UP: विधानपरिषद चुनाव में भी बीजेपी चमकी, 36 में से 33 सीट जीती, PM के क्षेत्र बनारस में हारी

Written by Navnish Kumar | Published on: April 12, 2022
विधानसभा के बाद UP विधानपरिषद चुनाव में भी भाजपा की धमक देखने को मिली है। विधानपरिषद के चुनाव परिणाम में यूपी की कुल 36 सीटों में भाजपा ने 33 सीटों पर कब्जा जमाया है। वहीं इस चुनाव में सपा का पूरी तरह सूपड़ा साफ हो गया है। हालांकि, इस चुनाव में वाराणसी सीट से बीजेपी को हार की मुंह देखनी पड़ी है। 2 निर्दलीय उम्मीदवारों ने आज़मगढ़ व वाराणसी सीट पर कब्जा जमाया तो प्रतापगढ़ सीट पर जनसत्ता दल के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। खास है कि 2017 विधानपरिषद चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 36 में से 31 सीटों पर विजय दर्ज की थी। हालांकि, यह चुनाव विशेष रूप से सत्ता का ही माना जाता है। सूबे में जिस पार्टी की सरकार होती है उसी पार्टी के उम्मीदवार अधिकांश सीट पर विजय प्राप्त करते है।



उत्तर प्रदेश में 36 सीट पर विधान परिषद के चुनाव हुए जिनमें से 9 सीट पर भाजपा के उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो गए थे। बाकी 27 सीटों  पर 9 अप्रैल को वोटिंग हुई जिनकी मतगणना आज हुई। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी का सूपड़ा पूरी तरह से साफ हो गया है। वहीं, 27 सीट में से 24 पर भाजपा ने विजय हासिल की है जबकि 2 सीट निर्दलीय व एक सीट जनसत्ता पार्टी के खाते में गई है। सपा के खाते में शून्य ही आया है। सहारनपुर मुजफ्फरनगर विधान परिषद चुनाव में भाजपा उम्मीदवार वंदना मुदित वर्मा को 3843 मत मिले हैं जबकि सपा उम्मीदवार आरिफ जौला को 842 ही वोट मिल सके हैं। निर्दलीय सुशील को 11, प्रमोद को 18 व जाहिद को 6 वोट मिले है। 5115 मतों में से 4932 मत डाले गए थे जिसमें से 212 अवैध वोट तथा 4720 वोट वैध रहे। भाजपा की वंदना वर्मा 3001 वोट से विजयी रही। 

मेरठ गाजियाबाद एमएलसी सीट के लिए भाजपा प्रत्याशी धर्मेंद्र भारद्वाज चुनाव जीते हैं। 3708 वोट लेकर 3431 से जीत दर्ज की। गठबंधन प्रत्याशी सुनील रोहटा 277 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे। प्रतापगढ़ एमएलसी चुनाव में राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल के प्रत्याशी अक्षय प्रताप सिंह चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के हरी प्रताप सिंह को कड़ी शिकस्त दी। जबकि PM के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बीजेपी तीसरे नंबर पर रही है। यहां बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह (निर्दलीय) जीती हैं। अन्नपूर्णा सिंह (निर्दलीय) को 4234, उमेश यादव (सपा) को 345 व भाजपा के डॉ सुदामा पटेल को 170 वोट मिले हैं। इसके साथ ही आजमगढ़ सीट पर भी बीजेपी हारी है। 

आजमगढ़-मऊ MLC चुनाव में बीजेपी के बागी और निर्दलीय प्रत्याशी विक्रांत सिंह रिशु जीते है। यहां बीजेपी ने सपा विधायक रमाकांत यादव के बेटे अरुणकांत पर दांव लगाया था। बता दें कि विक्रांत सिंह रिशु के पिता यशवंत सिंह बीजेपी MLC रहे हैं। बीजेपी यशवंत सिंह को पहले ही छह साल के लिए पार्टी से निकाल चुकी है। लखनऊ उन्नाव सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार रामचंद्र प्रधान की जीत हुई है। यहां समाजवादी पार्टी के निवर्तमान विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह साजन अपनी सीट नहीं बचा पाए। रामचंद्र प्रधान को यहां करीब 92 फीसदी वोट मिले। देवरिया कुशीनगर सीट पर सपा के डॉ कफील खान हार गए हैं। उनको भाजपा के डॉ रतनपाल सिंह ने हराया है। हारने के बाद कफील खान ने कहा कि यह लोकतंत्र की हार हुई है, जीत किसी की नहीं हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यहां लोगों को पैसों का लालच दिया गया और प्रधान-बीडीसी सदस्यों पर पुलिस प्रशासन ने दबाव बनाया है। बलिया MLC चुनाव में रवि शंकर सिंह उर्फ पप्पू भैया जीत गए हैं। रवि शंकर सिंह उर्फ पप्पू भैया पहले सपा में थे। पिछले साल उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की थी।

BJP के 9 एमएलसी हो चुके हैं निर्विरोध निर्वाचित

1-मिर्जापुर-सोनभद्र से श्याम नारायण सिंह उर्फ विनीत
2- मथुरा-एटा-मैनपुरी से ओम प्रकाश सिंह
3- मथुरा-एटा-मैनपुरी से आशीष यादव
4- बदायूं से वागीश पाठक
5- हरदोई से अशोक अग्रवाल
6-लखीमपुर खीरी से अनूप गुप्ता
7- बांदा-हमीरपुर से जितेंद्र सिंह सेंगर
8- अलीगढ़ से ऋषिपाल सिंह
9- बुलंदशहर से नरेंद्र भाटी

