लखीमपुर खीरी में कुचलकर मारे गए किसानों की अंतिम अरदास 12 अक्टूबर को 'शहीद किसान दिवस' के रूप में मनाया जाएगा। यही नहीं, संयुक्त किसान मोर्चा ने दो टूक कहा है कि आरोप सही है तो गिरफ़्तारी क्यों नहीं की जा रही है? मोर्चा ने अंतिम अरदास से पहले यानी 11 अक्टूबर तक (गिरफ्तारी और गृह राज्य मंत्री की बर्खास्तगी आदि की) मांगें पूरी नहीं होने पर 18 अक्टूबर को ''देशव्यापी रेल रोको' का ऐलान किया है।
मोर्चा नेताओं ने 12 अक्टूबर 'शहीद किसान दिवस' को पूरे उत्तर प्रदेश और भारत के किसानों से तिकोनिया में लखीमपुर किसान हत्याकांड के 5 शहीदों की अंतिम अरदास में शामिल होने की अपील की है। वहां से मोदी और योगी सरकार पर दबाव बनाने और किसानों के नरसंहार को न्याय दिलाने के लिए सिलसिलेवार कदम उठाए जाएंगे। संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने लोगों से 12 अक्टूबर को गुरुद्वारों, मंदिरों, चर्चों, मस्जिदों और किसी भी अन्य सार्वजनिक स्थानों पर प्रार्थना सभा और श्रद्धांजलि सभा आयोजित करने की अपील की। मोर्चा की अपील है कि 12 अक्टूबर की शाम को मोमबत्ती जलूस का आयोजन किया जाए। सभी शांतिप्रिय नागरिकों से आग्रह है कि वे इन मोमबत्तियों की रोशनी में शामिल हों या 5 शहीदों को श्रद्धांजलि के रूप में अपने घरों के बाहर 5 मोमबत्तियां जलाएं। इस दिन, किसान आंदोलन में भाग लेने वाले सभी नागरिक, संघर्ष के लिए फिर से प्रतिबद्ध होंगे जब तक कि हम अपनी सभी मांगों को पूरा नहीं कर लेते और यह सुनिश्चित नहीं कर लेते कि शहीदों का बलिदान व्यर्थ न जाए।
संयुक्त किसान मोर्चा ने यूपी सरकार की जांच के साथ सीबीआई जांच के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की चिंताओं को भी गंभीर माना है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार की सुनवाई के दौरान अपनी टिप्पणियों के माध्यम से संकेत दिया था कि इस मामले में शामिल व्यक्तियों के कारण सीबीआई जांच भी सही समाधान नहीं है। सुप्रीम कोर्ट से इस तरह की तीखी टिप्पणी के बाद भी अजय मिश्रा को मंत्री बनाए रखना मोदी सरकार के लिए बेहद शर्मनाक स्थिति को बयां करता है। मोर्चा नेताओं का कहना है कि मामले में स्थानीय जांच और सीबीआई जांच दोनों का समाधान नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट से पूरी तरह सहमत है और यूपी सरकार द्वारा गठित एसआईटी और न्यायिक जांच दोनों को खारिज करते हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि वह संतुष्ट नहीं है। मोर्चा भी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक निष्पक्ष जांच की मांग करता है और कोर्ट के उस आदेश का स्वागत करता है जिसमें यूपी पुलिस को सभी सबूतों को बरकरार रखने के लिए कहा गया है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि अन्य व्यक्तियों जिन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए था, को भी अब तक यूपी सरकार ने गिरफ्तार नहीं किया है। संयुक्त किसान मोर्चा, सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की रिपोर्टों से समझ गया है और यूपी सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने भी स्वीकार किया है कि (आशीष मिश्रा और सहयोगियों के खिलाफ) आरोप सही हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि “आज और कल के बीच कमी को पूरा किया जाएगा”। मोर्चा एक बार फिर मांग करता है कि आशीष मिश्रा, सुमित जायसवाल, अंकित दास और अन्य को तुरंत गिरफ्तार किया जाए, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में अगर 302 का केस दर्ज होता हैं, तो पुलिस जाती है और आरोपी को गिरफ्तार करती है।
संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने किसानों के खिलाफ साजिश रचने के अलावा दुश्मनी, नफरत और द्वेष को बढ़ावा देने और हत्या के आरोप में मंत्री अजय मिश्रा टेनी को तत्काल बर्खास्त करने और गिरफ्तार करने की भी मांग दोहराते हुए हैरानी भी जतायी है। कहा यह समझ से परे है कि वीडियो आदि के स्पष्ट सबूतों के बाद भी वह मोदी सरकार में मंत्री के रूप में कैसे बने रह सकते हैं? खास है कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में हुई हिंसा में चार किसानों समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी। किसानों को थार गाड़ी से टक्कर मारी गई थी। किसानों का दावा है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा काफिले में सवार थे। हालांकि, आशीष व उनके पिता अजय मिश्रा ने आरोपों से इनकार किया है। आशीष मिश्रा इस मामले में मुख्य आरोपी हैं। उन्हें पुलिस ने शुक्रवार को तलब किया था लेकिन पेश नहीं हुए। इसके बाद पुलिस ने दोबारा नोटिस दिया है। अजय मिश्रा का कहना है कि उनके बेटे की तबीयत खराब थी इसलिए पेश नहीं हुए। शनिवार को पेश होंगे।
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जगी न्याय की उम्मीद
सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से लखीमपुर कांड में स्वत: संज्ञान लेते हुए योगी सरकार को फटकार लगाई है उससे मामले में मरे 8 लोगों के परिजनों को भी न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। वहीं, सुप्रीम हस्तक्षेप के बाद योगी सरकार की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। ,मामले के आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे की अभी तक गिरफ्तारी न होने से योगी सरकार की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल इस घटना से पहले एक कार्यक्रम में गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के किसानों को ‘सुधर जाओ वरना सुधार दिया जाओगे’ बयान पर भाजपा का चुप्पी साध लेना लोगों को अखर रहा है। वैसे भी अजय मिश्रा का रिकार्ड आपराधिक प्रवृत्ति का रहा है। वह खुद उस कार्यक्रम में सांसद बनने के पहले के अपने रिकार्ड का जिक्र कर रहे हैं। हालांकि योगी सरकार ने घटना में कोई साक्ष्य न मिलने की बात कहकर एक तरह से आशीष को क्लीन चिट दे दी है। लेकिन सभी जानते हैं कि देशव्यापी प्रतिक्रिया और सियासत से बीजेपी के लिए ये मामला गले की फांस बन गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि मामले में अब तक क्या कार्रवाई हुई है और कितनी गिरफ्तारी हुई है। कोर्ट ने रिपोर्ट पेश करने को कहा है। दूसरी ओर, मामले में तमाम विपक्षी दल हमलावर है और लखीमपुर पहुंच रहे हैं।
प्रियंका गांधी व अखिलेश यादव आदि नेताओं ने तो पूरी तरह से मोर्चा खोलते हुए गृह राज्य मंत्री के इस्तीफे की मांग कर दी है। मामला इतना तूल पकड़ चुका है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट पर ही सवाल उठा दिये थे। खास है कि सिब्बल ने मामले में सुप्रीम कोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने की बात कही थी। अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव को ध्यान में रखकर कोई भी विपक्षी दल इस मुददे को ठंडा होने नहीं देना चाहता है। ऐसे में कोर्ट का यूं सरकार से सवाल और रिपोर्ट की पेशकश निश्चित ही योगी मोदी सरकार और बीजेपी के लिए परेशानी का सबब है।
उधर लखीमपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद अपने उकसाऊ और भड़काऊ बयानों पर हरियाणा सीएम मनोहर लाल खट्टर ने माफी मांगी है। खट्टर ने पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में किसानों के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले अपने बयानों के लिए माफी मांगते हुए, कहा है कि वह अपने बयान वापस ले रहे हैं। उन्होंने कल कैथल में अपना कार्यक्रम भी रद्द कर दिया क्योंकि किसानों ने उनके दौरे और कार्यक्रम में भाग लेने के खिलाफ पहले ही विरोध की घोषणा कर दी थी। मोर्चा हरियाणा के इन घटनाक्रमों का स्वागत करता है और इसे किसानों की जीत मानता है। मोर्चा नेताओं ने यह भी कहा कि खट्टर का भाषण, भाजपा की उस मानसिकता को दर्शाता है, जो किसानों के शांतिपूर्ण विरोध को हिंसक बनाने और उन्हें कुचलने का प्रयास करती है। यह स्पष्ट है कि आंदोलन को कुचलने के पहले के सभी हथकंडे सफल नहीं हुए और भाजपा आरएसएस की ताकतें अब हिंसक तरीकों से किसानों को कुचलने की कोशिश कर रही हैं। किसान आंदोलन इन गंदी चालों से पूरी तरह वाकिफ है और इससे खुद को सुरक्षित रखेगा। मोर्चा ने कहा कि लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीकों से, ज्यादा से ज्यादा गांवों में अधिक से अधिक किसानों को भाजपा की किसान विरोधी और अलोकतांत्रिक हिंसक मानसिकता से अवगत कराया जाएगा, और जब तक सरकार द्वारा सभी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है, तब तक आंदोलन को और मजबूत किया जाएगा।
