पड़ताल: पीएम मोदी के गोद लिए गाँव जयापुर में 'दलित बस्ती' तक नहीं पहुंचा विकास!

Written by sabrang india | Published on: May 10, 2019
वाराणसी: नवंबर 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सांसदों को एक एक गांव गोद लेकर विकास करने के लिए आह्वान किया था और उन्होंने खुद अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जयापुर गांव को गोद लेकर विकास करने का वादा किया था। लेकिन इन 5 वर्षों में जयापुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किए गए विकास कार्यों की हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। 

दरअसल, वाराणसी से करीब 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जयापुर गांव में जब जमीनी हकीकत जानने के लिए हमारी टीम पहुंची तो वहां सब कुछ अच्छा दिख रहा था। लेकिन जैसे ही गांव के अंदर गए वहां के हालात कुछ अलग ही बयां कर रहे थे। क्योंकि वहां की हरिजन बस्ती (दलित बस्ती) में विकास कार्य दिया तले अंधेरा ही दिख रहा था। यह हम नहीं बल्कि वहां के लोगों ने ही बताया कि कैसे जाति के आधार पर विकास कार्य जयपुर में किया गया।

हरिजन बस्ती की महिलाओं ने बताया कि पिछले 5 वर्षों में उन्हें शौचालय और सोलर लाइट के अलावा कुछ भी नहीं मिला। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें रहने के लिए आवास और उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर मिला तो उन्होंने कहा कि यह सभी सुविधाएं गांव में आईं लेकिन सिर्फ ठाकुर और पटेलों की बस्ती में आईं। हरिजन बस्ती में इसे नहीं दिया गया और जब इसकी शिकायत की गई तो उन्हें धमकियां भी मिलीं। 

हरिजन बस्ती की महिलाओं की मानें तो आए दिन अधिकारी सर्वे के लिए आते हैं और वे उनसे शिकायत करती हैं लेकिन उनकी शिकायत की अनदेखी की जाती है। यही नहीं, उन्होंने बताया कि अपने पैसे से उन्होंने हैंडपंप लगवाया था लेकिन गांव के प्रधान ने उसे सरकारी दिखा दिया और जब इसका विरोध किया गया तो उन्हें धमकी दी गई कि उन्हें कोई भी सरकारी सुविधा नहीं दी जाएगी। 

सरकारी सुविधा तो छोड़िए हरिजन बस्ती में ना तो पीने का पानी है और ना ही सड़क। यहां के युवा भी बेरोजगार घूम रहे हैं। जयापुर गांव के हरिजन बस्ती के लोगों की माने तो जाति के आधार पर यहां विकास कार्य किया जाता है यदि कोई सरकारी योजना आती है तो सबसे पहले ठाकुरों के बस्ती में जाती है। उसके बाद पटेलों के यहां। हरिजन बस्ती में तो सरकारी योजना आती ही नहीं है। 

वहां के लोग बताते हैं कि उनको मात्र शौचालय और सौर ऊर्जा मिला है और सौर ऊर्जा का भी ₹20 महीने खर्च देना पड़ता है। उन्होंने बताया कि लगातार अधिकारी आते हैं और कागजों पर कार्यवाही करके चले जाते हैं लेकिन सरकारी सुविधा नदारद रहती है। जब उनसे पूछा गया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं सबका साथ सबका विकास को क्या इस पर उन्हें विश्वास होता है तो उन्होंने झल्लाहट से कहा कि आप खुद देख सकते हैं कि किस का विकास हो रहा है। ना तो चलने के लिए सड़क है ना पीने के लिए पानी और ना रहने के लिए आवास तो कैसा सबका साथ और सबका विकास?

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