केंद्र सरकार की तरफ से लेखक आतिश तासीर का ओसीआई कार्ड रद्द करने पर उनकी मां व पत्रकार तवलीन सिंह ने अपनी बात रखी है। इंडियन एक्सप्रेस के कॉलम में तवलीन सिंह ने कहा कि मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि ऐसे प्रधानमंत्री जिनको मैंने पूरे पांच साल सपोर्ट किया उनकी ही सरकार ने मेरे बेटे को देश से निर्वासित कर दिया।
उन्होंने कहा कि जब तीन महीने पहले गृह मंत्रालय की तरफ से आतिश को नोटिस भेजा गया था तो मेरी पहली प्रतिक्रिया थी कि गृह मंत्री को फोन किया जाए। गृह मंत्रालय की तरफ से भेजे गए नोटिस में पूछा गया था कि पिता के पाकिस्तानी मूल की जानकारी छुपाए जाने के कारण क्यों न उनका ओसीआई कार्ड रद्द कर दिया जाए।
तवलीन सिंह ने कहा कि मैने सोचा कि कुछ गलतफहमी हो गई होगी और मैं इसे स्पष्ट करना चाहती थी। मैं गृह मंत्री को अपने पास मौजूद वो दस्तावेज दिखाना चाहती थी जब मैं आतिश को सिंगल गार्जियन के रूप में 1982 में लेकर भारत आई थी। उसे 18 साल की उम्र तक के लिए अनुमति मिली थी। मैंने अन्य अनिश्चितकालीन वीजा के लिए प्रयास किया। उस समय अधिकारियों ने मुझे पीआईओ कार्ड प्राप्त करने की सलाह दी।
मैंने ऐसा ही किया उस समय किसी ने भी मुझसे नहीं पूछा कि क्या इसके पिता पाकिस्तानी हैं। ऐसे में यह पूरी तरह से अप्रासंगिक है जब ना तो मैं और ना ही तासिर अपने पिता के संपर्क में है। मैंने सोचा था कि यह सब कुछ यदि मैं केंद्रीय गृह मंत्री को बताउंगी तो वह मेरा समर्थन करेंगे।
मैंने जब गृहमंत्री को फोन किया तो मेरी कॉल को नजरअंदाज कर दिया गया। इसके बाद मैंने हीरेन जोशी को फोन किया जो पीएम मोदी के मुख्य मीडिया प्रभारी हैं। उनका दायित्व है कि पत्रकार के रूप में मेरे कम से कम मेरे फोन का जवाब दें। उन्होंने भी फोन पर बात करने से इनकार कर दिया। मैंने उनको कई ई-मेल लिखे, उनको भी नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद मुझे अहसास हो गया कि कोई बहुत बड़ा है जो आतिश से बदला लेना चाहता है।
जब आतिश तासीर ने टाइम मैगजीन में पीएम मोदी पर डिवाइडर इन चीफ लेख लिखा था तो उस समय मेरे मन में कहीं न कहीं यह डर था। मुझे याद है कि उस समय मैंने आतिश से कहा था यह लेख ठीक नहीं है और यह गलत समय पर आया है। उस समय लोकसभा चुनाव के प्रचार का अंतिम सप्ताह चल रहा था। तवलीन ने आगे लिखा कि इस बात के साफ संकेत थे कि मोदी दुबारा सत्ता में आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जब तीन महीने पहले गृह मंत्रालय की तरफ से आतिश को नोटिस भेजा गया था तो मेरी पहली प्रतिक्रिया थी कि गृह मंत्री को फोन किया जाए। गृह मंत्रालय की तरफ से भेजे गए नोटिस में पूछा गया था कि पिता के पाकिस्तानी मूल की जानकारी छुपाए जाने के कारण क्यों न उनका ओसीआई कार्ड रद्द कर दिया जाए।
तवलीन सिंह ने कहा कि मैने सोचा कि कुछ गलतफहमी हो गई होगी और मैं इसे स्पष्ट करना चाहती थी। मैं गृह मंत्री को अपने पास मौजूद वो दस्तावेज दिखाना चाहती थी जब मैं आतिश को सिंगल गार्जियन के रूप में 1982 में लेकर भारत आई थी। उसे 18 साल की उम्र तक के लिए अनुमति मिली थी। मैंने अन्य अनिश्चितकालीन वीजा के लिए प्रयास किया। उस समय अधिकारियों ने मुझे पीआईओ कार्ड प्राप्त करने की सलाह दी।
मैंने ऐसा ही किया उस समय किसी ने भी मुझसे नहीं पूछा कि क्या इसके पिता पाकिस्तानी हैं। ऐसे में यह पूरी तरह से अप्रासंगिक है जब ना तो मैं और ना ही तासिर अपने पिता के संपर्क में है। मैंने सोचा था कि यह सब कुछ यदि मैं केंद्रीय गृह मंत्री को बताउंगी तो वह मेरा समर्थन करेंगे।
मैंने जब गृहमंत्री को फोन किया तो मेरी कॉल को नजरअंदाज कर दिया गया। इसके बाद मैंने हीरेन जोशी को फोन किया जो पीएम मोदी के मुख्य मीडिया प्रभारी हैं। उनका दायित्व है कि पत्रकार के रूप में मेरे कम से कम मेरे फोन का जवाब दें। उन्होंने भी फोन पर बात करने से इनकार कर दिया। मैंने उनको कई ई-मेल लिखे, उनको भी नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद मुझे अहसास हो गया कि कोई बहुत बड़ा है जो आतिश से बदला लेना चाहता है।
जब आतिश तासीर ने टाइम मैगजीन में पीएम मोदी पर डिवाइडर इन चीफ लेख लिखा था तो उस समय मेरे मन में कहीं न कहीं यह डर था। मुझे याद है कि उस समय मैंने आतिश से कहा था यह लेख ठीक नहीं है और यह गलत समय पर आया है। उस समय लोकसभा चुनाव के प्रचार का अंतिम सप्ताह चल रहा था। तवलीन ने आगे लिखा कि इस बात के साफ संकेत थे कि मोदी दुबारा सत्ता में आ रहे हैं।