नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को ऐलान किया कि उसने एहतियात के तौर पर हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन का कोरोना वायरस के इलाज के लिए क्लनिकल ट्रायल अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वह यह फैसला उस रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है जिसमें दावा किया गया है कि कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए हाइड्रऑक्सी क्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से कोरोना के मरीजों की मौत की संभावना बढ़ जाती है।
कुछ दिन पहले ही दुनियाभर के रिसर्च प्रकाशित करने वाली मशहूर पत्रिका द लैंसेट ने कहा था कि क्लोरोक्वीन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन से फायदा मिलने का कोई सबूत नहीं मिला है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधानोम ने कहा है कि एग्जिक्यूटिव ग्रुप ने फिलहाल सॉलिडैरिटी ट्रायल के अंतर्गत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर अस्थायी रोक लगा दी है। पहले डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड सेफ्टी डेटा की समीक्षा करेगा। ट्रायल के बाकी हिस्से जारी रहेंगे।
सॉलिडैरिटी एक इंटरनैशनल क्लिनिकल ट्रायल है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की पार्टनरशिप के साथ लॉन्च किया गया है। सॉलिडैरिटी ट्रायल में इलाज के चार विकल्पों की तुलना की जाएगा जिससे उनके COVID-19 पर होने वाले असर का आकलन किया जा सके।
रिसर्च प्रकाशित करने वाली पत्रिका द लैंसेट ने दावा किया था कि मर्कोलाइड के बिना या उसके साथ भी क्लोरोक्वीन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से कोविड-19 मरीजों की मृत्युदर बढ़ जाती है।
पत्रिका ने कहा कि ताजा रिसर्च करीब 15 हजार कोविड-19 मरीजों पर किया गया है। इससे पहले अमेरिका सरकार के विशेषज्ञों ने भी कहा था कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस के संक्रमण से होने वाली बीमारी कोविड-19 के इलाज में कारगर नहीं है।
कुछ दिन पहले ही दुनियाभर के रिसर्च प्रकाशित करने वाली मशहूर पत्रिका द लैंसेट ने कहा था कि क्लोरोक्वीन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन से फायदा मिलने का कोई सबूत नहीं मिला है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधानोम ने कहा है कि एग्जिक्यूटिव ग्रुप ने फिलहाल सॉलिडैरिटी ट्रायल के अंतर्गत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर अस्थायी रोक लगा दी है। पहले डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड सेफ्टी डेटा की समीक्षा करेगा। ट्रायल के बाकी हिस्से जारी रहेंगे।
सॉलिडैरिटी एक इंटरनैशनल क्लिनिकल ट्रायल है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की पार्टनरशिप के साथ लॉन्च किया गया है। सॉलिडैरिटी ट्रायल में इलाज के चार विकल्पों की तुलना की जाएगा जिससे उनके COVID-19 पर होने वाले असर का आकलन किया जा सके।
रिसर्च प्रकाशित करने वाली पत्रिका द लैंसेट ने दावा किया था कि मर्कोलाइड के बिना या उसके साथ भी क्लोरोक्वीन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से कोविड-19 मरीजों की मृत्युदर बढ़ जाती है।
पत्रिका ने कहा कि ताजा रिसर्च करीब 15 हजार कोविड-19 मरीजों पर किया गया है। इससे पहले अमेरिका सरकार के विशेषज्ञों ने भी कहा था कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस के संक्रमण से होने वाली बीमारी कोविड-19 के इलाज में कारगर नहीं है।