विकास किसका - जनता का या कार्पोरेट घरानों का

Written by Uday Che | Published on: October 15, 2018
जी टीवी पर एक सीरियल अप्रैल 2014 से "कुमकुम भाग्य" आता है। जिसको एकता कपूर ने बनाया है। उसमे एक लड़की थी जिसका नाम तन्नू था। तन्नू सीरियल में विलेन टायप भूमिका में थी। 



चलो इसको छोड़ते हैं वो क्या थी और क्या नही थी, क्या नाम था हमइस पर आगे चर्चा करते है। 

अब मुद्दे पर आते है, मुद्दा ये है कि तन्नू गर्भवती हो गयी। अरे असलियत में नही सीरियल में ही गर्भवती हुई। सीरियल का हीरो अभिषेक समझता है कि बच्चा उसका है। लेकिन तन्नू को मालूम है कि बच्चा तो अभिषेक का नही किसी और का है।

हीरो को लगता है कि अब होगा बच्चा, अब होगा बच्चा, बच्चे के इंतजार व प्यार में वो तन्नू के कमीनेपन को भी नजरअंदाज कर देता है। 

महीना गुजरा, दूसरा गुजरा थोड़ा पेट भी दिखने लगगया। कहानी में ट्विस्ट आते गए, झगड़े, प्यार, शैतानी चाल, मक्कारियों से गुजरते हुए तन्नू ने पेट मे बच्चा लिए-लिए कब 2 साल गुजार दिए पता ही नही चला। इसी बीच जो बच्चे का असली पापा है वो भी विलेन है। वो तन्नू को ब्लैकमेल करता रहता है और रुपये ऐंठता रहता है वो धमकी देता रहता है कि अगर उसने मेरी मांगे पूरी नही की तो मैं तुम्हारे पति को असलियत बता दूंगा की इस बच्चे का असली बाप कौन है। असलियत जानकर, जो तुम उसकी मेहनत की कमाई पर ऐशो-आराम, अय्याशियां कर रही हो सब खत्म हो जाएगा, फिर मांगना कटोरा पकड कर सड़कोपर भीख। 

ये लूट-खसोट के बीच आखिर में एक दिन तन्नू का बच्चा पेट मे ही मर जाता है। 

क्या आपको नही लगता कि ये ही हालात हमारी सरकार के है जो विकास पैदा करने वाली थी। देश की जनता को भी लग रहा था कि विकास आएगा, हमारा विकास होगा। 

जैसे कर्ण-अर्जुन में माँ को लगता है कि मेरे कर्ण-अर्जुन आएंगे। 

सरकार ने भी भरोसा दिया था कि विकास होगा। विकास जनता का होगा। 

जब जनता में से दबे स्वर में किसी ने पूछ लिया कि मुझे शक है कि विकास हमारा नही, उनका है जिनके साथ हवाई जहाजों में सफर किया है, जिनके साथ काली राते रंगीन की है। जिन्होंने होटलों के बिल चुकाए है। जिनके साथ विदेश में डेटिंग की है। विकास तो उनका होगा। 

अब सवाल जनता से आया था और जवाब भी जनता में ही देना था तो विकास की मम्मी आंखों में आँशु ले आयीऔर दहाड़े मारते हुए बोली कि विकास तो सिर्फ तुम्हारा है, सिर्फ तुम्हारा, मै आग में जलजाऊं अगर विकास तुम्हारा न होतो। 

फिर जनता से आवाज आई ठीक है-ठीक है, विकास हमारा होगा वो तो जब होगा तब मालूम हो जाएगा। मगर होगा कब
आंसू टपकाते हुए..... 

अगर तुम्हारा विकास 100 दिन में न हो तो मुझे गोली मार देना, मुझे बीच चौराहे फांसी चढ़ा देना। मै चली जाऊंगी झोला उठा कर, कभी मुँह भी नही दिखाउंगी। 

महीना गुजरा, साल गुजरी और गुजर गयी पंच वर्षीय योजना, लेकिन विकास नही हुआ। हां एक काम जरूर हुआ वो जिसने भी विकास की देरी पर सवाल उठाए उस के साथ गाली गलौच, मारपीट, नई-नई चालबाजिया, गुंडागर्दीकी गई, मक्कारियों की तो पूछो ही मत। 

विकास तो हाथों में नही आया लेकिन उसके बदले जनता की लाशें जरूर हाथों में आयी। 

वही दूसरी तरफ उस दिन के बाद से अब तक सत्ता को तन्नू की तरह विकास के असली पापा ब्लैकमेल कर रहे है और जनता की मेहनत की कमाई को लूट रहे है। सत्ता पोल खुलने के डर से चुप है कि अगर गलती से जनता के सामने पोल खुल गयी तो अय्याशियां तो बन्द होगी ही क्या पता जान से भी हाथ धोना पड़ जाए। 

ये सरकार भी विकास को "कुमकुम भाग्य"सीरियल की तरह ही विकास को पेट मे ही मारचुकी है। लेकिन सत्ता अब भी दहाड़े मार-मार कर आंखों में आँशु लाकर, झूठी कसमें खा कर जनता को बोल रही है की विकास होगा, जरूर होगा 2022 में होगा। 
जनता को भी जो गलतफहमी थी कि विकास हमारे नाम का है वो बहुत हद तक निकल चुकी होगी या हो सकता है कि बहुत से अभी भी 2022 में विकास के होने के इंतजार में औरधोखा खाते रहे, लूटते रहे। लेकिन ये सैतान सत्ता भी तन्नू की तरह अपना अकाउंट कही दूसरी जगह खुलवाए हुई है।  अडानी, माल्या, नीरव, अम्बानी, जिंदल, बिड़ला.......... 

जितने नाम लिखो उतने कम होंगे। 

बाकी ख़बरें