(लंका चढ़ाई वानर सेना न्यूज़ चैनल): एक बात बोलूं!! इस देश के न्यूज़ चैनलों ने अयोध्या की सुपारी ले ली है। जावेद अख्तर ने एक न्यूज चैनल की एंकर से ठीक पूछा था--"इस मुद्दे को कितनी बार चलाया था आपने? टीआरपी मिली थी या नहीं??" लेकिन अब मामला टीआरपी से कहीं आगे निकल चुका है। ऐसा लग रहा है कि न्यूज़ चैनलों के मालिक और एडिटर-पत्रकार ही अयोध्या में मंदिर बनाने के लिए पार्टी बन गए हैं। सवाल पूछा जा रहा है कि संसद (देश की) नहीं तो धर्म संसद बनाएगा अयोध्या में राम मंदिर??!! भगवान कब तक टेंट में रहेंगे? हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ क्यों?!!
मतलब ऐसा लग रहा है कि न्यूज़ चैनलों के पत्रकारों ने मंदिर के लिए सुपर सुपारी मुंह में रख ली है। कि हम पूरा माहौल बना देंगे। लोगों में भावनाएं भड़का देंगे। ज़रूरत पड़ी तो दंगा भी करवा देंगे। इसके बदले न्यूज़ चैनलों को क्या मिला होगा अगर ये जानना है तो वो स्टिंग आपरेशन याद कीजिये जिसमें न्यूज़ चैनलों के बड़े अफसर कुछ करोड़ रुपये के लिए एक खास पार्टी के पक्ष में खबर चलाने और हिन्दू-मुस्लिम भावना यानी साम्प्रदायिकता भड़काने के लिए तैयार हो गए थे। सिर्फ कुछ करोड़ रुपयों के विज्ञापन के लिए।
तो सोचिए कि जब चुनाव सिर पे हैं तो अब तक सिया हुआ मीडिया किसके इशारे पे अयोध्या पे पिला हुआ है??!! सिर्फ मंदिर, मंदिर, मंदिर। चार प्लांटेड लोगों और साधुओं को लेकर चर्चा करा रहे हैं जिसका नतीजा ये निकलता है कि भगवान राम को कष्ट है, मंदिर अब बनाना ही होगा। उनसे चैनल वाले ये नहीं पूछ रहे कि 1992 के बाद से अब तक कहाँ भांग खा के पड़े थे बे जो आज फिर मंदिर की याद आ गयी?? अब तक मरे हुए थे कि पाताल लोक में समाधि लगाए हुए थे??!!
पर न्यूज़ चैनलों के बिके हुए एंकर्स ये सवाल उनसे नहीं पूछेंगे। वे बिका हुआ सवाल पूछ रहे हैं कि अब क्या करेंगे? कैसे बनेगा मंदिर??!! तो जाहिर है कि जवाब भड़काऊ मिलेगा की जान दे देंगे मंदिर के लिए। इसके बाद फिर एक प्लांटेड और भड़काऊ सवाल। ऐसा लग ही नहीं रहा कि हम टीभी न्यूज़ चैनल देख रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि भगवान राम की वानर सेना की लंका चढ़ाई वाला न्यूज़ चैनल देख रहे हैं। कि सबको मार-काट देना है। अभी के अभी।
कल को अगर मेरे हाथ में देश की बागडोर आयी तो (पीएम तो कोई भी बन सकता है ना!) तो सबसे पहले मीडिया के इस आचरण को नियंत्रित करने का क़ानून बनाऊंगा कि सरकार किसी की भी हो, मीडिया बिककर देश में साम्प्रदायिकता का ज़हर ना घोल सके और विपक्ष के नेताओं की फ़र्ज़ी खबर चलाकर उनका मजाक ना बना सके। इसके लिए एक independent commission बनाऊंगा और उसे पूरी ताकत दूंगा कि वो सरकार-पूंजीपतियों द्वारा मीडिया के गलत इस्तेमाल पर डंडा चला सके। स्वतः संज्ञान ले सके और दोषियों को दंडित कर सके। दोषी न्यूज़ चैनलों और अखबारों को दंडित करने का वो प्रावधान रखूंगा कि अगली बार बिकने से पहले मीडिया का मालिक सौ दफा सोचेगा और अगर समझदार होगा तो ये धंधा छोड़कर तपस्या के लिए हिमालय निकल जायेगा।
इस देश के लोकतंत्र को बचाने का अब यही तरीका रह गया है। और उम्मीद मत करिए कि कोई भी सरकार ऐसा कोई कमीशन बनाएगी जो मीडिया को बिकने से रोकेगा क्योंकि जो भी पार्टी सत्ता में होगी, वो मीडिया को खरीदना चाहेगी। ये क़ानून सिर्फ मेरे जैसा आदमी बना सकता है और मेरे पीएम बनने के कितने chances हैं, ये आपको मालूम ही है। वैसे एक बड़ा चैनल पूछ रहा है- माहौल तो बन गया, मंदिर भी बनेगा?? उस चैनल के पत्रकार को मेरा जवाब है कि जिस दिन तेरे पिछवाड़े पे 10 लात मारकर तुझे नौकरीं से निकाला जाएगा, उसी दिन राम मंदिर बनाने का काम आरम्भ हो जाएगा। पहली ईंट अयोध्या जाकर मैं खुद रखूंगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और भारतीय जन संचार संस्थान में अध्यापन कार्य करते रहे हैं. यह उनकी फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है.)
