BJP नेता हैं JNU वाले नेत्रहीन शशि भूषण के पिता, बेटे की पिटाई पर फेसबुक पर बयां किया दर्द

Written by sabrang india | Published on: November 21, 2019
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के नेत्रहीन छात्र शशि भूषण पांडेय पर विरोध मार्च के दौरान संसद भवन की तरफ जाते समय सोमवार को लाठीचार्ज किया गया था। जिसके बाद मंगलवार को उसने दावा किया कि पुलिसकर्मियों ने उससे पूछा था कि अगर वह अंधा है तो विरोध प्रदर्शन में क्यों आया? इस मामले में दिलचस्प मोड़ आ गया है। दरअसल, शशिभूषण पांडेय के पिता बीजेपी के नेता और पदाधिकारी हैं, उन्होंने फेसबुक पोस्ट लिखकर अपना दर्द बयां किया है। 




19 नवंबर को की गई पोस्ट में शशि भूषण के पिता अनिल पांडेय ने लिखा है, ''जेएनयू के छात्रों द्वारा कल के आंदोलन में मेरा बेटा शशि भूषण पांडेय भी पुलिस के तांडव का शिकार हुआ उसे गम्भीर अवस्था में एम्स में भर्ती किया गया मै अनिल पांडेय संत कबीर नगर जिले का भाजपा किसान मोर्चा का जिला अध्यक्ष हूं मेरा परिवार जन संघ के समय से साथ है जो लोग कहते हैं कि जेएनयू वाले देश द्रोही है वह हमें बताए कि मेरा परिवार क्या है? आज हमारे बेटे को चोट लगी है इसका जिम्मेदार कौन है जेएनयू में गरीब परिवार के मेधावी छात्र अध्ययन करते है देशद्रोही नहीं सब हमारे और आपके परिवार के है आप लोग दुआ करे कि हमारा बेटा जल्दी स्वस्थ हो''

शशि भूषण पांडेय की बेरहमी से पिटाई की नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ डिसेबल (एनपीआरडी) और जेएनयू दृष्टिबाधित छात्र मंच ने पांडेय पर पुलिसिया कार्रवाई की निंदा की है। गौरतलब है JNU के स्टूडेंट्स फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज के स्टूडेंट यूनियन काउंसलर शशि भूषण ने बताया कि लाठीचार्ज के दौरान वह जमीन पर गिर पड़े और उनके सीने पर पुलिस ने बूटों से वार किया। उन्होंने बताया, ‘मैंने उन्हें बताया कि मैं दृष्टि बाधित हूं। मैंने उन्हें चश्मा उतारकर दिखाया ताकि पुलिसवाले यह समझ जाएं लेकिन वे नहीं रुके। वे मुझे मारते रहे।’

शशिभूषण समद सोशल मीडिया पर क्रांतिकारी गानों के लिए पसंद किए जाते हैं। समद ने पाकिस्तानी विद्रोही शायर हबीब जालिब की नज्मों को सोशल मीडिया पर शेयर किया है और वे हजारों में शेयर हो रहे हैं। उनका यह संक्षिप्त परिचय इसलिए कि आप समद को समझ पाएं और मोदी सरकार की अत्याचारी व संवेदनहीन पुलिस को भी कि वह कहते रहे कि मैं नेत्रहीन हूं, पर पुलिस उनपर लाठियां और लात-घूंसे बरसाती रही। शशिभूषण सनद पर लाठियां बरसाते हुए पुलिस ने कहा कि अंधे हो तो प्रोटेस्ट में क्यों आये?

भाजपा के किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष अनिल पांडेय का बेटा व जेएनयू का शशिभूषण समद जिस आंदोलन में शामिल थे, वह फीस बढ़ोतरी के खिलाफ था। मोदी सरकार के निर्देश पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने जेएनयू की फीस कई गुना बढ़ा दी है, जबकि छात्रों का कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो करीब 40 फीसदी गरीब छात्र विश्वविद्यालय से बाहर हो जाएंगे। हालांकि शशिभूषण के पिता अनिल पांडेय जेएनयू की फीस वृद्धि के खिलाफ खड़े आंदोलन को जायज ठहरा रहे हैं। उम्मीद कीजिए समय रहते अन्य संघी जमातों और भक्तों को सस्ती शिक्षा का महत्व समझ में आएगा।

उनके इस फेसबुक पोस्ट पर तमाम तरह की प्रतिक्रियायें आई हैं। आशुतोष पाण्डेय लिखते हैं, यह कोई तर्क नहीं हुआ पाण्डेय जी आप यह वर्षों से देख रहे हैं कि वहाँ अफजल का समर्थन व विवेकानंद जी का विरोध किया जा रहा है।’

वहीं राकेश मिश्र ने लिखा है, ‘भीड़ में प्राय: निर्दोष लोग ही पुलिस के चपेट में आते हैं। यह दुखद है लेकिन वहां एक विशेष विचारधारा के छात्र अनावश्यक उद्दंडता कर रहे हैं इसमें कोई संदेह नहीं है। नवरात्रि में महिषासुर को महिमा मंडित करना, देशविरोधी नारेबाजी, भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारे लगाते छात्र हमारे आपके परिवार के नहीं हो सकते। कहावत है न कि एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती है, वहां तो गंदी मछलियां ही अधिक हैं।’

वहीं टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए शशिभूषण सनद के भाजपाई पिता अनिल पांडे लिखते हैं, ‘आंदोलन करना गुनाह है क्या भाई, एम्स की फीस जामिया इस्लामिया की फीस भी इतनी है, वह क्यों नहीं बढ़ाई गई। जेएनयू ही क्यों, जबकि कहीं भी दुनिया में विद्वता की बात आती है तो देश की इज्जत जेएनयू का ही छात्र ही रखता है।’

 

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