'योगीराज' में गोहत्या पर अब होगी 10 साल की सजा- 5 लाख का जुर्माना, अध्यादेश को दी मंज़ूरी

Written by sabrang india | Published on: June 11, 2020
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में गायों की रक्षा करने और उनके वध को रोकने के लिए सरकार ने मंगलवार को एक मसौदा अध्यादेश को मंजूरी दी, जिसके तहत अधिकतम 10 साल सश्रम कारावास की सजा के साथ पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।



समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, उत्तर प्रदेश गोवध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के तहत पहली बार अपराध के लिए व्यक्ति को एक लाख से लेकर तीन लाख रुपये तक के जुर्माने के साथ एक से सात साल की कठोर सजा दी जा सकती है।

वहीं, दूसरी बार अपराध करने पर व्यक्ति को पांच लाख रुपये तक के जुर्माने के साथ 10 साल सश्रम कारावास की सजा दी जा सकती है। नए अधिनियम के तहत गायों और अन्य गोजातीय पशुओं के अवैध परिवहन के मामले में चालक, परिचालक और वाहन के मालिक पर आरोप लगाया जाएगा।

वाहन के मालिक से एक वर्ष की अवधि अथवा गाय या गोजातीय पशु को छोड़ने (जो भी पहले हो) तक पकड़ी गई गायों के रखरखाव पर होने वाला खर्च वसूल किया जाएगा।

गोवंशीय पशुओं की रक्षा एवं गोकशी की घटनाओं से संबंधित अपराधों को पूर्णतया रोकने तथा गोवध निवारण कानून को और अधिक प्रभावी बनाने के मकसद से 1955 के इस कानून में संशोधन के प्रस्ताव को सरकार ने हरी झंडी दी गई।

अपर मुख्य सचिव (गृह व सूचना) अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उनके सरकारी आवास पर हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला किया गया।

अवस्थी ने बताया कि मूल कानून (संशोधन के साथ) की धारा-5 में गोवंशीय पशुओं को शारीरिक क्षति पहुंचाकर उनके जीवन को संकट में डालने या उनका अंग भंग करने और गोवंशीय पशुओं के जीवन को संकट में डालने वाली परिस्थितियों में परिवहन करने के लिए दंड के प्रावधान नहीं हैं ।

उन्होंने बताया कि मूल कानून में धारा-5 ख के रूप में इस प्रावधान को शामिल किया जाएगा और न्यूनतम एक वर्ष के कठोर कारावास के दंड की व्यवस्था रहेगी, जो सात वर्ष तक हो सकता है और जुर्माना न्यूनतम एक लाख रुपये होगा, जो तीन लाख रुपये तक हो सकता है ।

अवस्थी ने बताया कि अध्यादेश का उद्देश्य उत्तर प्रदेश गोवध निवारण कानून, 1955 को और अधिक संगठित एवं प्रभावी बनाना तथा गोवंशीय पशुओं की रक्षा एवं गोकशी की घटनाओं से संबंधित अपराधों को पूर्णतया रोकना है ।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अवस्थी ने कहा कि अध्यादेश में यह प्रावधान भी किया गया है कि आरोपियों के भागने की स्थिति में अधिकारी उनकी तस्वीरें आस-पड़ोस या प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर चस्पा कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश गोवध निवारण कानून, 1955 छह जनवरी 1956 को प्रदेश में लागू हुआ था, वर्ष 1956 में इसकी नियमावली बनी थी। वर्ष 1958, 1961, 1979 और 2002 में कानून में संशोधन किए गए तथा नियमावली का 1964 व 1979 में संशोधन हुआ।

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