पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने मंगलवार को वित्तीय सेवा कंपनी डीएचएफएल द्वारा 31,000 करोड़ रुपये के कर्ज के हेरफेर मामले में जांच की मांग की। डीएचएफएल ने यह राशि सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा से जुटायी थी।
कोबरा पोस्ट के स्टिंग के अनुसार दीवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) ने बैंकों से कुल 97,000 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाया। बाद में कई फर्जी कंपनियों के माध्यम से उसने इसमें से 31,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।
सिन्हा ने कहा कि इसमें राजनीतिक चंदा देने समेत अन्य बातें बातें सामने आयी हैं जिनके सभी पहुलुओं पर यदि सरकार तत्काल जांच कराने में विफल रहती है तो यह सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करेगा। इसलिए उन्होंने अदालत की निगरानी में एक विशेष जांच दल से इसकी जांच कराए जाने की मांग की है।
हालांकि डीएचएफएल की ओर से भी इस खुलासे पर सफाई सामने आयी है. डीएलएफएल ने एक बयान में बताया कि वह एक सूचीबद्ध कंपनी है। यह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, राष्ट्रीय आवास बैंक और अन्य नियामकों की निगरानी में काम करती है।
बयान में कहा गया है कि कोबरापोस्ट द्वारा की गई यह कार्रवाई कंपनी की छवि को नुकसान पहुंचाने की दुर्भावना से प्रेरित है जिससे कंपनी के शेयरों की कीमत प्रभावित होती है। सिन्हा ने कहा कि इस घटना का खुलासा होने से सरकार के लाखों फर्जी कंपनियों को खत्म करने के दावे पर भी सवाल खड़े होते हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार के सभी नियामक और एजेंसियां इन खोटे सौदों को पकड़ने में नाकाम रही हैं। यह आरोप लगने के बाद से डीएचएफएल के शेयर में गिरावट जारी है। बीएसई पर कंपनी का शेयर मंगलवार को 8.01 प्रतिशत गिरकर 170.05 रुपये पर बंद हुआ। वहीं एनएसई पर यह 8.22 प्रतिशत घटकर 169.70 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ। पिछले दो दिन में कंपनी का शेयर 18.71 प्रतिशत घटा है।
कोबरा पोस्ट के स्टिंग के अनुसार दीवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) ने बैंकों से कुल 97,000 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाया। बाद में कई फर्जी कंपनियों के माध्यम से उसने इसमें से 31,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।
सिन्हा ने कहा कि इसमें राजनीतिक चंदा देने समेत अन्य बातें बातें सामने आयी हैं जिनके सभी पहुलुओं पर यदि सरकार तत्काल जांच कराने में विफल रहती है तो यह सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करेगा। इसलिए उन्होंने अदालत की निगरानी में एक विशेष जांच दल से इसकी जांच कराए जाने की मांग की है।
हालांकि डीएचएफएल की ओर से भी इस खुलासे पर सफाई सामने आयी है. डीएलएफएल ने एक बयान में बताया कि वह एक सूचीबद्ध कंपनी है। यह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, राष्ट्रीय आवास बैंक और अन्य नियामकों की निगरानी में काम करती है।
बयान में कहा गया है कि कोबरापोस्ट द्वारा की गई यह कार्रवाई कंपनी की छवि को नुकसान पहुंचाने की दुर्भावना से प्रेरित है जिससे कंपनी के शेयरों की कीमत प्रभावित होती है। सिन्हा ने कहा कि इस घटना का खुलासा होने से सरकार के लाखों फर्जी कंपनियों को खत्म करने के दावे पर भी सवाल खड़े होते हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार के सभी नियामक और एजेंसियां इन खोटे सौदों को पकड़ने में नाकाम रही हैं। यह आरोप लगने के बाद से डीएचएफएल के शेयर में गिरावट जारी है। बीएसई पर कंपनी का शेयर मंगलवार को 8.01 प्रतिशत गिरकर 170.05 रुपये पर बंद हुआ। वहीं एनएसई पर यह 8.22 प्रतिशत घटकर 169.70 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ। पिछले दो दिन में कंपनी का शेयर 18.71 प्रतिशत घटा है।