छात्र नेताओं का आरोप, लॉकडाउन की आड़ में बदले की राजनीति कर रही है मोदी सरकार

Written by sabrang india | Published on: May 27, 2020
नई दिल्ली। छात्र नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और पुलिस पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध करने वालों के खिलाफ बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जब देश में कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन है, तब छात्रों को निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें फंसाने के लिए राजनीति से प्रेरित फर्जी मुक़दमें बनाये जा रहे हैं।



वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक प्रेस ब्रीफिंग में  पूर्व छात्र नेताओं कन्हैया कुमार और उमर खालिद ने कहा कि  पुलिस ने जामिया मिलिया इस्लामिया और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के सांप्रदायिक दंगों के आरोप में गिराफ्तार किया है।

गुजरात से निर्दलीय विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने छात्र कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को लॉकडाउन की आड़ में बदले की राजनीति बताया है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन का लाभ उठाते हुए, पुलिस उन लोगों को निशाना बना रही है जिन्होंने नए नागरिकता कानून का विरोध किया और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के लिए लड़ाई लड़ी। 

जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कुमार ने कहा कि उन्हें लॉकडाउन के दौरान अपनी आवाज उठाने के लिए नए तरीके खोजने होंगे। उन्होंने कहा कि छात्रों की गिरफ्तारी को सरकार की ‘‘नाकामियों’’ से ध्यान हटाने के लिए हुई। सरकार सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ खड़े लोगों के खिलाफ बदले की राजनीति खेलने के लिए लॉकडाउन का फायदा उठा रही है। कुमार ने कहा कि यह छात्रों को डराने और उन्हें बताने की भी कोशिश है, 'यदि आप हमारे खिलाफ आवाज उठाते हैं, तो आपको भी जेलों में डाल दिया जाएगा।

वामपंथी समर्थित ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आईसा)  के अध्यक्ष एन साई बालाजी ने कुमार के साथ सहमति जताई और कहा कि यह शर्मनाक है कि एक समय जब देश में कोरोनावायरस के मामलों की संख्या 1.65 लाख को पार कर गई है, सरकार छात्र नेताओं को निशाना बना रही है। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि केंद्र की प्राथमिकता कोरोनोवायरस से निपटना या प्रवासियों की समस्याओं को हल करना नहीं है, बल्कि सीएए प्रदर्शनकारियों को लक्षित करना है।

उन्होंने कहा कि यह समझना मुश्किल है कि कैसे संविधान की प्रस्तावना पढ़ना इस देश में यूएपीए क़ानून प्रयोग करने लायक जुर्म हो गया? जबकि  लेकिन भाजपा नेताओं कपिल मिश्रा और अनुराग ठाकुर के खिलाफ नफरत भरे भाषणों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। बालाजी ने यह भी बताया कि कोमल शर्मा, जो कथित तौर पर 5 जनवरी को जेएनयू छात्रों और शिक्षकों पर हमला करने में शामिल थीं, को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि पुलिस को पता है कि लॉकडाउन के दौरान, छात्र बाहर नहीं निकल सकते हैं या वकील भी नहीं ढूंढ सकते हैं और इसलिए, वे उन्हें गिरफ्तार कर रहे हैं।

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