13 महीने 25 जगह काम करने का मामला

Published on: June 8, 2020
एक महिला शिक्षक के 13 महीने तक 25 जगह काम करने के मामले में दूसरे दोषियों का पता अभी तक नहीं चला है। उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंप सकती है। भ्रष्टाचार मुक्त देश के एक राज्य में कोई महिला अकले ऐसा कर पाएगी इसकी संभावना बहुत कम है लेकिन दूसरे दोषियों का पता कई दिनों तक न चले यह एक सच है। वैसे तो इसकी ही संभावना बहुत कम है। कोई महिला बिनी मिलीभगत किसी स्कूल में नियुक्त ही कैसे हो पाएगी और अगर नियुक्त हो गई तो उसकी अनुपस्थिति कैसे नहीं दिखेगी और अनुपस्थित होने के बावजूद वेतन कैसे बन जाएगा और यह सब ईमानदारी के डबल इंजन वाले राज में कैसे हो पाया।



कमेंट बॉक्स में लिंक वाली इस खबर से लग रहा है कि शिक्षा मंत्री किसी एक 'वास्तविक' अपराधी की तलाश में हैं जबकि 25 जगह नियुक्ति बिना उपस्थिति या किसी अन्य की उपस्थिति पर 13 महीने तक वेतन बनने के लिए 25 लोग तो जिम्मेदार होंगे ही। सरकार किसी 'असली' अनामिका की तलाश में है। इस मामले में दोषियों के कई नाम हैं और अभी यही साफ नहीं है कि सब अलग हैं या एक ही। और घोटाला फर्जी नियुक्ति का है या किसी के नाम पर किसी और के काम करने का। इस खबर से लगता है कि किसी अनामिका सिंह के परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर उसकी सफलता का लाभ अलग-अलग लोगों ने उठाया और कुछ फर्जी नियुक्ति हो गई। कई नाम होना उसी दशा में संभव है। लेकिन शुरुआती खबर थी कि एक महिला 25 जगह काम कर रही थी।

ऐसा तभी कहा जाएगा जब नाम एक हो। अगर नाम भी बदल गया तो घोटाले की प्रकृति भी बदल गई। किसी भी रिपोर्टर के लिए आज की तकनीक और सुविधा के साथ इन बुनियादी सवालों के जवाब तलाशना आधे घंटे का काम है। उसके बाद पुलिस अपना काम करती रहती। कई बार पुलिस ही सारी जांच करके अपनी कहानी लीक कर देती है ताकि यह संदेश चला जाए कि मामला सुलझ गया है। पर अब सब कुछ बदल गया है। इस मामले में मुझे शुरुआती सूचना ही गड़बड़ लगती है और संभव है यह असली अपराधियों को बचाने या जांच की दिशा मोड़ देने की चाल हो। अगर ऐसा हुआ तो यह कोई पहला मामला नहीं होगा।

नवभारत टाइम्स में आज छपी खबर के अनुसार जिस अनामिका शुक्ला को पुलिस ने कासगंज से पकड़ा था, उसका असली नाम प्रिया जाटव निकला। अभी यह पता नहीं चला है कि अनामिका शुक्ला कौन है,जिसके दस्तावेज पर प्रिया जाटव नौकरी कर रही थी। स्तूरबा गांधी विद्यालयों की नौकरी में दस्तावेजों की जांच नहीं होती। इंटरव्यू के दौरान ही असली दस्तावेज देखे जाते हैं। चयन मेरिट से होता है। ऐसे में किसी अनामिका शुक्ला के दस्तावेजों को आधार बनाया गया, क्योंकि उसके 76 फीसदी अंक हैं।

अनामिका (असली नाम प्रिया जाटव) के अनुसार, उसकी मुलाकात बीएससी करते वक्त किसी राज से हुई थी। उसने एक लाख में नौकरी का वायदा किया और अगस्त 2018 में नियुक्ति पत्र दिला दिया। प्रिया 25 जिलों में अनामिका के नाम से कैसे काम करती रही, इसका खुलासा होना बाकी है। कासगंज बेसिक शिक्षा अधिकारी के अनुसार अनामिका शुक्ला के मूल दस्तावेजों में धुंधली फोटो घोटाले में मददगार बनी। इंटरव्यू में यह फोटो देखी जाती धुंधली होने के कारण कैंडिडेट के आधार कार्ड के आधार पर चयन कर लिया जाता। जिस

तरह से बैंकों में अनामिका के नाम से खाता खुलवाया गया, उससे लगता है कि आधार और अन्य दस्तावेज फर्जी बनाए गए। टीचर बनने के बाद प्रिया ने अनामिका के नाम से खाता खुलवाया। इसमें में भी फर्जी दस्तावेज का प्रयोग किया।

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