नई दिल्ली। 5 जून 1975 को 46 साल पूर्व जय प्रकाश नारायण द्वारा देश में संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया था। 5 जून को ही एक साल पूर्व मोदी सरकार कोरोना लॉकडाउन की आड़ में 3 कृषि अध्यादेश लेकर आई थी। इसी से संपूर्ण क्रांति की याद व कृषि क़ानूनों के विरोध में देश भर में किसानों ने भाजपा सांसदों के दफ्तरों के सामने क़ानूनों की प्रतियां फूंकी। कई जगह पुलिस से झड़प हुई। चंडीगढ़ में हरियाणा पुलिस के लाठीचार्ज में कई किसान घायल भी हुए। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा के किसी भी नेता के निजी कार्यक्रम का विरोध नहीं करने के ऐलान से भाजपा नेताओं को राहत मिली है। लेकिन सरकारी कार्यक्रमों का विरोध जारी रखने और आंदोलन को देश के 6.5 लाख गावों तक लेकर जाने की मुहिम मुश्किल बढ़ाने वाली है। इसकी शुरुआत यूपी और उत्तराखंड से होगी जहां अगले साल चुनाव होने हैं।
भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी और किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि आंदोलन को लेकर देश के साढ़े छह लाख गांवों में मोर्चा के नेता जाएंगे। इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से होगी। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी किसी नेता के निजी कार्यक्रमों का कोई विरोध नहीं करेंगे। केवल सरकारी कार्यक्रमों का विरोध होगा। छह जून को मंदसौर में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि कार्यक्रम रखा गया और पन्ना सिंह, बहादुर सिंह का शहीदी दिवस मनाया जाएगा।
यही नहीं, यूपी चुनाव में भाजपा को घेरने को लेकर किसानों ने जोरदार तैयारी की है। किसान नेता राकेश टिकैत ने किसानों का आह्वान करते हुए भाजपा से 10 सवाल पूछे हैं। किसानों से कहा कि भाजपा नेता जब गांव में आएं तो उनसे ये सवाल पूछे। यह अभियान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि साल 2022 के शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने हैं। लिहाजा टिकैत समेत किसान नेताओं की रणनीति है बीजेपी को पश्चिमी यूपी में घेरा जाए। अगर किसानों का मुद्दा चुनाव में हावी रहा तो बंगाल व पंचायत चुनाव की तरह सत्ताधारी बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है।
ये 10 सवाल हैं।
1. छह माह से दिल्ली के चारों ओर अपनी जायज मांगों को लेकर धरने पर बैठे किसानों के लिए आप और आपके जनप्रतिनिधि उनकी आवाज क्यों नहीं बने?
2. कोरोना काल में आम जनता ने दवाई और ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ा, संयुक्त किसान मोर्चा ने ऑक्सीजन बैंक खोले, दवाईयां बंटवाईं, लोगों को अस्पताल पहुंचाया, ऐसे वक्त आप कहां थे?
3. कोरोना काल में कॉरपोरेट की तर्ज पर किसानों के ऋण माफ क्यों नहीं हुए, किसानों को आर्थिक पैकेज क्यों नहीं दिया गया। सब्सिडी कंपनियों के बजाय सीधे किसानों को क्यों नहीं दी गई?
4. किसानों की आय 2022 तक दोगनी करने के वायदे का क्या हुआ, कृषि आयोग का गठन अब तक क्यों नहीं हुआ?
5. गन्ना किसानों का वायदे के मुताबिक 14 दिनों में भुगतान क्यों नहीं किया गया अथवा उसके बाद ब्याज क्यों नहीं मिला। चार साल में यूपी में गन्ने पर एक भी रुपया क्यों नहीं बढ़ाया गया?
6. स्वामीनाथन आयोग के अनुसार किसानों को कृषि उपज का दाम क्यों नहीं मिला, सी2 प्लस 50 फार्मूले पर अमल क्यों नहीं किया गया?
7. कृषि न्यायालय की स्थापना क्यों नहीं हुई, किसान आत्महत्याओं पर श्वेत पत्र जारी क्यों नहीं हुआ?