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मोर्चा नेताओं ने 12 अक्टूबर 'शहीद किसान दिवस' को पूरे उत्तर प्रदेश और भारत के किसानों से तिकोनिया में लखीमपुर किसान हत्याकांड के 5 शहीदों की अंतिम अरदास में शामिल होने की अपील की है। वहां से मोदी और योगी सरकार पर दबाव बनाने और किसानों के नरसंहार को न्याय दिलाने के लिए सिलसिलेवार कदम उठाए जाएंगे। संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने लोगों से 12 अक्टूबर को गुरुद्वारों, मंदिरों, चर्चों, मस्जिदों और किसी भी अन्य सार्वजनिक स्थानों पर प्रार्थना सभा और श्रद्धांजलि सभा आयोजित करने की अपील की। मोर्चा की अपील है कि 12 अक्टूबर की शाम को मोमबत्ती जलूस का आयोजन किया जाए। सभी शांतिप्रिय नागरिकों से आग्रह है कि वे इन मोमबत्तियों की रोशनी में शामिल हों या 5 शहीदों को श्रद्धांजलि के रूप में अपने घरों के बाहर 5 मोमबत्तियां जलाएं। इस दिन, किसान आंदोलन में भाग लेने वाले सभी नागरिक, संघर्ष के लिए फिर से प्रतिबद्ध होंगे जब तक कि हम अपनी सभी मांगों को पूरा नहीं कर लेते और यह सुनिश्चित नहीं कर लेते कि शहीदों का बलिदान व्यर्थ न जाए।
संयुक्त किसान मोर्चा ने यूपी सरकार की जांच के साथ सीबीआई जांच के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की चिंताओं को भी गंभीर माना है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार की सुनवाई के दौरान अपनी टिप्पणियों के माध्यम से संकेत दिया था कि इस मामले में शामिल व्यक्तियों के कारण सीबीआई जांच भी सही समाधान नहीं है। सुप्रीम कोर्ट से इस तरह की तीखी टिप्पणी के बाद भी अजय मिश्रा को मंत्री बनाए रखना मोदी सरकार के लिए बेहद शर्मनाक स्थिति को बयां करता है। मोर्चा नेताओं का कहना है कि मामले में स्थानीय जांच और सीबीआई जांच दोनों का समाधान नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट से पूरी तरह सहमत है और यूपी सरकार द्वारा गठित एसआईटी और न्यायिक जांच दोनों को खारिज करते हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि वह संतुष्ट नहीं है। मोर्चा भी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक निष्पक्ष जांच की मांग करता है और कोर्ट के उस आदेश का स्वागत करता है जिसमें यूपी पुलिस को सभी सबूतों को बरकरार रखने के लिए कहा गया है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि अन्य व्यक्तियों जिन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए था, को भी अब तक यूपी सरकार ने गिरफ्तार नहीं किया है। संयुक्त किसान मोर्चा, सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की रिपोर्टों से समझ गया है और यूपी सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने भी स्वीकार किया है कि (आशीष मिश्रा और सहयोगियों के खिलाफ) आरोप सही हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि “आज और कल के बीच कमी को पूरा किया जाएगा”। मोर्चा एक बार फिर मांग करता है कि आशीष मिश्रा, सुमित जायसवाल, अंकित दास और अन्य को तुरंत गिरफ्तार किया जाए, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में अगर 302 का केस दर्ज होता हैं, तो पुलिस जाती है और आरोपी को गिरफ्तार करती है।
संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने किसानों के खिलाफ साजिश रचने के अलावा दुश्मनी, नफरत और द्वेष को बढ़ावा देने और हत्या के आरोप में मंत्री अजय मिश्रा टेनी को तत्काल बर्खास्त करने और गिरफ्तार करने की भी मांग दोहराते हुए हैरानी भी जतायी है। कहा यह समझ से परे है कि वीडियो आदि के स्पष्ट सबूतों के बाद भी वह मोदी सरकार में मंत्री के रूप में कैसे बने रह सकते हैं? खास है कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में हुई हिंसा में चार किसानों समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी। किसानों को थार गाड़ी से टक्कर मारी गई थी। किसानों का दावा है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा काफिले में सवार थे। हालांकि, आशीष व उनके पिता अजय मिश्रा ने आरोपों से इनकार किया है। आशीष मिश्रा इस मामले में मुख्य आरोपी हैं। उन्हें पुलिस ने शुक्रवार को तलब किया था लेकिन पेश नहीं हुए। इसके बाद पुलिस ने दोबारा नोटिस दिया है। अजय मिश्रा का कहना है कि उनके बेटे की तबीयत खराब थी इसलिए पेश नहीं हुए। शनिवार को पेश होंगे।
