उन्नाव रेप मामले के 4 केस दिल्ली ट्रांसफर करेगा सुप्रीम कोर्ट, CBI को कोर्ट में उपस्थित रहने के निर्देश

Written by sabrang india | Published on: August 1, 2019
नई दिल्ली: उन्नाव गैंगरेप मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पहले के चार केस दिल्ली ट्रांसफर कर देगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर 12 बजे सुनवाई करेंगे और सीबीआई का एक जिम्मेदार अधिकारी कोर्ट में चाहते हैं। जो अफसर हमें बता सके कि जांच में क्या हुआ है। 

पीड़िता की मां ने केस ट्रांसफर करने की मांग की थी। प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने सॉलिसिटर जनरल से भी कहा है कि वह रेप तथा सड़क हादसे से जुड़े केस के बारे में CBI निदेशक से बात करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ज़रूरत पड़ी, तो चैम्बर में सुनवाई की जा सकती है। 

इसपर सॉलिसिटर जनरल टी मेहता ने सीजेआई को जानकारी दी कि उन्होंने सीबीआई डायरेक्टर से बात की थी। मामले की जांच कर रहे अधिकारी लखनऊ में हैं और दिल्ली 12 बजे तक उनका पहुंचना संभव नहीं है। उन्होंने इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई करने की भी मांग की थी, लेकिन सीजेआई ने सुनवाई को स्थगित करने से मना कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट रेप पीड़िता के उस खत पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उसने सीजेआई को खत लिखकर भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के कथित सहयोगियों से अपनी जान को खतरे की आशंका व्यक्त की थी। रविवार को इस लड़की की कार में एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी जिसमें उसकी मौसी और चाची की मौत हुई थी जबकि वह गंभीर रूप से घायल हुई थी। ट्रक-कार की टक्कर के बाद कथित बलात्कार के मामले में पहले से जेल में बंद सेंगर पर हत्या का भी आरोप लगा है।

बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव बलात्कार पीड़ित द्वारा प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को लिखे पत्र पर बुधवार को संज्ञान लेते हुये अपने सेक्रेटरी जनरल से रिपोर्ट मांगी कि पत्र को 17 जुलाई से उनकी जानकारी में क्यों नहीं लाया गया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने बुधवार को कहा था, ‘दुर्भाग्यवश, यह पत्र अभी तक सामने नहीं आया है लेकिन समाचार पत्रों में ऐसे खबर प्रकाशित हुई है कि मानो मैंने इस पत्र को पढ़ लिया है।' 

उन्होंने कहा कि मंगलवार शाम चार बजे तक यह पत्र उनकी जानकारी में नहीं लाया गया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा कि समाचार पत्रों ने ऐसे पेश किया है कि मानो प्रधान न्यायाधीश ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है। 

 

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