प्रशांत भूषण ने कहा- CJI ही सुप्रीम कोर्ट नहीं, उनकी आलोचना करना अदालत का अपमान करना नहीं

Written by sabrang india | Published on: August 4, 2020
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आपराधिक अवमानना की कार्यवाही का सामना कर रहे वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण से अदालत में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की आलोचना न तो शीर्ष अदालत को अपमानित करती है और न ही उसके अधिकार को कम करती है।



एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, भूषण ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक हलफनामे में अपना जवाब पेश किया। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि सीजेआई को सुप्रीम कोर्ट मान लेना और सुप्रीम कोर्ट को सीजेआई मान लेना भारत के सर्वोच्च न्यायालय की संस्था को कमजोर करना है।

बता दें कि जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने भूषण के दो ट्वीट पर स्वत: संज्ञान लिया था और उन्हें अवमानना का नोटिस जारी किया था।

हलफनामे में भूषण ने कहा, ‘सीजेआई या सीजेआई के उत्तराधिकारियों के कार्यों की आलोचना करना न्यायालय को अपमानित करना और उसके अधिकार को कम करना नहीं है। ऐसा मानना या सुझाव देना कि सीजेआई ही सुप्रीम कोर्ट हैं और सुप्रीम कोर्ट सीजेआई हैं भारत के सर्वोच्च न्यायालय की संस्था को कमजोर करना है।’

भूषण ने कहा कि मोटरसाइकिल पर सवार भारत के मुख्य न्यायाधीश के बारे में उनका ट्वीट सुप्रीम कोर्ट में  पिछले तीन महीनों से अधिक समय तक होने वाली अप्रत्यक्ष सुनवाई को लेकर उनकी पीड़ा को रेखांकित करने वाला था, जिस दौरान शायद ही किसी मामले की सुनवाई हुई हो।

हलफनामे में आगे कहा गया है कि भारत के पिछले चार मुख्य न्यायाधीशों के बारे में भूषण का ट्वीट उनके बारे में उनका वास्तविक प्रभाव था और यह उनका विचार है कि सुप्रीम कोर्ट ने लोकतंत्र को नष्ट करने की अनुमति दी और इस तरह की अभिव्यक्ति को अवमानना नहीं माना जा सकता है।

हलफनामे में कहा गया, ‘मैंने जो कुछ भी ट्वीट किया है वह इस प्रकार है कि पिछले वर्षों में सुप्रीम कोर्ट के तरीके और कामकाज के बारे में मेरी वास्तविक राय है और विशेष रूप से पिछले चार मुख्य न्यायाधीशों की भूमिका के बारे में। कार्यपालिका की शक्तियों पर अंकुश लगाने और सर्वोच्च न्यायालय के पारदर्शी व जवाबदेह तरीके से कार्य करने को सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका यह कहने के लिए विवश करती है कि उन्होंने लोकतंत्र को कमजोर करने में योगदान दिया।’

आगे कहा गया, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आलोचना के अधिकार में न्यायपालिका की निष्पक्ष और मजबूत आलोचना शामिल है। यह किसी भी तरह से अदालत की अवमानना या अदालत की गरिमा को कम करना नहीं है।’

वहीं, सीजेआई एसए बोबड़े के पिछले महीने मोटरसाइकिल चलाने पर किए गए ट्वीट पर भूषण ने कहा कि वास्तविकता यह है कि सीजेआई को बहुत से लोगों की उपस्थिति में बिना मास्क के देखा गया था और वह इस स्थिति की असमानता को उजागर करने के लिए था कि जहां सीजेआई कोर्ट को वस्तुतः कोविड के डर के कारण लॉकडाउन में रखते हैं, वहीं दूसरी तरफ बिना मास्क के सार्वजनिक रूप से देखे जातें हैं।

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