8. मनरेगा में 200 दिनों का रोजगार देने का वायदा क्या हुआ, प्रत्येक गांव में स्कूल और अस्पताल के वादे का क्या हुआ?
9. किसानों के लिए बिजली का निजीकरण क्यों किया जा रहा? इससे किसान ही नहीं, दो पशु रखने वाले मजदूर तक की जीविका खतरे में पड़ेगी।
10. कोरोना काल में अनाथ हुए किसानों के बच्चों की शिक्षा और रोजगार की व्यवस्था के लिए क्या किया? कोरोना के शिकार किसान परिवार को मुआवजा दिलाने के लिए क्या किया।
भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी और किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि आंदोलन को लेकर देश के साढ़े छह लाख गांवों में मोर्चा के नेता जाएंगे। इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से होगी। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी किसी नेता के निजी कार्यक्रमों का कोई विरोध नहीं करेंगे। केवल सरकारी कार्यक्रमों का विरोध होगा। छह जून को मंदसौर में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि कार्यक्रम रखा गया और पन्ना सिंह, बहादुर सिंह का शहीदी दिवस मनाया जाएगा।
यही नहीं, यूपी चुनाव में भाजपा को घेरने को लेकर किसानों ने जोरदार तैयारी की है। किसान नेता राकेश टिकैत ने किसानों का आह्वान करते हुए भाजपा से 10 सवाल पूछे हैं। किसानों से कहा कि भाजपा नेता जब गांव में आएं तो उनसे ये सवाल पूछे। यह अभियान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि साल 2022 के शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने हैं। लिहाजा टिकैत समेत किसान नेताओं की रणनीति है बीजेपी को पश्चिमी यूपी में घेरा जाए। अगर किसानों का मुद्दा चुनाव में हावी रहा तो बंगाल व पंचायत चुनाव की तरह सत्ताधारी बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है।
ये 10 सवाल हैं।
1. छह माह से दिल्ली के चारों ओर अपनी जायज मांगों को लेकर धरने पर बैठे किसानों के लिए आप और आपके जनप्रतिनिधि उनकी आवाज क्यों नहीं बने?
2. कोरोना काल में आम जनता ने दवाई और ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ा, संयुक्त किसान मोर्चा ने ऑक्सीजन बैंक खोले, दवाईयां बंटवाईं, लोगों को अस्पताल पहुंचाया, ऐसे वक्त आप कहां थे?
3. कोरोना काल में कॉरपोरेट की तर्ज पर किसानों के ऋण माफ क्यों नहीं हुए, किसानों को आर्थिक पैकेज क्यों नहीं दिया गया। सब्सिडी कंपनियों के बजाय सीधे किसानों को क्यों नहीं दी गई?
4. किसानों की आय 2022 तक दोगनी करने के वायदे का क्या हुआ, कृषि आयोग का गठन अब तक क्यों नहीं हुआ?
5. गन्ना किसानों का वायदे के मुताबिक 14 दिनों में भुगतान क्यों नहीं किया गया अथवा उसके बाद ब्याज क्यों नहीं मिला। चार साल में यूपी में गन्ने पर एक भी रुपया क्यों नहीं बढ़ाया गया?
6. स्वामीनाथन आयोग के अनुसार किसानों को कृषि उपज का दाम क्यों नहीं मिला, सी2 प्लस 50 फार्मूले पर अमल क्यों नहीं किया गया?
7. कृषि न्यायालय की स्थापना क्यों नहीं हुई, किसान आत्महत्याओं पर श्वेत पत्र जारी क्यों नहीं हुआ?
8. मनरेगा में 200 दिनों का रोजगार देने का वायदा क्या हुआ, प्रत्येक गांव में स्कूल और अस्पताल के वादे का क्या हुआ?
9. किसानों के लिए बिजली का निजीकरण क्यों किया जा रहा? इससे किसान ही नहीं, दो पशु रखने वाले मजदूर तक की जीविका खतरे में पड़ेगी।
10. कोरोना काल में अनाथ हुए किसानों के बच्चों की शिक्षा और रोजगार की व्यवस्था के लिए क्या किया? कोरोना के शिकार किसान परिवार को मुआवजा दिलाने के लिए क्या किया।