SC ने सरकार से कहा- कोरोना मरीज़ों के घरों पर पोस्टर लगाने से उनके साथ हो रहा अछूतों जैसा व्यवहार

Written by sabrang india | Published on: December 2, 2020
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोविड-19 मरीजों के मकान के बाहर पोस्टर लग जाने के बाद उनके साथ अछूतों जैसा व्यवहार हो रहा है और यह एक अलग तरह की जमीनी हकीकत बयान करता है।



केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोरोना मरीजों के घर के बाहर पोस्टर लगाने का उद्देश्य उनके साथ भेदभाव करना नहीं, बल्कि यह अन्य लोगों की सुरक्षा की मंशा से किया गया था।

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। कोरोना मरीजों के घर के बाहर ऐसा पोस्टर लगाने से उनके साथ अछूतों जैसा व्यवहार हो रहा है।

मामले में केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि कुछ राज्य संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए अपने स्तर पर ऐसा कर रहे हैं।

मेहता ने कहा कि कोविड-19 मरीजों के घर पर पोस्टर चिपकाने का तरीका खत्म करने के लिए देशव्यापी दिशानिर्देश जारी करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर अदालत के आदेश पर केंद्र अपना जवाब दे चुका है।

पीठ ने कहा, केंद्र द्वारा दाखिल जवाब को रिकॉर्ड पर आने दें, उसके बाद गुरुवार को हम इस पर सुनवाई करेंगे।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पांच नवंबर को केंद्र से कहा था कि वह कोविड-19 मरीजों के मकान पर पोस्टर चिपकाने का तरीका खत्म करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने पर विचार करें।

कोर्ट ने कुश कालरा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को औपचारिक नोटिस जारी किए बिना जवाब मांगा था।

पीठ ने कहा था कि जब दिल्ली सरकार हाईकोर्ट में मरीजों के मकानों पर पोस्टर नहीं लगाने पर राजी हो सकती है तो इस संबंध में केंद्र सरकार पूरे देश के लिए दिशानिर्देश जारी क्यों नहीं कर सकती।

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