस पशु अधिकार संगठन ने इस घटना से कोई संबंध होने से इंकार किया है।

घटना शनिवार देर रात दक्षिण दिल्ली के कालकाजी इलाके में घटी। पुलिस को पीएफए के कार्यकर्ता गौरव गुप्ता ने बताया था कि भैंसों को पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर बूचड़खाने ले जाया जा रहा है। पुलिस के अनुसार, सभी 14 भैंसों को बचा लिया गया और वह वाहन जब्त कर लिया गया, जिनसे उन्हें ले जाया जा रहा था।
हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पीएफए के कार्यकर्ताओं ने कालकाजी मंदिर के पास भैंसों को ले जाने वाला वाहन रोके जाने के बाद कथित तौर पर रिजवान, कामिल और आशु की पिटाई कर दी। इस दौरान तीन अन्य घटनास्थल से भागने में सफल रहे, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे कसाई थे।
हरियाणा में पटौदी के रहने वाले रिजवान व कामिल और उत्तर प्रदेश में मथुरा के निवासी आशु को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां से उन्हें बाद में छुट्टी दे दी गई। पुलिस उपायुक्त रोमिल बानिया ने कहा, “यह पशुओं को अवैध तरीके से ले जाने का मामला नहीं है, बल्कि उनके साथ क्रूरता का मामला है। इस मामले में दो एफआईआर दर्ज किए गए हैं। एक पशुओं के प्रति क्रूरता का और दूसरा पिटाई के लिए अज्ञात लोगों के खिलाफ।”
Courtesy: National Dastak

घटना शनिवार देर रात दक्षिण दिल्ली के कालकाजी इलाके में घटी। पुलिस को पीएफए के कार्यकर्ता गौरव गुप्ता ने बताया था कि भैंसों को पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर बूचड़खाने ले जाया जा रहा है। पुलिस के अनुसार, सभी 14 भैंसों को बचा लिया गया और वह वाहन जब्त कर लिया गया, जिनसे उन्हें ले जाया जा रहा था।
हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पीएफए के कार्यकर्ताओं ने कालकाजी मंदिर के पास भैंसों को ले जाने वाला वाहन रोके जाने के बाद कथित तौर पर रिजवान, कामिल और आशु की पिटाई कर दी। इस दौरान तीन अन्य घटनास्थल से भागने में सफल रहे, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे कसाई थे।
हरियाणा में पटौदी के रहने वाले रिजवान व कामिल और उत्तर प्रदेश में मथुरा के निवासी आशु को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां से उन्हें बाद में छुट्टी दे दी गई। पुलिस उपायुक्त रोमिल बानिया ने कहा, “यह पशुओं को अवैध तरीके से ले जाने का मामला नहीं है, बल्कि उनके साथ क्रूरता का मामला है। इस मामले में दो एफआईआर दर्ज किए गए हैं। एक पशुओं के प्रति क्रूरता का और दूसरा पिटाई के लिए अज्ञात लोगों के खिलाफ।”
Courtesy: National Dastak