कश्मीर: अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के विरोध में शेहला राशिद का सक्रिय राजनीति से सन्यास

Written by sabrang india | Published on: October 9, 2019
श्रीनगर। दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला राशिद ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान किया है। जेएनयू की कश्मीरी छात्रा शेहला ने एक ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी है। शेहला ने कहा है कि कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेना घाटी में केंद्र सरकार के ऐक्शन को सही ठहराना होगा।



शेहला राशिद ने ट्वीट में लिखा, 'कश्मीर में मुख्यधारा की राजनीति से मैं अपने आपको अलग करती हूं। जब केंद्र द्वारा चुनाव का नाटक हो रहा है, ऐसे हालात में चुनावी प्रक्रिया में भागीदारी, कश्मीर में भारत सरकार के उठाए गए कदमों को न्यायोचित ठहराना होगा।' इससे पहले जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को हटाए जाने के बाद शेहला ने कथित तौर पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया था। इसको लेकर उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज हुआ था।

राशिद ने ट्विटर पर सियासत से रिटायरमेंट का ऐलान करते हुए कहा, 'न्याय के लिए लड़ाई सच बोलने से थोड़ा ज्यादा मांगती है। मेरे खिलाफ कश्मीरी लोगों की आवाज उठाने पर देशद्रोह का केस दर्ज हुआ। लेकिन यह मुझे सच बोलने से नहीं रोक सकेगा। जहां कहीं भी मेरी आवाज जरूरी होगी वहां मैं आवाज उठाऊंगी।' बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 24 अक्टूबर को ब्लॉक डिवेलपमेंट काउंसिल (BDC) के चुनाव होने हैं। नतीजों की घोषणा भी उसी दिन की जाएगी।

बता दें कि नैशनल कॉन्‍फ्रेंस, वाम दलों, पीडीपी और कांग्रेस ने भी जम्‍मू-कश्‍मीर में ब्‍लॉक विकास परिषद (बीडीसी) के चुनावों में हिस्‍सा लेने से इनकार कर दिया है। जम्‍मू-कश्‍मीर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रमुख गुलाम अहमद मीर ने बुधवार को इसका ऐलान किया। जम्‍मू-कश्‍मीर के 310 ब्लॉक में 24 अक्‍टूबर को बीडीसी चुनाव होने हैं।

गुलाम अहमद मीर ने कहा, 'कश्मीर में राजनेता नजरबंद हैं। जब नेता हिरासत में हों तो किस तरह चुनाव हो सकते हैं। बीडीसी चुनावों का ऐलान करने से पहले चुनाव आयोग राजनीतिक दलों से बात करनी चाहिए थी। अगर सरकार नेताओं को रिहा कर देती तो हम भी चुनाव में हिस्‍सा लेते, लेकिन हम चुनाव का बॉयकॉट करेंगे।

शेहला राशिद खुद भी कश्मीरी हैं और मूल रूप से श्रीनगर की रहने वाली हैं। पांच अगस्त को आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही वह ट्विटर पर सरकार के खिलाफ लगातार सक्रिय रही हैं। अगस्त में शेहला ने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए कश्मीर में चिंताजनक हालात का दावा किया था। उन्होंने शोपियां में सुरक्षा बलों द्वारा कुछ लोगों को जबरन हिरासत में लेने और उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था।

सुरक्षा बलों पर लगाए आरोप के साथ ही कश्मीर की स्थिति को लेकर किए उनके ट्वीट पर सेना की ओर से प्रतिक्रिया आई। सेना ने शेहला के सारे आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि ये बेबुनियाद और तथ्यहीन दावे हैं, जिनमें कोई सच्चाई नहीं है। सैन्य बलों और प्रशासन का कहना है कि कश्मीर में स्थिति शांतिपूर्ण है और हालात नियंत्रण में हैं।

 

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