इन चारों शिक्षकों पर विश्वविद्यालय की आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए ‘इसके हितों के ख़िलाफ़ छात्रों को भड़काने’ का आरोप लगाया गया है। यह कार्रवाई स्नातकोत्तर छात्रों के लिए मासिक छात्रवृत्ति में कटौती के विरोध में पिछले साल छात्रों के कई महीने चले विरोध प्रदर्शन के बाद की गई है।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित साउथ एशियन यूनिवर्सिटी (एसएयू) ने कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ अपने चार संकाय सदस्यों को निलंबित कर दिया है।
इन चारों शिक्षकों पर विश्वविद्यालय की आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए ‘इसके हितों के खिलाफ छात्रों को भड़काने’ का आरोप लगाया गया है।
यह कार्रवाई स्नातकोत्तर छात्रों के लिए मासिक वजीफे में कटौती के विरोध में पिछले साल छात्रों के कई महीने चले विरोध प्रदर्शन के बाद की गई है।
निलंबित शिक्षकों में से एक ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘यह विश्वविद्यालय में चार लोगों के खिलाफ एक लक्षित कार्रवाई की तरह लग रहा है, जो प्रशासन को मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए कहने की कोशिश कर रहे थे।’
साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने चार शिक्षकों के निलंबन की पुष्टि की है। निलंबित किए गए शिक्षकों में अर्थशास्त्र विभाग से डॉ। स्नेहाशीष भट्टाचार्य, कानूनी अध्ययन विभाग से डॉ। श्रीनिवास बुर्रा, सामाजिक विज्ञान विभाग से डॉ। इरफानुल्लाह फारूकी और सामाजिक विज्ञान विभाग से डॉ। रवि कुमार शामिल हैं।
16 जून को जारी एक कार्यालय आदेश में कहा गया है, ‘विनियम 17.8 और विश्वविद्यालय के उपनियमों में निर्धारित आचार संहिता के तहत कदाचार के आरोप हैं, जिनकी जांच की जानी चाहिए।’
दिसंबर 2022 में इन शिक्षकों को भेजे गए कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि शिक्षकों ने छात्रों को ‘सहकर्मियों, प्रशासन और विश्वविद्यालय के हित के खिलाफ’ भड़काया है।
यह भी पूछा गया है कि क्या शिक्षक ‘एजाज अहमद स्टडी सर्कल, साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा संचालित एक मार्क्सवादी स्टडी सर्कल’ का हिस्सा थे।
नोटिस में कहा गया है कि एक प्रदर्शनकारी छात्र ने परिसर में दिल्ली पुलिस के प्रवेश की निंदा करते हुए एक ईमेल प्रसारित किया था और शिक्षकों से पूछा था कि क्या वे किसी ‘मार्क्सवादी अध्ययन मंडल’ का हिस्सा थे।
निलंबित किए गए एक शिक्षक ने कहा, ‘विश्वविद्यालय ने शिक्षकों पर छात्रों को विरोध के लिए उकसाने, उचित कर्तव्यों का पालन करने में विफलता और एक मार्क्सवादी अध्ययन मंडल के साथ जुड़ाव होने का आरोप लगाया है।’
यह विश्वविद्यालय दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ के आठ सदस्य राज्यों द्वारा प्रायोजित एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय है। इससे पहले चाणक्यपुरी इलाके में स्थित इसके परिसर को हाल ही में मैदानगढ़ी में स्थानांतरित किया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2022 में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा स्नातकोत्तर छात्रों के लिए वजीफा 5,000 रुपये से घटाकर 3,000 रुपये करने के बाद छात्रों ने विरोध शुरू कर दिया। उनकी मांग है कि वजीफा कम करने की बजाय बढ़ाकर 7000 रुपये किया जाए।
हालांकि विश्वविद्यालय ने पहले वजीफा राशि को संशोधित कर 4,000 रुपये और फिर वापस 5,000 रुपये कर दिया, लेकिन छात्रों का विरोध जारी रहा। विश्वविद्यालय ने 7,000 रुपये के वजीफे की मांग को पूरा करने से इनकार कर दिया था।
अक्टूबर 2022 में प्रशासन ने कार्यवाहक अध्यक्ष के कार्यालय पर एकत्र हुए छात्रों को तितर-बितर करने के लिए परिसर में पुलिस को बुलाया। इसके बाद 13 शिक्षकों (संकाय सदस्य) ने विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि स्थिति में सुधार किया जाए।
