लखनऊ। मानवाधिकार व सामाजिक संगठन रिहाई मंच ने आरोप लगाया है कि पुलिस आज़मगढ़ के राजनीतिक कार्यकर्ता कलीम जामेई पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने का षड्यंत्र कर रही है। मंच के महासचिव राजीव यादव ने इस बावत उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि कानून का अनुसरण कर कलीम जामई की रिहाई सुनिश्चित की जाए तथा रासुका का गलत इस्तेमाल रोका जाए।
राजीव यादव के पत्र का मजमून निम्न है-
प्रति,
पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश लखनऊ।
विषय- राजनीतिक कार्यकर्ता कलीम जामेई पुत्र अज़ीज़ अहमद ग्राम कोरौली खुर्द, थाना सरायमीर, आज़मगढ़ को फर्जी मुकदमे में फंसाने के बाद माननीय हाइकोर्ट इलाहाबाद द्वारा जमानत दिए जाने के बाद रासुका के तहत निरूद्ध करने का षड्यंत्र के संदर्भ में।
महोदय,
कलीम जामेई पुत्र अज़ीज़ अहमद ग्राम कोरौली खुर्द, थाना सरायमीर, आज़मगढ़ को 1 अक्टूबर 2018 को उनके सरायमीर स्थित ढाबे से शाम को सरायमीर पुलिस द्वारा गैर क़ानूनी तरीक़े से उठाए गया। पुलिस की आपराधिक कार्रवाई पर सवाल उठने के बाद फर्ज़ी मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया था। जबकि, 26 अप्रैल 2018 को अमित साहू द्वारा फेसबुक पर नफरत भरी साम्प्रदायिक टिप्पणी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की गई थी। सरायमीर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज कर तनाव पैदा करने के बाद जनता पर किए गए मुकदमे के मामले में कलीम जामेई को अभियुक्त बनाया गया था। जिस पर माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद ने कलीम की गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी थी।
आपके संज्ञान में लाना चाहेंगे कि पूर्व में भी माननीय हाईकोर्ट के कलीम की गिरफ्तारी पर रोक के आदेश के बावजूद उनको फर्जी मुकदमे में फंसाया गया। ऐसे में 6 फरवरी 2019 को माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा दी गयी जमानत के बाद, कलीम से खुन्नस खाई पुलिस ने उनपर रासुका के तहत कार्रवाई करने का षड्यंत्र कर सकती है। यह अंदेशा इसलिए भी है कि 28 अप्रैल 2018 को सरायमीर मामले के अभियुक्त मुहम्मद आसिफ पुत्र इफ्तिखार अहमद ग्राम शेरवां, शारिब पुत्र मुहम्मद शाहिद ग्राम राजापुर सिकरौर, रागिब ग्राम सुरही को न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बाद साजिशन रासुका के तहत निरुद्ध कर दिया गया था। इस पूरे मामले में पुलिस की आपराधिक कार्यशैली लगातार सवालों के घेरे में है। यहां तक कि कलीम जामई के ढाबे की पुलिस द्वारा की गई तोड़फोड़ के वीडियो तक मौजूद हैं। 28 अप्रैल की घटना के 2 दिन पहले सरायमीर थाना अध्यक्ष द्वारा किया गया मुकदमा स्पष्ट करता है कि पुलिस उनसे निजी रूप से खुन्नस खाई हुई थी। ऐसे में न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बाद रासुका के अंतर्गत कार्रवाई का किया जाना न्याय का मखौल उड़ाना होगा।
अतः निवेदन है कि कानून का अनुसरण कर कलीम जामई की रिहाई सुनिश्चित की जाए तथा रासुका का गलत इस्तेमाल रोका जाए।
दिनांक- 13 फरवरी 2019
द्वारा-
राजीव यादव
महासचिव रिहाई मंच
प्रतिलिपि-
1- माननीय मुख्य न्यायधीश सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली
2- माननीय मुख्य न्यायधीश उच्च न्यायालय, इलाहाबाद
3- राज्यपाल, उत्तर प्रदेश
4- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली
5- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, नई दिल्ली
6- गृह मंत्रालय, भारत सरकार
