न जीने में एक, न मरने के बाद एक, दलितों के अलग श्मशान

Published on: March 22, 2017
नई दिल्ली। गुजरात विधाननसभा की अनुसूचित जाति कल्याण कमिटी ने दलितों के लिए अलग श्मशान बनाए जाने की मांग की है। ये श्मशान उन गांवों में बनाए जाएं जहां पर दलितों को आज भी श्मशान का इस्तेमाल करने पर विरोध का सामना करना पड़ता है। 

Gujarat Dalits

 
असेंबली पैनल गुजरात सरकार द्वारा दलितों के लिए चलाए जा रहे कामों पर निगरानी रखता है। असेंबली पैनल ने मांग की है कि गुजरात में स्ववित्तपोषित शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण लागू किया जाए। 
 
विधानसभा पैनल ने कहा कि दलित उन गांवों में अपने परिजनों के अंतिम संस्कार करने की समस्या का सामना कर रहे हैं जहां पर दलितों के लिए अलग से श्मशान नहीं बनाए गए हैं। 
 
वहीं विधानसभा पैनल ने मांग की कि राज्य सरकार को केंद्र सरकार द्वारा दिए जा रहे श्मशान निर्माण अनुदान से सरकार उन गांवों में दलितों के लिए श्मशान निर्माण कराए जहां दलितों को श्मशान का इस्तेमाल करने पर लोग परहेज करते हैं। 
 
राज्य शिक्षा विभाग से समिति ने यह जानने की मांग की कि क्या सरकार ने मंजूर कॉलेजों के लिए आरक्षण के मामले में निजी महाविद्यालयों में भर्ती के लिए आरक्षण प्रणाली लागू की है। वहीं इस मामले पर राज्य शिक्षा विभाग ने दलील दी है कि संविधान में प्राइवेट सेक्टर के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है यही कारण है कि निजी संस्थानों को कोई अनुदान राशि नहीं दी जाती है।

Courtesy: National Dastak

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