नवंबर 2022 में विश्वविद्यालय ने पांच छात्रों के निष्कासन/निलंबन की घोषणा करते हुए आदेश जारी किए, जिसके बाद 15 शिक्षकों ने विश्वविद्यालय समुदाय को एक ईमेल लिखा, जिसमें विश्वविद्यालय प्रशासन के कार्यों के बारे में चिंता व्यक्त की गई, जो ‘किसी भी उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना लिए गए थे’।
छात्रों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी और नवंबर 2022 में ही कथित तौर पर छात्रों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को फिर से परिसर में बुलाया गया। भूख हड़ताल के दौरान कई छात्रों के बीमार पड़ने और छुट्टियों की घोषणा के बाद दिसंबर 2022 में विरोध प्रदर्शन खत्म हो गया। विरोध समाप्त होने के बाद शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
एक निलंबित शिक्षक ने कहा, ‘निलंबन पत्र में विश्वविद्यालय ने हमें कोई कारण नहीं बताया है। इसमें केवल विश्वविद्यालय के विनियमन के बारे में बताया गया है, जो मूल रूप से शिक्षक के कदाचार के बारे में है। उन्होंने हमें यह नहीं बताया कि क्या कदाचार हुआ है। हम इसलिए भी हैरान हैं, क्योंकि अक्टूबर 2022 में 13 लोगों और नवंबर 2022 में 15 लोगों ने पत्र लिखा था। ऐसे में वे केवल चार लोगों को ही क्यों निलंबित कर रहे हैं।’
विश्वविद्यालय ने विरोध प्रदर्शन में शिक्षकों की भागीदारी की जांच के लिए इस साल मई में एक फैक्ट फाइंडिंग टीम का गठन किया है।
नाम न बताने की शर्त पर एक अन्य शिक्षक ने कहा, ‘19 मई 2023 को इस टीम के साथ बातचीत के दौरान निलंबित शिक्षकों को कार्य दिवस के अंत तक 132 से 246 प्रश्नों के उत्तर लिखित रूप में कलम और कागज का उपयोग करके और समिति के सदस्यों के सामने बैठकर देने के लिए कहा गया था।’
उन्होंने कहा, ‘पूरी घटना शिक्षकों के खिलाफ प्रतिशोध लेने और उन्हें दंडित करने के लिए एक आधार स्थापित करने की प्रतीत होती है।’
चारों शिक्षकों ने 19 मई को सवालों का जवाब नहीं दिया, बल्कि 25 मई को कार्यवाहक अध्यक्ष से इस मुद्दे पर चर्चा करने और यदि आवश्यक हो तो कोई स्पष्टीकरण देने के लिए एक बैठक के लिए अनुरोध किया। इसके बाद 16 जून को विश्वविद्यालय ने आदेश जारी कर चारों शिक्षकों को निलंबित कर दिया।
Courtesy: The Wire
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित साउथ एशियन यूनिवर्सिटी (एसएयू) ने कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ अपने चार संकाय सदस्यों को निलंबित कर दिया है।
इन चारों शिक्षकों पर विश्वविद्यालय की आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए ‘इसके हितों के खिलाफ छात्रों को भड़काने’ का आरोप लगाया गया है।
यह कार्रवाई स्नातकोत्तर छात्रों के लिए मासिक वजीफे में कटौती के विरोध में पिछले साल छात्रों के कई महीने चले विरोध प्रदर्शन के बाद की गई है।
निलंबित शिक्षकों में से एक ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘यह विश्वविद्यालय में चार लोगों के खिलाफ एक लक्षित कार्रवाई की तरह लग रहा है, जो प्रशासन को मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए कहने की कोशिश कर रहे थे।’
साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने चार शिक्षकों के निलंबन की पुष्टि की है। निलंबित किए गए शिक्षकों में अर्थशास्त्र विभाग से डॉ। स्नेहाशीष भट्टाचार्य, कानूनी अध्ययन विभाग से डॉ। श्रीनिवास बुर्रा, सामाजिक विज्ञान विभाग से डॉ। इरफानुल्लाह फारूकी और सामाजिक विज्ञान विभाग से डॉ। रवि कुमार शामिल हैं।
16 जून को जारी एक कार्यालय आदेश में कहा गया है, ‘विनियम 17.8 और विश्वविद्यालय के उपनियमों में निर्धारित आचार संहिता के तहत कदाचार के आरोप हैं, जिनकी जांच की जानी चाहिए।’
दिसंबर 2022 में इन शिक्षकों को भेजे गए कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि शिक्षकों ने छात्रों को ‘सहकर्मियों, प्रशासन और विश्वविद्यालय के हित के खिलाफ’ भड़काया है।
यह भी पूछा गया है कि क्या शिक्षक ‘एजाज अहमद स्टडी सर्कल, साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा संचालित एक मार्क्सवादी स्टडी सर्कल’ का हिस्सा थे।
