भारतीय मछुआरों ने ऑस्ट्रेलिया सरकार को उद्योगपति गौतम अडानी की परियोजनाओं के नुकसानदेह असर के बारे में चेतावनी दी है। इस बीच क्वींसलैंड की प्रधानमंत्री एनस्टिसिया पलास्जक को फैसला करना है कि वह अडानी के चार्मीकोल कोयला खदानों को मंजूरी दे या नहीं।

ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन यानी एबीसी न्यूज के मुताबिक कुछ भारतीय मछुआरों ने कहा है कि भारत में अडानी की परियोजना ने न सिर्फ उन्हें विस्थापित किया है बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाया है।
एबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक अडानी की परियोजना से निकली कोयले की राख (फ्लाई एश) और गंदे पानी से भारतीय मछुआरा समुदाय को नुकसान पहुंचाया है। अपनी परियोजना को स्थापित करने के क्रम में अडानी की कंपनी ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के कई कदम उठाए हैं। एबीसी ने अडानी से पूछा कि उन्होंने अपनी बिजली परियोजना से निकलने वाली राख की समस्या खत्म करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। लेकिन अडानी की कंपनी से एबीसी को कोई जवाब नहीं मिला।
इस बीच सुश्री पलास्जक और आठ क्षेत्रीय मेयर अडानी इंटरप्राइजेज के चेयरमैन गौतम अडानी के साथ बैठक की तैयारी कर रहे हैं। अभी अडानी की कंपनी ने यह तय नहीं किया है कि ऑस्ट्रेलिया में क्वीसलैंड स्थिति चर्मीकोल कोयला खदानों पर आगे बढ़ा जाए या नहीं।
गुजरात के मछुआरा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नूर मोहम्मद ने कहा कि क्वींसलैंड के लोगों को यह दिखाया जाएगा कि गुजरात में अडानी पोर्ट और पावर स्टेशन ने क्या किया है। अडानी की कंपनी का पर्यावरण रिकार्ड बेहद खराब रहा है और ऑस्ट्रेलिया को इस बारे में सावधान हो जाना चाहिए। गुजरात के तटीय इलाके में रहने वाले मछुआरे नूर मोहम्मद ने कहा कि कभी उनका घर मुंदड़ा में हुआ करता था, जहां अडानी के पोर्ट और पावर स्टेशन खड़े हैं।
नूर मोहम्मद का कहना है कि अडानी का प्रोजेक्ट शुरू होते ही उन्हें पत्नी, दो बच्चों और उनके परिवारों के साथ विस्थापित होना पड़ा। सभी लोगों को एक शिविर में शरण लेनी पड़ी। लेकिन उन्होंने और बुड्ढा इस्माइल जैसे दूसरे मछुआरों ने कहा कि मैंग्रोव को पहुंचे नुकसान और बिजली परियोजना से निकली कोयले की राख से मछली मारने के उनके धंधे को काफी नुकसान पहुंचा है।
नूर मोहम्मद कहते हैं- अडानी प्रोजेक्ट से हमें काफी नुकसान हो रहा है। इसके कोयले की राख और यूनिट से निकलने वाले खतरनाक रसायन मिले अपशिष्ट हमें काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस परियोजना की वजह से वह पहले की तुलना में एक चौथाई मछली ही पकड़ पाते हैं। समुद्र तट से सटे इलाके में मछलियां खत्म हो गई हैं। सभी जीवित प्राणी मर चुके हैं।
परियोजना निर्माण के दौरान मैंग्रोव के नुकसान और पर्यावरण के नियमों के उल्लंघन के लिए उनकी खासी आलोचना की गई है। बिजली संयंत्र से निकलने वाली कोयले की राख और जल मार्ग में किए गए बदलाव की वजह से मछली पकड़ने का धंधा मंदा पड़ गया है।
गुजरात तट पर हजीरा में अडानी की एक और परियोजना के खिलाफ कोर्ट ने कंपनी को 50 लाख डॉलर का हर्जाना देने का आदेश दिया। कोर्ट ने यहां निर्माण कार्य हटाने के लिए कहा है। इसकी वजह से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है और मछुआरों के 80 परिवारों को रोजगार छिना है। साथ ही समुद्र पहुंचने का उनका मार्ग भी बाधित हुआ है।
मोहम्मद और इस्माइल ने कहा कि अडानी की परियोजनाओं के साथ उनका अनुभव जिस तरह खराब रहा है उससे ऑस्ट्रेलिया को भी कंपनी से सावधान हो जाना चाहिए। हम तो चाहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया अडानी की कंपनी को निकाल बाहर करे। इस्माइल का कहना है कि वह ऑस्ट्रेलिया सरकार को सलाह देना चाहेंगे कि अडानी को वहां परियोजना न लगाने दे। 2013 की एक अहम पर्यावरण रिपोर्ट में अडानी की परियोजना से निकलने वाली कोयले की राख का जिक्र किया गया है। एबीसी ने इस पर अडानी से पूछा है कि उनकी कंपनी ने इस समस्या से निपटने के लिए क्या किया। लेकिन अडानी की कंपनी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।
अगर क्वींसलैंड की चार्मिकोल कोयला परियोजना पर अडानी की कंपनी को काम करने की इजाजत मिल गई तो मुंदड़ा में वहां से कोयला मंगाया जाएगा। अडानी का कहना है कि क्वींसलैंड से मंगाए जाने वाले कोयले से उसे अपनी बिजली उत्पादन क्षमता को विस्तार देने में मदद मिलेगी। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा और उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली। सस्ती बिजली से भारत की सौ करोड़ लोग महरूम हैं। हालांकि परियोजना की आलोचना करने वाले नूर मोहम्मद और इस्माइल ने कहा कि अडानी के बारे में उनकी राय तभी बदलेगी जब उनके बेटों को उनकी कंपनियों में रोजगार मिलेगा।

ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन यानी एबीसी न्यूज के मुताबिक कुछ भारतीय मछुआरों ने कहा है कि भारत में अडानी की परियोजना ने न सिर्फ उन्हें विस्थापित किया है बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाया है।
एबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक अडानी की परियोजना से निकली कोयले की राख (फ्लाई एश) और गंदे पानी से भारतीय मछुआरा समुदाय को नुकसान पहुंचाया है। अपनी परियोजना को स्थापित करने के क्रम में अडानी की कंपनी ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के कई कदम उठाए हैं। एबीसी ने अडानी से पूछा कि उन्होंने अपनी बिजली परियोजना से निकलने वाली राख की समस्या खत्म करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। लेकिन अडानी की कंपनी से एबीसी को कोई जवाब नहीं मिला।
इस बीच सुश्री पलास्जक और आठ क्षेत्रीय मेयर अडानी इंटरप्राइजेज के चेयरमैन गौतम अडानी के साथ बैठक की तैयारी कर रहे हैं। अभी अडानी की कंपनी ने यह तय नहीं किया है कि ऑस्ट्रेलिया में क्वीसलैंड स्थिति चर्मीकोल कोयला खदानों पर आगे बढ़ा जाए या नहीं।
गुजरात के मछुआरा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नूर मोहम्मद ने कहा कि क्वींसलैंड के लोगों को यह दिखाया जाएगा कि गुजरात में अडानी पोर्ट और पावर स्टेशन ने क्या किया है। अडानी की कंपनी का पर्यावरण रिकार्ड बेहद खराब रहा है और ऑस्ट्रेलिया को इस बारे में सावधान हो जाना चाहिए। गुजरात के तटीय इलाके में रहने वाले मछुआरे नूर मोहम्मद ने कहा कि कभी उनका घर मुंदड़ा में हुआ करता था, जहां अडानी के पोर्ट और पावर स्टेशन खड़े हैं।
नूर मोहम्मद का कहना है कि अडानी का प्रोजेक्ट शुरू होते ही उन्हें पत्नी, दो बच्चों और उनके परिवारों के साथ विस्थापित होना पड़ा। सभी लोगों को एक शिविर में शरण लेनी पड़ी। लेकिन उन्होंने और बुड्ढा इस्माइल जैसे दूसरे मछुआरों ने कहा कि मैंग्रोव को पहुंचे नुकसान और बिजली परियोजना से निकली कोयले की राख से मछली मारने के उनके धंधे को काफी नुकसान पहुंचा है।
नूर मोहम्मद कहते हैं- अडानी प्रोजेक्ट से हमें काफी नुकसान हो रहा है। इसके कोयले की राख और यूनिट से निकलने वाले खतरनाक रसायन मिले अपशिष्ट हमें काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस परियोजना की वजह से वह पहले की तुलना में एक चौथाई मछली ही पकड़ पाते हैं। समुद्र तट से सटे इलाके में मछलियां खत्म हो गई हैं। सभी जीवित प्राणी मर चुके हैं।
परियोजना निर्माण के दौरान मैंग्रोव के नुकसान और पर्यावरण के नियमों के उल्लंघन के लिए उनकी खासी आलोचना की गई है। बिजली संयंत्र से निकलने वाली कोयले की राख और जल मार्ग में किए गए बदलाव की वजह से मछली पकड़ने का धंधा मंदा पड़ गया है।
गुजरात तट पर हजीरा में अडानी की एक और परियोजना के खिलाफ कोर्ट ने कंपनी को 50 लाख डॉलर का हर्जाना देने का आदेश दिया। कोर्ट ने यहां निर्माण कार्य हटाने के लिए कहा है। इसकी वजह से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है और मछुआरों के 80 परिवारों को रोजगार छिना है। साथ ही समुद्र पहुंचने का उनका मार्ग भी बाधित हुआ है।
मोहम्मद और इस्माइल ने कहा कि अडानी की परियोजनाओं के साथ उनका अनुभव जिस तरह खराब रहा है उससे ऑस्ट्रेलिया को भी कंपनी से सावधान हो जाना चाहिए। हम तो चाहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया अडानी की कंपनी को निकाल बाहर करे। इस्माइल का कहना है कि वह ऑस्ट्रेलिया सरकार को सलाह देना चाहेंगे कि अडानी को वहां परियोजना न लगाने दे। 2013 की एक अहम पर्यावरण रिपोर्ट में अडानी की परियोजना से निकलने वाली कोयले की राख का जिक्र किया गया है। एबीसी ने इस पर अडानी से पूछा है कि उनकी कंपनी ने इस समस्या से निपटने के लिए क्या किया। लेकिन अडानी की कंपनी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।
अगर क्वींसलैंड की चार्मिकोल कोयला परियोजना पर अडानी की कंपनी को काम करने की इजाजत मिल गई तो मुंदड़ा में वहां से कोयला मंगाया जाएगा। अडानी का कहना है कि क्वींसलैंड से मंगाए जाने वाले कोयले से उसे अपनी बिजली उत्पादन क्षमता को विस्तार देने में मदद मिलेगी। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा और उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली। सस्ती बिजली से भारत की सौ करोड़ लोग महरूम हैं। हालांकि परियोजना की आलोचना करने वाले नूर मोहम्मद और इस्माइल ने कहा कि अडानी के बारे में उनकी राय तभी बदलेगी जब उनके बेटों को उनकी कंपनियों में रोजगार मिलेगा।