मध्यप्रदेश में आदिवासी बच्चियों की तस्करी

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: August 20, 2018
मध्यप्रदेश मानव तस्करी का गढ़ बन चुका है। यहाँ से लड़कियां लगातार गायब होती रही हैं, जिनमें से ज्यादातर आदिवासी लड़कियां ही होती हैं।

आदिवासी बहुल इलाकों में शिक्षा और रोजगार की कमी के कारण लड़कियों की तस्करी आम बात हो गई है। कुछ गिरोह तो पेशेवर तौर पर यही काम करने में लगे हैं।

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(स्त्रोत: दैनिक भास्कर)

ऐसे ही एक मामले का खुलासा डिंडौरी जिले में दो मानव तस्करों के पकड़े जाने से होता है। इनके चंगुल से आधा दर्जन नाबालिग आदिवासी लड़कियों को रिहा कराया गया है।

पुलिस ने बताया है कि ये गिरोह नाबालिग आदिवासी लड़कियों को काम के बहाने महाराष्ट्र के भुसावल ले जा रहे थे। इनमें तीन लड़कियां तो विशेष संरक्षित बैगा जनजाति की हैं और बाकी तीन भी आदिवासी ही हैं। ये लोग साथ में करीब 50 मज़दूरों को भी बस में लिए जा रहे थे। लड़कियों की उम्र 16 से 17 वर्ष है।

दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार, शुक्रवार शाम को यात्री बस महाराष्ट्र जा रही थी और शाहपुर थाना पुलिस बसों की चैकिंग कर रही थी। पुलिस को देख लड़कियां घबरा गईं। जिसके बाद पुलिस ने बस में सवार लोगों से पूछताछ की तो तस्करी के मामले का खुलासा हुआ।

पकड़े गए आरोपियों में एक गिरोह के एजेंट के रूप में काम करता था। उससे पूछताछ की जा रही है ताकि पता चल सके कि वह पहले कितनी लड़कियों की तस्करी कर चुका है।

पुलिस की गिरफ्त में आये दोनों दलालों में से एक डिंडौरी का ही है जबकि दूसरा यूपी के चित्रकूट का है। ये दलाल ऐसे लोगों को अपना शिकार बनाते थे जिनकी माली हालत अच्छी नहीं होती थी।

पूरे मामले में पुलिस की मुस्तैदी भी सामने आई है तो उसकी लापरवाही भी कम नहीं रही है। डिंडौरी में कुछ दिनों तक मानव तस्करी रोकने का अभियान पुलिस ने चलाया था, लेकिन एसपी के तबादले के बाद वह अभियान भी बंद कर दिया गया।
 

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