कांग्रेस, बीएसपी ने नहीं उतारे उम्मीदवार

विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस और बीएसपी ने एक भी उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा है। इससे एक बात साफ हो गया है कि अब विधान परिषद में भी भाजपा और सपा में ही सीधी लड़ाई है। कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में थे।

MLC चुनाव में वोटिंग की तरह मतगणना का तरीका भी अलग

एमएलसी चुनाव में वोटिंग और काउंटिंग दोनों की प्रक्रिया असेंबली इलेक्‍शन, आम चुनाव, ग्राम पंचायत और नगर निकाय के चुनावों से एकदम अलग होती है। एमएलसी चुनाव में बैलेट पेपर पर इलेक्‍शन सिंबल दर्ज नहीं होते हैं। बैलेट पेपर पर बैगनी रंग के पेन से प्रत्याशी के नाम के आगे मूल्यांकन करना होता है। एमएलसी चुनाव के लिए वोटिंग के दौरान प्रत्याशी के नाम के आगे हस्ताक्षर, मुहर, पेन चलाने से वोट निरस्त हो जाता है। अन्य चुनाव में मतदाता एक ही प्रत्याशी को वोट देते हैं। एमएलसी चुनाव में एक, दो या तीन, जितने भी प्रत्याशी हैं, उनको वरीयता क्रम में वोट देने का विकल्प होता है, इसलिए वोट की काउंटिंग भी वरीयता के ही आधार पर होती है।

यानी अन्य चुनावों में मतदाता किसी एक प्रत्याशी को वोट देता है, लेकिन विधान परिषद चुनाव में एक से ज्यादा प्रत्याशियों को वरीयता क्रम में वोट देना होता है। ऐसे में वोटों की गिनती भी इसी आधार पर होती है। स्थानीय निकाय की 27 एमएलसी सीटों की मतगणना प्रेफरेंशियल (वरीयता) वोटों के आधार पर हो रही है। प्रथम वरीयता के वोट के आधार पर कोटा का निर्धारण किया जाएगा। कोटा निर्धारण में मान्य वोटों में दो से भाग देकर प्राप्त संख्या में एक अंक जोड़ दिया जाएगा। उदाहारण के तौर पर सौ मान्य वोटों का कोटा 51 निर्धारित होगा। प्रथम गणना में ही 51 वोट या अधिक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया जाएगा।

27 एमएलसी सीटों पर 98.11% वोट

मुरादाबाद-बिजनौर, रामपुर-बरेली, पीलीभीत-शाहजहांपुर, सीतापुर, लखनऊ-उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, बाराबंकी, बहराइच, आजमगढ़-मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, झांसी-जालौन-ललितपुर, कानपुर-फतेहपुर, इटावा-फर्रुखाबाद, आगरा-फिरोजाबाद, मेरठ-गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर-सहारनपुर, गोंडा, फैजाबाद, बस्ती-सिद्घार्थनगर, गोरखपुर-महाराजगंज, देवरिया और बलिया सीट के लिए 9 अप्रैल को 98.11 फीसदी मतदान हुआ था।

स्थानीय निकाय की 27 सीटों पर 95 उम्मीदवार मैदान में थे। बीजेपी ने सभी 27 सीटों पर उम्मीदवार उतार रखें हैं तो सपा ने 25 सीटों पर अपने कैंडिडेट दिए हैं। गाजीपुर सीट पर सपा ने निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन किया है इसके अलावा एक सीट पर सपा की सहयोगी आरएलडी चुनाव लड़ रही है। वहीं, कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) की जनसत्ता पार्टी से प्रतापगढ़ सीट पर अक्षय प्रताप सिंह है तो वाराणसी सीट पर माफिया बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह और आजमगढ़ सीट पर बीजेपी के एमएलसी यशवंत सिंह के बेटे निर्दलीय चुनाव में उतरे थे। देवरिया, मेरठ- गाजियाबाद और प्रतापगढ़ में सबसे ज्‍यादा छह-छह उम्‍मीदवार किस्‍मत आजम रहे हैं। मुरादाबाद-बिजनौर में दो, रामपुर-बरेली में तीन, बदायूं में एक, पीलीभीत-शाहजहांपुर में चार, हरदोई और खीरी में एक-एक, सीतापुर में तीन, लखनऊ-उन्नाव में दो, रायबरेली में चार प्रत्‍याशी मैदान में हैं। इसी प्रकार से सुल्तानपुर में चार, बाराबंकी में तीन, बहराइच में दो, आजमगढ़ मऊ में पांच, गाजीपुर में दो, जौनपुर में तीन उम्‍मीदवार मैदान में हैं। जौनपुर में तीन, वाराणसी में तीन, प्रयागराज में पांच, मिर्जापुर सोनभद्र, बांदा-हमीरपुर में एक-एक, झांसी-जालौन-ललितपुर में चार, कानपुर-फतेहपुर में दो, इटावा-फर्रुखाबाद में तीन, आगरा फिरोजाबाद में पांच, मथुरा-एटा-मैनपुरी में एक-एक, अलीगढ़ में एक, बुलंदशहर में एक, मुजफ्फरनगर-सहारनपुर में पांच, गोंडा में तीन, बस्ती-सिद्धार्थनगर में तीन, फैजाबाद में तीन, गोरखपुर-महाराजगंज में दो और बलिया में दो उम्‍मीदवार लड़ रहे हैं।

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