7- गृह मंत्रलय, उत्तर प्रदेश
8- राज्य मानवाधिकार आयोग, उत्तर प्रदेश
9- राज्य अल्पसंख्यक आयोग, उत्तर प्रदेश
10- जिलाधिकारी, आजमगढ़
11- वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, आजमगढ़
राजीव यादव के पत्र का मजमून निम्न है-
प्रति,
पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश लखनऊ।
विषय- राजनीतिक कार्यकर्ता कलीम जामेई पुत्र अज़ीज़ अहमद ग्राम कोरौली खुर्द, थाना सरायमीर, आज़मगढ़ को फर्जी मुकदमे में फंसाने के बाद माननीय हाइकोर्ट इलाहाबाद द्वारा जमानत दिए जाने के बाद रासुका के तहत निरूद्ध करने का षड्यंत्र के संदर्भ में।
महोदय,
कलीम जामेई पुत्र अज़ीज़ अहमद ग्राम कोरौली खुर्द, थाना सरायमीर, आज़मगढ़ को 1 अक्टूबर 2018 को उनके सरायमीर स्थित ढाबे से शाम को सरायमीर पुलिस द्वारा गैर क़ानूनी तरीक़े से उठाए गया। पुलिस की आपराधिक कार्रवाई पर सवाल उठने के बाद फर्ज़ी मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया था। जबकि, 26 अप्रैल 2018 को अमित साहू द्वारा फेसबुक पर नफरत भरी साम्प्रदायिक टिप्पणी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की गई थी। सरायमीर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज कर तनाव पैदा करने के बाद जनता पर किए गए मुकदमे के मामले में कलीम जामेई को अभियुक्त बनाया गया था। जिस पर माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद ने कलीम की गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी थी।
आपके संज्ञान में लाना चाहेंगे कि पूर्व में भी माननीय हाईकोर्ट के कलीम की गिरफ्तारी पर रोक के आदेश के बावजूद उनको फर्जी मुकदमे में फंसाया गया। ऐसे में 6 फरवरी 2019 को माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा दी गयी जमानत के बाद, कलीम से खुन्नस खाई पुलिस ने उनपर रासुका के तहत कार्रवाई करने का षड्यंत्र कर सकती है। यह अंदेशा इसलिए भी है कि 28 अप्रैल 2018 को सरायमीर मामले के अभियुक्त मुहम्मद आसिफ पुत्र इफ्तिखार अहमद ग्राम शेरवां, शारिब पुत्र मुहम्मद शाहिद ग्राम राजापुर सिकरौर, रागिब ग्राम सुरही को न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बाद साजिशन रासुका के तहत निरुद्ध कर दिया गया था। इस पूरे मामले में पुलिस की आपराधिक कार्यशैली लगातार सवालों के घेरे में है। यहां तक कि कलीम जामई के ढाबे की पुलिस द्वारा की गई तोड़फोड़ के वीडियो तक मौजूद हैं। 28 अप्रैल की घटना के 2 दिन पहले सरायमीर थाना अध्यक्ष द्वारा किया गया मुकदमा स्पष्ट करता है कि पुलिस उनसे निजी रूप से खुन्नस खाई हुई थी। ऐसे में न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बाद रासुका के अंतर्गत कार्रवाई का किया जाना न्याय का मखौल उड़ाना होगा।
अतः निवेदन है कि कानून का अनुसरण कर कलीम जामई की रिहाई सुनिश्चित की जाए तथा रासुका का गलत इस्तेमाल रोका जाए।
दिनांक- 13 फरवरी 2019
द्वारा-
राजीव यादव
महासचिव रिहाई मंच
प्रतिलिपि-
1- माननीय मुख्य न्यायधीश सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली
2- माननीय मुख्य न्यायधीश उच्च न्यायालय, इलाहाबाद
3- राज्यपाल, उत्तर प्रदेश
4- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली
5- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, नई दिल्ली
6- गृह मंत्रालय, भारत सरकार
7- गृह मंत्रलय, उत्तर प्रदेश
8- राज्य मानवाधिकार आयोग, उत्तर प्रदेश
9- राज्य अल्पसंख्यक आयोग, उत्तर प्रदेश
10- जिलाधिकारी, आजमगढ़
11- वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, आजमगढ़