देश के चुनिंदा गंभीर और तेज़-तर्रार टीवी ऐंकरों में शुमार किए जाने वाले करन थापर अब इंडिया टुडे चैनल के हिस्से नहीं रहे। करन थापर सोमवार से शुक्रवार तक शाम साढ़े सात बजे ‘टू द प्वाइंट; नाम से शो करते थे जिसमें देश की किसी ज्वलंत मुद्दे पर गंभीर चर्चा होती थी। वैसे उनका अनुबंध 31 मार्च तक ही था लेकिन उन्होंने अपना आख़िरी शो 14 अप्रैल को श्रीनगर में हुए बेहद कम मतदान पर किया था। अनुबंध के बावजूद उनका शो में बने रहना संकेत दे रहा था कि चैनल का उन्हें विदा करने का कोई इरादा नहीं है।
1955 में जन्मे करन थापर ने 1980 में ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी से’इंटरनेशनल रिलेशन’ में पी.एचडी करने के बाद पत्रकारिता शुरु की थी। अरसे तक वह विदेश में काम करते रहे। बाद में वे भारत लौटे और जल्दी ही शोहरत की बुलंदियों पर जा पहुँचे। सीएनएन आईबीएन पर अरसे तक उनका शो चला जिसका नाम था ‘डेविल्स एडवोकेट’। इस नाम के ही अनुरूप करन का अंदाज़ भी रहता था। विषय पर भरपूर तैयारी के साथ मैदान में उतरने वाले करन थापर दर्शकों को कभी निराश नहीं करते थे, चाहे उनके मेहमान जितने भी परेशान हों। वह भी बिना किसी चीख़ चिल्लाहट के।
करन थापर के इसी शो में नरेंद्र मोदी को पसीना आ गया था और वे माथा पोछते हुए उठ खड़े हुए थे। तब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे जब अक्टूबर 2007 में करन उनका इंटरव्यू लेने पहुँचे थे। 2002 के दंगे से जुड़े सवालों से असहज मोदी बीच में ही शो छोड़कर चले गए थे।
मुकेश अंबानी के टेकओवर करने के साथ ही करन थापर ने ‘सीएनएन आईबीएन’ के साथ अपनी पारी समाप्त कर दी थी। शायद उन्हें अंदाज़ा हो
गया था कि मुकेश अंबानी के चैनल में वे अपना तेवर बरक़रार नहीं रख पाएँगे। उसी समय उन्होंने हेडलाइन्स टुडे (बाद में बन गया इंडिया टुडे ) ज्वाइन किया और यहाँ ‘टू द प्वाइंट’ शुरू हुआ। माना गया कि इंडिया टुडे ग्रुप के मालिक अरुण पुरी को लोगों की बेहतर पहचान है और वे करन थापर को लाकर अपने चैनल को नई धार देना चाहते हैं।
लेकिन ढाई साल बाद आज यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या अरुण पुरी ने किसी ‘ऊपरी दबाव’ की वजह से करन थापर का अनुबंध आगे नहीं बढ़ाया। यह तो सच है कि बीजेपी के नेता आमतौर पर करन थापर के शो में नहीं आते थे। ऐसी चर्चा थी कि ऐसा करके वे मोदी जी के कोपभाजन नहीं बनना चाहते। वे मानते हैं कि मोदी 2007 का वह इंटरव्यू भूले नहीं हैं जिसमें थापर ने उन्हें पानी पिला दिया था।
हालाँकि इंडिया टुडे में ‘टू द प्वाइंट’ शो जारी है। सोमवार 16 अप्रैल को शशि अरूर और मंगलवार
17 अप्रैल को प्रीति चौधरी ने यह शो पेश किया।
करन थापर की विदाई के बाद सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि क्या राजदीप सरदेसाई की इंडिया टुडे से विदाई निकट है। सरदेसाई का कान्ट्रैक्ट भी सितंबर तक ही है। राजदीप उन गिने चुने टीवी पत्रकारों में हैं जो मोदी जी के ढाई साल के शासन के बाद भी ‘सुधरे’ नहीं हैं। यानी सवाल करने की आदत गई नहीं है। गुजरात दंगों की रिपोर्टिंग के समय से ही सरदेसाई बीजेपी की आँखों में चढ़े हुए हैं। सोशल मीडिया में मोदी भक्तों का खेमा उनके ख़िलाफ़ लगातार अभियान चलाता है।
जो भी हो दो चीजे़ं बेहद साफ़ हैं। पहली यह है कि यह पत्रकारिता का ‘चारण युग’ है, ख़ासकर टीवी चैनल जिस तरह ‘मोदीवंदना’ में जुटे हुए हैं, वह अभूतपूर्व है। दूसरी यह है कि मोदी जी पर सवाल उठाने वाले पत्रकारों के लिए कथित मुख्यधारा की पत्रकारिता में कोई जगह नहीं है।
आइये करन थापर के उस शो की झलकी देखिए जिसमें मोदी जी पानी माँग उठे थे–
Courtesy: Media Vigil