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जगी न्याय की उम्मीद
सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से लखीमपुर कांड में स्वत: संज्ञान लेते हुए योगी सरकार को फटकार लगाई है उससे मामले में मरे 8 लोगों के परिजनों को भी न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। वहीं, सुप्रीम हस्तक्षेप के बाद योगी सरकार की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। ,मामले के आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे की अभी तक गिरफ्तारी न होने से योगी सरकार की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल इस घटना से पहले एक कार्यक्रम में गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के किसानों को ‘सुधर जाओ वरना सुधार दिया जाओगे’ बयान पर भाजपा का चुप्पी साध लेना लोगों को अखर रहा है। वैसे भी अजय मिश्रा का रिकार्ड आपराधिक प्रवृत्ति का रहा है। वह खुद उस कार्यक्रम में सांसद बनने के पहले के अपने रिकार्ड का जिक्र कर रहे हैं। हालांकि योगी सरकार ने घटना में कोई साक्ष्य न मिलने की बात कहकर एक तरह से आशीष को क्लीन चिट दे दी है। लेकिन सभी जानते हैं कि देशव्यापी प्रतिक्रिया और सियासत से बीजेपी के लिए ये मामला गले की फांस बन गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि मामले में अब तक क्या कार्रवाई हुई है और कितनी गिरफ्तारी हुई है। कोर्ट ने रिपोर्ट पेश करने को कहा है। दूसरी ओर, मामले में तमाम विपक्षी दल हमलावर है और लखीमपुर पहुंच रहे हैं।
प्रियंका गांधी व अखिलेश यादव आदि नेताओं ने तो पूरी तरह से मोर्चा खोलते हुए गृह राज्य मंत्री के इस्तीफे की मांग कर दी है। मामला इतना तूल पकड़ चुका है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट पर ही सवाल उठा दिये थे। खास है कि सिब्बल ने मामले में सुप्रीम कोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने की बात कही थी। अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव को ध्यान में रखकर कोई भी विपक्षी दल इस मुददे को ठंडा होने नहीं देना चाहता है। ऐसे में कोर्ट का यूं सरकार से सवाल और रिपोर्ट की पेशकश निश्चित ही योगी मोदी सरकार और बीजेपी के लिए परेशानी का सबब है।
उधर लखीमपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद अपने उकसाऊ और भड़काऊ बयानों पर हरियाणा सीएम मनोहर लाल खट्टर ने माफी मांगी है। खट्टर ने पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में किसानों के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले अपने बयानों के लिए माफी मांगते हुए, कहा है कि वह अपने बयान वापस ले रहे हैं। उन्होंने कल कैथल में अपना कार्यक्रम भी रद्द कर दिया क्योंकि किसानों ने उनके दौरे और कार्यक्रम में भाग लेने के खिलाफ पहले ही विरोध की घोषणा कर दी थी। मोर्चा हरियाणा के इन घटनाक्रमों का स्वागत करता है और इसे किसानों की जीत मानता है। मोर्चा नेताओं ने यह भी कहा कि खट्टर का भाषण, भाजपा की उस मानसिकता को दर्शाता है, जो किसानों के शांतिपूर्ण विरोध को हिंसक बनाने और उन्हें कुचलने का प्रयास करती है। यह स्पष्ट है कि आंदोलन को कुचलने के पहले के सभी हथकंडे सफल नहीं हुए और भाजपा आरएसएस की ताकतें अब हिंसक तरीकों से किसानों को कुचलने की कोशिश कर रही हैं। किसान आंदोलन इन गंदी चालों से पूरी तरह वाकिफ है और इससे खुद को सुरक्षित रखेगा। मोर्चा ने कहा कि लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीकों से, ज्यादा से ज्यादा गांवों में अधिक से अधिक किसानों को भाजपा की किसान विरोधी और अलोकतांत्रिक हिंसक मानसिकता से अवगत कराया जाएगा, और जब तक सरकार द्वारा सभी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है, तब तक आंदोलन को और मजबूत किया जाएगा।
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