सिंघु बॉर्डर पर सरकार समर्थक भीड़ का हंगामा! पत्थरबाजी, किसानों के टैंट उखाड़े

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 29, 2021
नई दिल्ली। दिल्ली-हरियाणा के बीच स्थित सिंघु बॉर्डर पर तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। सिंघु बॉर्डर किसान आंदोलन का मुख्य केंद्र है। ऐसी जानकारी है कि यहां किसानों का विरोध करते हुए भीड़ इकट्ठा हो गई है, जिसने यहां पर पत्थरबाजी की है और किसानों के टेंट उखाड़ दिए गए हैं। 



सिंघु पर किसान आंदोलन के तहत हजारों किसान पिछले दो महीनों से मौजूद हैं, लेकिन गणतंत्र दिवस को निकाली गई ट्रैक्टर रैली के उग्र हो जाने और फिर हिंसा होने के बाद स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। 

शुक्रवार की दोपहर तक यहां बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स की तैनाती थी, लेकिन कुछ 200 के लगभग लोग यहां पहुंचे और पत्थरबाजी की और किसानों के टेंट उखाड़े। हालात बिगड़ने के बाद पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और किसानों ने शांति बनाने की अपील की है। अभी यह साफ नहीं हो सका है कि इतने लोगों की भीड़ प्रदर्शनस्थल तक कैसे पहुंची है।

बताया जा रहा है कि दोपहर के लगभग 1 बजे यह भीड़ प्रदर्शन स्थल पर पहुंची थी। किसानों और इन प्रदर्शनकारियों के बीच महज एक कांक्रीट बॉर्डर की बैरिकेडिंग रह गई थी। कुछ देर तक भीड़ वही रही, फिर इन्होंने 'देश के गद्दारों को...' नारे लगाने शुरू कर दिए। कुछ देर बाद इन लोगों ने तोड़फोड़ शुरू कर दी। पहले किसानों के वॉशिंग मशीन तोड़े और फिर उनके टेंट वगैरह उखाड़ने शुरू कर दिए।

बता दें कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के चलते बहुत सारे किसान लाल किले पर पहुंच गए थे और यहां तिरंगे के पास ही अपना झंडा फहरा दिया था। हालांकि, यह भाजपा सांसद सनी देओल के करीबी दीप सिद्धू द्वारा किया गया था। इसके बाद से ही किसान लगातार इस तरह के कारनामे की निंदा कर रहे थे। 

27 दिसंबर को दो किसान संगठनों ने बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन से हटने का फैसला किया था। इसके बाद कल देर रात भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत की गिरफ्तारी देने की अटकलें लगाई जा रही थीं और प्रशासन द्वारा गाजीपुर बॉर्डर पर धारा 144 लागू कर दी गई जिसके चलते किसान यहां से जाने का कार्यक्रम बना रहे थे। तभी अचानक से घटनाक्रम बदल गया। एक टीवी चैनल को इंटरव्यू देते वक्त राकेश टिकैत फफक कर रो पड़े। टिकैत का रोना किसानों को नागवार गुजरा और पश्चिमी यूपी व हरियाणा से रात में ही हजारों किसान उनका समर्थन करने पहुंच गए। 

 

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