गाय कटने से बाढ़ नहीं आती

Written by Bhanwar Meghwanshi | Published on: August 18, 2018
कुछ लोग केरल आपदा को गाय से जोड़ रहे है तो कुछ सबरीमाला मन्दिर में स्त्री प्रवेश से।



दोनो ही तरह के बंदबुद्धि भक्तों को यह समझना पड़ेगा कि ऐसी अवैज्ञानिक और मूर्खतापूर्ण बातें सिर्फ जबानी जुमलेबाजी करने तक ही ठीक हो सकती है ,वरना तर्क की कसौटी पर तो यह कतई खरी नहीं उतरती है।

इस भक्त प्रजाति को कहना चाहता हूं कि गायें सिर्फ केरल में ही नही कटती, गोवा, बंगाल और पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यो सहित विश्व भर के सैंकड़ों देशों में गौकशी होती है। वहां पर अभी सब कुछ सामान्य है।

जिन्हें लगता है कि यह सबरीमाला मन्दिर की वजह से हुआ है ,उनको भी अपने मस्तिष्क को खोलना होगा कि दुनियाभर के तमाम मंदिरों व अन्य धर्मस्थलों में स्त्रियां प्रविष्ट होती है, वहां कोई दिक्कत नहीं है।

केरल की बाढ़ अत्यधिक बारिश की वजह से है ,यह कुदरत का निजाम है ,इसकी चपेट में आस्तिक नास्तिक सब है, जो गाय को पूजते है वो भी डूब रहे है और जो गाय खाते हैं वो भी, जो मन्दिर जाते है वह भी मर रहे है और जो ईश्वर में यकीन नहीं रखते है वो भी, जो पानी के कहर से बचे हुये है, वो सभी आराम से जिंदा है।

बाढ़ के वैज्ञानिक कारण है, यह गौहत्या अथवा सबरीमाला से जुड़ा हुआ मामला नहीं है, यह समय केरल के मुसीबतजदा भारतीयों की मदद करने का है, गाय और सबरीमाला के नाम पर मूर्खतापूर्ण बातें करने का नहीं है।

यह बाढ़ केरल के हिन्दू,मुसलमान, ईसाई,आस्तिक नास्तिक, कम्युनिष्ट, कांग्रेसी, भाजपाई सबको लील रहा है, बिना विचारधारा का फरक किये बिना धर्म, जाति पूछे। इसलिए अगर कुछ कर सके तो कीजिये, नहीं कर सकते है तो चुप रहिये, मगर ऐसी बेहूदी बातें मत कीजिये। यह वक़्त केरल के साथ खड़े होकर सच्चे भारतीय होने का फर्ज अदा करने का है। अपनी मूर्खता दिखाने का नहीं।

(ये लेखक के निजी विचार हैं। भंवर मेघवंशी राजस्थान न्यूज 24 और शून्यकाल के संपादक हैं।)

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