कोरोना का खौफ बनाए रखना चाहता है विश्व स्वास्थ्य संगठन और मीडिया का गठजोड़ !

Written by Girish Malviya | Published on: August 14, 2020
विश्व स्वास्थ्य संगठन ओर मीडिया का गठजोड़ किस कदर कोरोना का ख़ौफ़ बनाए रखना चाहता है इसका एक ओर उदाहरण देता हूँ। आपको याद होगा मार्च के मध्य में किस तरह से हमे न्यूज़ चैनलों ने कोरोना की आमद से भयभीत कर रखा था, सबसे ज्यादा जिस देश की खबरें दिखाई जा रही थी वह था इटली! चीन के बारे में इतनी खबर नही चलाई गई लेकिन इटली में इतने हजार मरे, रोज दसियों हजार केस निकल रहे है,वहाँ के प्रधानमंत्री रो रहे हैं...लाशों के ढेर लगे हुए है लगातार ऐसी खबरें हमारे न्यूज़ चैनल दिखा रहे थे। अप्रैल तक यह सिलसिला चलता रहा।



भारत मे भी कुल 500 केस नही थे लेकिन लॉकडाउन लगा दिया गया, इटली के बारे में तो ऐसी छवि बना दी गई कि वहाँ की तो आधी आबादी खत्म होने वाली है, पर धीरे धीरे इटली में कोरोना कंट्रोल में आया और वहाँ के डॉक्टरों ने वायरस पर रिसर्च की, एक जून को इटली से खबर आई कि इटली के टॉप डॉक्टर्स ने दावा किया है कि कोरोना वायरस धीरे-धीरे अपनी क्षमता खो रहा है और अब उतना जानलेवा नहीं रह गया है। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना वायरस अब कमजोर पड़ रहा है।

लोम्बार्डी के सैन राफेल अस्पताल के प्रमुख अल्बर्टो जांग्रिलो ने कहा कि 'वास्तव में, वायरस क्लीनिकली रूप से अब इटली में मौजूद नहीं है. पिछले 10 दिनों में लिए गए स्वैब सैंपल से पता चलता है कि एक या दो महीने पहले की तुलना में अब इनमें वायरल लोड की मात्रा बहुत कम है' जेनोआ के सैन मार्टिनो अस्पताल में संक्रामक रोग प्रमुख डॉक्टर मैट्टेओ बासेट्टी ने कहा, कोरोना वायरस अब कमजोर हो रहा है. इस वायरस में अब वैसी क्षमता नहीं रह गई है जैसी दो महीने पहले थी। 

लेकिन उनका यह बयान देना था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन इटली के डॉक्टरों पर पिल पड़ा। दुनिया के कई वैज्ञानिकों और विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने डॉक्‍टर जंग्रिलो की जमकर आलोचना की, विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन समेत दूसरे वैज्ञानिकों ने कहा कि इटली के डॉक्‍टर की तरफ से दिए गए बयान के कोई सुबूत या पुख्‍ता प्रमाण अब तक सामने नहीं आए हैं। एपिडेमोलॉजिस्‍ट मारिया वेन केरखॉव समेत दूसरे एक्‍सपर्ट ने कहा कि उनके दावे का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, न ही ये सामने आया है कि इस वायरस की पकड़ कम हो रही है। 

लेकिन सच वही था जो इटली के डॉक्टर कह कह रहे थे मार्च अप्रैल की तुलना में मई में कोरोना के मरीज बहुत कम रह गए थे.......वैसे अब तो जून ओर जुलाई ओर अगस्त के लगभग आधे महीने के आंकड़े आ गए है जो स्थिति इटली के डॉक्टर बता रहे थे ठीक वही स्थिति हमे देखने को मिल रही है, आप worldometer जैसी साइट पर जाए और खुद चेक कर ले कि मई-जून-जुलाई ओर अगस्त में अब तक कोरोना वायरस इटली में कैसा व्यवहार कर रहा है, आज की तारीख में इटली में मात्र 14 हजार एक्टिंव केसेस है, पिछले तीन महीने से मौतों की संख्या बहुत कम हो गयी है।

लेकिन क्या आपने इन चार महीनों में मीडिया में इटली के कोरोना को कंट्रोल कर लेने की खबर सुनी ? कोई रिपोर्ट देखी। मैंने तो कोई खबर ओर रिपोर्ट न देखी न सुनी! क्या मीडिया का फर्ज नही था कि इन ढाई महीनो में इटली की स्थिति के बारे में आपको अपडेट करता ? या उसे सिर्फ डराने का ही ठेका दिया है ?

इसलिए मैं बार बार मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाता हूँ आखिर इन सक्सेस स्टोरी को मीडिया सेंसर क्यो कर देता है ? क्यो हमे सिर्फ अमेरिका ब्राजील ओर भारत की बात बताई जाती है इन तीन देशों और कुछ अन्य दक्षिण अमेरिकी देशो को छोड़कर पूरी दुनिया मे कोरोना का प्रसार पहले की तुलना में बहुत मंद हो चला है आप स्वंय चेक कीजिए, न्यूज़ साइट के भरोसे मत रहिए।

हम जानते है कि भारत मे मीडिया को कौन कंट्रोल कर रहा है तो क्या ऐसा नही हो सकता क्या कि विश्व स्तर पर भी कोई मीडिया को ऐसे ही कंट्रोल कर के रखे हुए हैं ? सोचिएगा जरूर।

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