ईसा मसीह की मूर्ति का प्रस्ताव वापस लेने के लिए संघ का कर्नाटक सरकार को अल्टीमेटम

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 17, 2020

कर्नाटक की पिछली कांग्रेस सरकार ने बेंगलुरु से 65 किलोमीटर दूर कनकपुरा में ईसा मसीह की 114 फुट लंबी मूर्ति बनवाने के लिए 10 एकड़ ज़मीन देने का प्रस्ताव रखा था लेकिन अब राज्य में हिंदू जागरण वेदिके नाम की दक्षिणपंथी संस्था मौजूदा बीजेपी सरकार से यह मांग कर रही है कि वो इस प्रस्ताव को वापस ले।



प्रदर्शनकारी हिंदू संगठनों ने इस मूर्ति के प्रस्ताव को वापस लेने के लिए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रदर्शन के दौरान इन लोगों ने 'जय श्री राम' और 'रक्ता कोटेवू, कपालबेट्टा कोडाला' (खून दे देंगे लेकिन कपालबेट्टा नहीं) के नारे लगाए। 

अब, संघ परिवार ने राज्य सरकार को 25 जनवरी तक भूमि अनुदान वापस लेने का अल्टीमेटम जारी किया है। न्यूजक्लिक ने संघ द्वारा पारित प्रस्ताव के हवाले से कहा, “यदि राज्य सरकार 25 जनवरी तक कार्रवाई नहीं करती है तो विरोध औऱ भी व्यापक होगा और हम इसे वापस लेने तक रुकेंगे नहीं। विरोध कर रहे इन संगठनों ने यह भी मांग की है कि इसकी अनुमति देने वाले अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाए और राज्य में धर्मांतरण विरोधी कानून लाया जाए। 
 
इस बीच प्रतिमा के निर्माण के लिए 800 परिवारों ने 1,00,000 / रुपये का दान दिया है। हाबरेल गांव, जहां प्रतिमा स्थापित करना प्रस्तावित है, यह कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार के निर्वाचन क्षेत्र में स्थित है। डीके शिवकुमार ने ही इस परियोजना के लिए अपने पैसे से सरकार से 10 एकड़ जमीन खरीदी थी। उन्होंने पिछले साल 25 दिसंबर को इसका शिलान्यास किया था।

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इस रैली में दक्षिणपंथी नेता कल्लाडका प्रभाकर भट्ट ने कहा कि हम ईसा मसीह के खिलाफ नहीं हैं बल्कि जबरन धर्मांतरण के खिलाफ हैं। उन्होंने कांग्रेस नेता के इरादों पर भी सवाल उठाया और उन्हें धमकी देते हुए कहा, “आप देश को एक बार फिर विदेशियों को बेचना चाहते हैं? हम आपको चेतावनी दे रहे हैं; हम आपको अरकवती जलाशय में डुबो देंगे। "

न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां इसाइयों के 3500 परिवार रहते हैं। इसी बस्ती में रहने वाले लोकन कहते हैं कि उनके पूर्वज 1662 से यहां रह रहे हैं। इस प्रतिमा से यहां रहने वाले हिंदुओं को कोई ऐतराज नहीं है। यहां जबरन धर्मांतरण का भी कोई मामला नहीं है, केवल संघ द्वारा ही ये बातें फैलाई जा रही हैं। 

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