नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के सर्वर रूम में बायोमीट्रिक प्रणाली और सीसीटीवी संबंधी तोड़फोड़ जनवरी के पहले सप्ताह में नहीं हुई थी। विश्वविद्यालय ने यह बात एक आरटीआई आवेदन के जवाब में कही है।
यह विश्वविद्यालय प्रशासन के उन दावों के विपरीत है जिनमें कहा गया था कि छात्रों ने तीन जनवरी को बायोमीट्रिक प्रणाली और सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया था। तोड़फोड़ का आरोप लेफ्ट विंग के छात्रों पर लग रहा था। नेशनल कैम्पेन फॉर पीपुल्स राइट टू इन्फॉर्मेशन के सदस्य सौरव दास ने आरटीआई के तहत आवेदन दायर कर यह जानकारी मांगी थी।
विश्वविद्यालय द्वारा दी गई जानकारी में कहा गया है कि सेंटर फॉर इन्फॉर्मेशन सिस्टम (सीआईएस) में जेएनयू का मुख्य सर्वर तीन जनवरी को बंद हुआ था और अगले दिन यह ‘विद्युत आपूर्ति में बाधा की वजह से’ ठप हो गया। जवाब में यह भी कहा गया है कि पांच जनवरी को अपराह्न तीन बजे से रात 11 बजे तक जेएनयू परिसर के उत्तरी/मुख्य द्वार पर लगे कैमरों की कोई पूरी सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं है जिस दिन नकाबपोश लोगों ने परिसर में प्रवेश किया था और छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला किया था।
जेएनयू प्रशासन ने तीन जनवरी को दावा किया था कि नकाब पहने छात्रों के एक समूह ने सीआईएस में जबरन प्रवेश किया और विद्युत आपूर्ति बंद कर दी जिससे सर्वर, सीसीटीवी निगरानी, बायोमीट्रिक उपस्थिति और इंटरनेट सेवाएं निष्क्रिय हो गईं। आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा गया, ‘जेएनयू का मुख्य सर्वर तीन जनवरी को बंद हुआ और अगले दिन विद्युत आपूर्ति ठप होने से ठप हो गया।’
इसमें कहा गया, ‘30 दिसंबर 2019 से आठ जनवरी 2020 के बीच कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं टूटा।’ जवाब में यह भी कहा गया कि चार जनवरी को दोपहर एक बजे 17 फाइबर ऑप्टीकल केबल नष्ट हुईं। 30 दिसंबर 2019 से आठ जनवरी 2020 के बीच कोई बायोमीट्रिक प्रणाली नहीं टूटी।
आरटीआई आवेदन में यह भी पूछा गया कि क्या जेएनयू परिसर में सीआईएस कार्यालय के भीतर या आसपास सीसीटीवी कैमरों के सर्वर हैं। इसके जवाब में कहा गया कि सीसीटीवी कैमरों के सर्वर डेटा सेंटर में हैं, न कि सीआईएस कार्यालय में। इसमें यह भी कहा गया, ‘सीसीटीवी कैमरों की अवस्थिति का विवरण सुरक्षा कारणों से उपलब्ध नहीं कराया जा सकता।’
यह विश्वविद्यालय प्रशासन के उन दावों के विपरीत है जिनमें कहा गया था कि छात्रों ने तीन जनवरी को बायोमीट्रिक प्रणाली और सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया था। तोड़फोड़ का आरोप लेफ्ट विंग के छात्रों पर लग रहा था। नेशनल कैम्पेन फॉर पीपुल्स राइट टू इन्फॉर्मेशन के सदस्य सौरव दास ने आरटीआई के तहत आवेदन दायर कर यह जानकारी मांगी थी।
विश्वविद्यालय द्वारा दी गई जानकारी में कहा गया है कि सेंटर फॉर इन्फॉर्मेशन सिस्टम (सीआईएस) में जेएनयू का मुख्य सर्वर तीन जनवरी को बंद हुआ था और अगले दिन यह ‘विद्युत आपूर्ति में बाधा की वजह से’ ठप हो गया। जवाब में यह भी कहा गया है कि पांच जनवरी को अपराह्न तीन बजे से रात 11 बजे तक जेएनयू परिसर के उत्तरी/मुख्य द्वार पर लगे कैमरों की कोई पूरी सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं है जिस दिन नकाबपोश लोगों ने परिसर में प्रवेश किया था और छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला किया था।
जेएनयू प्रशासन ने तीन जनवरी को दावा किया था कि नकाब पहने छात्रों के एक समूह ने सीआईएस में जबरन प्रवेश किया और विद्युत आपूर्ति बंद कर दी जिससे सर्वर, सीसीटीवी निगरानी, बायोमीट्रिक उपस्थिति और इंटरनेट सेवाएं निष्क्रिय हो गईं। आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा गया, ‘जेएनयू का मुख्य सर्वर तीन जनवरी को बंद हुआ और अगले दिन विद्युत आपूर्ति ठप होने से ठप हो गया।’
इसमें कहा गया, ‘30 दिसंबर 2019 से आठ जनवरी 2020 के बीच कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं टूटा।’ जवाब में यह भी कहा गया कि चार जनवरी को दोपहर एक बजे 17 फाइबर ऑप्टीकल केबल नष्ट हुईं। 30 दिसंबर 2019 से आठ जनवरी 2020 के बीच कोई बायोमीट्रिक प्रणाली नहीं टूटी।
आरटीआई आवेदन में यह भी पूछा गया कि क्या जेएनयू परिसर में सीआईएस कार्यालय के भीतर या आसपास सीसीटीवी कैमरों के सर्वर हैं। इसके जवाब में कहा गया कि सीसीटीवी कैमरों के सर्वर डेटा सेंटर में हैं, न कि सीआईएस कार्यालय में। इसमें यह भी कहा गया, ‘सीसीटीवी कैमरों की अवस्थिति का विवरण सुरक्षा कारणों से उपलब्ध नहीं कराया जा सकता।’