नोटिस में कहा गया है कि एक प्रदर्शनकारी छात्र ने परिसर में दिल्ली पुलिस के प्रवेश की निंदा करते हुए एक ईमेल प्रसारित किया था और शिक्षकों से पूछा था कि क्या वे किसी ‘मार्क्सवादी अध्ययन मंडल’ का हिस्सा थे।
निलंबित किए गए एक शिक्षक ने कहा, ‘विश्वविद्यालय ने शिक्षकों पर छात्रों को विरोध के लिए उकसाने, उचित कर्तव्यों का पालन करने में विफलता और एक मार्क्सवादी अध्ययन मंडल के साथ जुड़ाव होने का आरोप लगाया है।’
यह विश्वविद्यालय दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ के आठ सदस्य राज्यों द्वारा प्रायोजित एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय है। इससे पहले चाणक्यपुरी इलाके में स्थित इसके परिसर को हाल ही में मैदानगढ़ी में स्थानांतरित किया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2022 में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा स्नातकोत्तर छात्रों के लिए वजीफा 5,000 रुपये से घटाकर 3,000 रुपये करने के बाद छात्रों ने विरोध शुरू कर दिया। उनकी मांग है कि वजीफा कम करने की बजाय बढ़ाकर 7000 रुपये किया जाए।
हालांकि विश्वविद्यालय ने पहले वजीफा राशि को संशोधित कर 4,000 रुपये और फिर वापस 5,000 रुपये कर दिया, लेकिन छात्रों का विरोध जारी रहा। विश्वविद्यालय ने 7,000 रुपये के वजीफे की मांग को पूरा करने से इनकार कर दिया था।
अक्टूबर 2022 में प्रशासन ने कार्यवाहक अध्यक्ष के कार्यालय पर एकत्र हुए छात्रों को तितर-बितर करने के लिए परिसर में पुलिस को बुलाया। इसके बाद 13 शिक्षकों (संकाय सदस्य) ने विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि स्थिति में सुधार किया जाए।
नवंबर 2022 में विश्वविद्यालय ने पांच छात्रों के निष्कासन/निलंबन की घोषणा करते हुए आदेश जारी किए, जिसके बाद 15 शिक्षकों ने विश्वविद्यालय समुदाय को एक ईमेल लिखा, जिसमें विश्वविद्यालय प्रशासन के कार्यों के बारे में चिंता व्यक्त की गई, जो ‘किसी भी उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना लिए गए थे’।
छात्रों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी और नवंबर 2022 में ही कथित तौर पर छात्रों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को फिर से परिसर में बुलाया गया। भूख हड़ताल के दौरान कई छात्रों के बीमार पड़ने और छुट्टियों की घोषणा के बाद दिसंबर 2022 में विरोध प्रदर्शन खत्म हो गया। विरोध समाप्त होने के बाद शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
एक निलंबित शिक्षक ने कहा, ‘निलंबन पत्र में विश्वविद्यालय ने हमें कोई कारण नहीं बताया है। इसमें केवल विश्वविद्यालय के विनियमन के बारे में बताया गया है, जो मूल रूप से शिक्षक के कदाचार के बारे में है। उन्होंने हमें यह नहीं बताया कि क्या कदाचार हुआ है। हम इसलिए भी हैरान हैं, क्योंकि अक्टूबर 2022 में 13 लोगों और नवंबर 2022 में 15 लोगों ने पत्र लिखा था। ऐसे में वे केवल चार लोगों को ही क्यों निलंबित कर रहे हैं।’
विश्वविद्यालय ने विरोध प्रदर्शन में शिक्षकों की भागीदारी की जांच के लिए इस साल मई में एक फैक्ट फाइंडिंग टीम का गठन किया है।
नाम न बताने की शर्त पर एक अन्य शिक्षक ने कहा, ‘19 मई 2023 को इस टीम के साथ बातचीत के दौरान निलंबित शिक्षकों को कार्य दिवस के अंत तक 132 से 246 प्रश्नों के उत्तर लिखित रूप में कलम और कागज का उपयोग करके और समिति के सदस्यों के सामने बैठकर देने के लिए कहा गया था।’
उन्होंने कहा, ‘पूरी घटना शिक्षकों के खिलाफ प्रतिशोध लेने और उन्हें दंडित करने के लिए एक आधार स्थापित करने की प्रतीत होती है।’
चारों शिक्षकों ने 19 मई को सवालों का जवाब नहीं दिया, बल्कि 25 मई को कार्यवाहक अध्यक्ष से इस मुद्दे पर चर्चा करने और यदि आवश्यक हो तो कोई स्पष्टीकरण देने के लिए एक बैठक के लिए अनुरोध किया। इसके बाद 16 जून को विश्वविद्यालय ने आदेश जारी कर चारों शिक्षकों को निलंबित कर दिया।
Courtesy: The Wire