EVM पर सवाल करने से रोकने वाले कानून को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस

Written by sabrang india | Published on: April 29, 2019
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान दो प्रकार की खबरें ही मीडिया पर छाई रहती हैं। पहली नेताओं के विवादित बयान और दूसरी ईवीएम में खराबी से जुड़ी जनता की शिकायत। सुप्रीम कोर्ट ने हालही में ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत गलत साबित होने पर सजा को लेकर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

ईवीएम में गड़बड़ी की बढ़ती शिकायतों से जनता का चुनाव प्रक्रिया पर से विश्वास कम होता जा रहा है। साथ ही देश के कई इलाके से इसकी शिकायतें भी की जा रही है। पर चुनाव नियमों के अनुसार शिकायत गलत साबित होने पर मतदाता को छः माह की जेल या 1000 रुपए का जुर्माना की सजा दी जा सकती है। जिसके चलते मतदाता भयभीत होकर शिकायत नहीं करते हैं।

इसी को देखते हुए मुंबई के सामाजिक कार्यकर्ता सुनील अहिया ने चुनाव आयोग के इन नियम को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान सुनील अहिया ने कहा कि चुनाव नियमों की धारा 49 MA के कारण मतदाता को भले ही पूर्ण रूप से विश्वास हो कि उनका मतदान दिये हुए दल के बजाय किसी और को चला गया फिर भी जेल या जुर्माने के डर से वो शिकायत नहीं करते हैं। मतदाताओं का बिना डर ईवीएम में खराबी की शिकायत दर्ज कराना मजबूत चुनाव प्रणाली के लिए जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद चुनाव आयोग को नोटिस भेज जवाब मांगा है।  

ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतें चुनाव के पहले चरण से ही आ रही हैं। पहले चरण के बाद ही काँग्रेस ने गड़बड़ी से जुड़ी 39 शिकायतें निर्वाचन आयोग के सामने दर्ज कराने का दावा किया था। दूसरे चरण के दौरान महाराष्ट्र के सोलापुर के शास्त्री नगर में स्थित मतदान केंद्र 217 से ईवीएम में खराबी की शिकायत आई थी। तीसरे चरण के दौरान भी केरल, यूपी सहित कई अन्य राज्यों से ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतें आई थीं।

फिलहाल चल रहे चुनाव के चौथे चरण में राजस्थान के बूंदी जिले के देई कस्बे से ईवीएम में खराबी की शिकायत आ रही थी। जिसके बाद सूचना मिलने पर उपखण्ड अधिकारी पूजा सक्सेना ने मौके पर पहुँच पूरा सेट अप बदलकर पुनः मतदान शुरू करवाया है। मतदाताओं ने भी आई रुकावट के बाद पूरे जोश के साथ मतदान किया है ।

गौरतलब है कि चुनाव के दौरान कई इलाको से शिकायतें आने के बाद विपक्ष ने भी सवाल उठाए थे। बीते सप्ताह विपक्ष के 21 दलों ने प्रत्येक विधानसभा सीट पर चुनाव आयोग से कम से कम 50% ईवीएम–वीवीपैट का मिलान कराने की माँग की थी। जिसके बाद मात्र 5% मिलान करने की ही अनुमति मिली थी। काँग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि आखिर जिन इलाकों में दलित वोट या अल्पसंख्यक वोट होने हैं वही ईवीएम क्यों खराब होते हैं और खराब ईवीएम से बीजेपी को ही क्यों वोट जा रहा है।

यह बात तो साफ है कि लोकसभा चुनाव 2019 में जीत हासिल करने के लिए सभी राजनीतिक दल अपना पूरा ज़ोर लगा रहे हैं। ऐसे में ईवीएम की गड़बड़ी से जनता का विश्वास कमजोर हो रहा है और चुनाव आयोग के नियम के कारण बेखौफ अपनी बात भी नहीं कह पा रही है। ऐसे में सुनील अहिया एक ओर जनता की आवाज़ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा रहे हैं वहीं सुप्रीम कोर्ट से मिली नोटिस के बाद चुनाव आयोग के जवाब पर अब विपक्ष और जनता सभी की नजर टिकी हुई हैं।

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