मोदी से संवाद करने वाले चौकीदारों के पीछे की सच्चाई क्या है?

Written by Girish Malviya | Published on: March 22, 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑडियो ब्रिज के जरिए तथाकथित रूप से देश के 25 लाख चौकीदारों को संबोधित किया. वैसे कार्यक्रम रेडियो से प्रसारित किया गया लेकिन उसे टीवी पर भी बताया गया. उसमें जो सिक्योरिटी गार्ड रूपी चौकीदार खड़े दिख रहे थे वह एसआईएस कंपनी के थे.



एसआईएस के संस्थापक आर के सिन्हा हैं, जो भाजपा के सबसे अमीर राज्य सभा सांसद हैं. सिन्हा जी बिहार से ताल्लुक रखते हैं और हिंदुस्थान समाचार करके एक न्यूज़ एजेंसी चलाते हैं. इसका किस्सा भी दिलचस्प है. बहुत से पत्रकार मित्र इस बारे में वाकिफ होंगे.

बहरहाल प्रोग्राम इस बारे में था कि चौकीदार को चोर बताया जा रहा है. खैर अभी सिन्हा साहब की बात करते हैं. सिन्हा साहब का नाम मशहूर पैराडाइज पेपर्स के खुलासे में सामने आया था. माल्टा रजिस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक, रविन्द्र सिन्हा की एक कंपनी एसआईएस एशिया पैसिफिक होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड का माल्टा में 2008 में रजिस्ट्रेशन हुआ. यह कंपनी सिन्हा की भारत स्थित कंपनी की सब्सिडियरी कंपनी है. इस विदेशी कंपनी में सिन्हा माइनॉरिटी शेयर होल्डर हैं वहीं उनकी पत्नी इस कंपनी की डायरेक्टर हैं. 

आंकड़ों के मुताबिक, सिन्हा की दूसरी कंपनी एसआईएस इंटरनैशनल होल्डिंग टैक्स हैवन ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में स्थित है और उनकी पहली विदेशी कंपनी के पास इस कंपनी के 3,999,999 शेयर्स मौजूद हैं. जबकि रविन्द्र सिन्हा के पास इस कंपनी का महज एक शेयर है.

यह खबर सामने आते ही सिन्हा साहब ने मौन धारण कर लिया था. वैसे अब इस एसआईएस कम्पनी की कमान उनके लड़के ऋतुराज सिन्हा सम्भाल रहे हैं. ऋतुराज बताते हैं कि कंपनी तीन वर्टिकल्स में काम करती है इसमें पहला है सिक्योरिटी, दूसरा कैश लॉजिस्टिक्स और तीसरा है फेसिलिटी मैनेजमेंट एसआईएस के जरिए देश के अलग अलग हिस्सों में लगभग 2 लाख सिक्योरिटी गार्ड काम कर रहे हैं.

वैसे ऋतुराज जी भी कम नहीं हैं. बिहार की पटना साहिब सीट से लोकसभा का बीजेपी टिकट हासिल करने पूरा जोर लगाए हुए हैं.

बिहार के RJD के प्रदेश महासचिव राजेन्द्र पासवान कहते हैं कि बिहार में धोबी चेक-पोस्ट गया, कर्मनाशा चेकपोस्ट कैमूर, रजौली चेक-पोस्ट नवादा, डलकोला चेक-पोस्ट पूर्णिया, जलालपुर चेक-पोस्ट गोपालगंज, इन सभी चेक-पोस्ट पर बिना टेंडर बहाल किये वाणिज्य कर विभाग व परिवहन विभाग ने 100 गार्ड तैनात किए गए हैं. इसमें काम करने वाले गार्ड एसआईएस के 500 गार्डों को अलग-अलग बिना कोई टेंडर के बहाल किया गया है, लेकिन फिर भी यह छोटा मोटा ठेका है. केंद्रीय संस्थानों की सुरक्षा के बड़े ठेके अपनी पुहंच के कारण आसानी से इस कम्पनी को हासिल हो जाते हैं.

मोदी सरकार बात चौकीदारों की करती है लेकिन उन्हें अभी तक वह कुशल श्रमिकों का दर्जा देने को तैयार नही है. इन सिक्योरिटी गार्ड का ये बड़ी एजेंसिया खूब शोषण करती हैं.

भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग के देशभर में 3686 स्मारक, किले, सरंक्षित स्थल हैं. हर बार इन स्मारको की सुरक्षा के लिए सिक्योरिटी गार्ड तैनात करने का ठेका एसआईएस ही उठाती है. एक स्मारक पर 15 सुरक्षा गार्ड का औसत भी मान लीजिए तो समझिए यह कितना बड़ा ठेका होता है.

अब सबसे बड़ी बात यह है कि इन सुरक्षा गार्ड की तनख्वाह बहुत मामूली है. इन्हें 12 हजार से 15 हजार तक वेतन दिया जाता है लेकिन साल में एक बार इन्हें एसआईएस से जुड़ी हुई संस्था में 15 से 20 हजार रुपये डालने को कहा जाता है और नहीं देने पर उसे निकालने की धमकी दी जाती है.

मध्यप्रदेश में धार के मांडव हो या धार की भोजशाला या बाग की गुफा हो, ग्वालियर के किले के बारे में तो इस बारे में पत्रिका में खबर भी छपी थी कि किले पर तैनात गार्डों से 20 हजार रुपए जमा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है, जबकि गार्डों द्वारा पिछले साल 20 हजार रुपए जमा किए गए थे. एक साल बीत जाने के बाद कंपनी के अधिकारियों द्वारा सभी गार्डों से फिर 20 हजार रुपए जमा कराने को कहा जा रहा है.

यह है असली चौकीदारों की समस्या जिसे आपके ही लोग मिलकर लूट रहे हैं.

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