मतलब ऐसा लग रहा है कि न्यूज़ चैनलों के पत्रकारों ने मंदिर के लिए सुपर सुपारी मुंह में रख ली है। कि हम पूरा माहौल बना देंगे। लोगों में भावनाएं भड़का देंगे। ज़रूरत पड़ी तो दंगा भी करवा देंगे। इसके बदले न्यूज़ चैनलों को क्या मिला होगा अगर ये जानना है तो वो स्टिंग आपरेशन याद कीजिये जिसमें न्यूज़ चैनलों के बड़े अफसर कुछ करोड़ रुपये के लिए एक खास पार्टी के पक्ष में खबर चलाने और हिन्दू-मुस्लिम भावना यानी साम्प्रदायिकता भड़काने के लिए तैयार हो गए थे। सिर्फ कुछ करोड़ रुपयों के विज्ञापन के लिए।
तो सोचिए कि जब चुनाव सिर पे हैं तो अब तक सिया हुआ मीडिया किसके इशारे पे अयोध्या पे पिला हुआ है??!! सिर्फ मंदिर, मंदिर, मंदिर। चार प्लांटेड लोगों और साधुओं को लेकर चर्चा करा रहे हैं जिसका नतीजा ये निकलता है कि भगवान राम को कष्ट है, मंदिर अब बनाना ही होगा। उनसे चैनल वाले ये नहीं पूछ रहे कि 1992 के बाद से अब तक कहाँ भांग खा के पड़े थे बे जो आज फिर मंदिर की याद आ गयी?? अब तक मरे हुए थे कि पाताल लोक में समाधि लगाए हुए थे??!!
पर न्यूज़ चैनलों के बिके हुए एंकर्स ये सवाल उनसे नहीं पूछेंगे। वे बिका हुआ सवाल पूछ रहे हैं कि अब क्या करेंगे? कैसे बनेगा मंदिर??!! तो जाहिर है कि जवाब भड़काऊ मिलेगा की जान दे देंगे मंदिर के लिए। इसके बाद फिर एक प्लांटेड और भड़काऊ सवाल। ऐसा लग ही नहीं रहा कि हम टीभी न्यूज़ चैनल देख रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि भगवान राम की वानर सेना की लंका चढ़ाई वाला न्यूज़ चैनल देख रहे हैं। कि सबको मार-काट देना है। अभी के अभी।
कल को अगर मेरे हाथ में देश की बागडोर आयी तो (पीएम तो कोई भी बन सकता है ना!) तो सबसे पहले मीडिया के इस आचरण को नियंत्रित करने का क़ानून बनाऊंगा कि सरकार किसी की भी हो, मीडिया बिककर देश में साम्प्रदायिकता का ज़हर ना घोल सके और विपक्ष के नेताओं की फ़र्ज़ी खबर चलाकर उनका मजाक ना बना सके। इसके लिए एक independent commission बनाऊंगा और उसे पूरी ताकत दूंगा कि वो सरकार-पूंजीपतियों द्वारा मीडिया के गलत इस्तेमाल पर डंडा चला सके। स्वतः संज्ञान ले सके और दोषियों को दंडित कर सके। दोषी न्यूज़ चैनलों और अखबारों को दंडित करने का वो प्रावधान रखूंगा कि अगली बार बिकने से पहले मीडिया का मालिक सौ दफा सोचेगा और अगर समझदार होगा तो ये धंधा छोड़कर तपस्या के लिए हिमालय निकल जायेगा।
इस देश के लोकतंत्र को बचाने का अब यही तरीका रह गया है। और उम्मीद मत करिए कि कोई भी सरकार ऐसा कोई कमीशन बनाएगी जो मीडिया को बिकने से रोकेगा क्योंकि जो भी पार्टी सत्ता में होगी, वो मीडिया को खरीदना चाहेगी। ये क़ानून सिर्फ मेरे जैसा आदमी बना सकता है और मेरे पीएम बनने के कितने chances हैं, ये आपको मालूम ही है। वैसे एक बड़ा चैनल पूछ रहा है- माहौल तो बन गया, मंदिर भी बनेगा?? उस चैनल के पत्रकार को मेरा जवाब है कि जिस दिन तेरे पिछवाड़े पे 10 लात मारकर तुझे नौकरीं से निकाला जाएगा, उसी दिन राम मंदिर बनाने का काम आरम्भ हो जाएगा। पहली ईंट अयोध्या जाकर मैं खुद रखूंगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और भारतीय जन संचार संस्थान में अध्यापन कार्य करते रहे हैं. यह उनकी फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है.)