आज़मगढ़। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आज़मगढ़ में दलित प्रधान सत्यमेव जयते उर्फ पप्पू प्रधान की हत्या का संज्ञान लेते हुए रिहाई मंच ने तरवां थाना अंतर्गत बांसगांव का दौरा किया। मृतक प्रधान और 12 वर्षीय सूरज कुमार के परिजनों से मुलाकात की। ग्राम प्रधान के परिजनों ने जातिगत कारणों से लगाया हत्या का आरोप।
मृतक प्रधान की पत्नी विलाप करते हुए कहती हैं कि मेरे पति ही मेरे और मेरे तीन बच्चों का सहारा थे। वह भी हत्यारों ने छीन लिया। ये कैसी सरकार है जहां जनता का प्रतिनिधि ही सुरक्षित नहीं है। उसे दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी जा रही है। पति की मौत के सदमे में पत्नी विलाप करते हुए न्याय की भीख मांगते हुए कहती है कि जैसे मेरे पति की हत्या हुई है सरकार उसी तरह से दोषियों को फांसी दे। क्या योगी सरकार के दिए हुए पांच लाख से मेरे पति वापस आ जाएंगे, मेरे बच्चों के सर पर बाप का साया वापस आ जायेगा, मुझे न्याय चाहिए। प्रधान की पत्नी कहती हैं कि अगर सरकार उन हत्यारों को सजा नहीं देती है तो सरकार भी उतनी ही दोषी होगी जितने कि वह हत्यारे हैं।
मृतक प्रधान की भतीजी रो-रो कर कहती हैं कि यह कैसी आजादी है क्या इस सरकार में हम लोग आजाद हैं। क्योंकि उनके चाचा प्रधान सत्यमेव जयते की हत्या आजादी के ठीक एक दिन पहले होती है। वह कहती हैं कि क्या योगी सरकार मेरे छोटे-छोटे भाइयों और मेरी बहनों के सर के ऊपर उनके बाप का साया लौटा सकती है। वे सरकार को भी उतना ही दोष देती हैं जितना कि हत्यारों को। वो कहती है आखिरकार ऐसे हत्यारे किसके सहारे खुलेआम घूम रहे हैं। वह सरकार के दिए हुए मुआवजे पांच लाख की जगह पर पचास लाख का मुआवजा की मांग रखती हैं। प्रधान के छोटे-छोटे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई उनके शिक्षा-दीक्षा के लिए बोलती हैं कि जिस तरह से किसी विधायक और सांसद के परिवार को ऐसी स्थिति में सहयोग मिलता है वैसे ही सरकार इस परिवार का सहयोग करे क्योंकि वे भी एक जनप्रतिनिधि थे।
वे बताती हैं कि मामला यहीं पर नहीं थम रहा है तमाम प्रकार की धमकियां आ रही हैं और चिल्ला-चिल्ला कर रो-रोकर वह कहती हैं कि कोई आकर गांव में यह बताया और यह चैलेंज करके गया है कि अभी तो एक हत्या हुई है अभी तो नौ हत्याएं बची हुई हैं। आखिर किस प्रकार से हम मान ले कि हम सलामत है।
मृतक प्रधान की भाभी कहती हैं कि मेरी देवरानी के छोटे-छोटे बच्चे हैं जिनमें उनकी सबसे बड़ी जो बच्ची है वह 9 साल की है। दो लडक़े हैं एक 6 साल का और एक 4 साल का है। वह सरकार से यह अनुरोध करती हैं कि दोषियों को सजा तो मिले ही मिले हमारा अधिकार है और परिवार को आगे बढ़ने के लिए हमारी देवरानी को एक सरकारी नौकरी, बच्चों को निशुल्क शिक्षा और उनके लिए एक घर की मांग रखती हैं। वह कहती हैं कि जिस तरह से ऐसी घटना किसी सवर्ण जाती के व्यक्ति के साथ होती है तो घर, जमीन, नौकरी, बच्चों के निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाती है उसी तरह से मेरे देवर भी जनता के प्रतिनिधि थे और उनको भी यह सुविधा मिलनी चाहिए। आज बिटिया 9 साल की है कल जब वह 21 साल की होगी तो शादी विवाह किस प्रकार से होगी। उसके भविष्य को देखते हुए योगी सरकार हमारी मांगो को पूरा करे। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम ऐसी सरकार का बहिष्कार करते हैं।
ग्राम प्रधान 30 सदस्यों वाले एक बड़े संयुक्त परिवार में रहते थे। परिजनों का कहना है कि काफी सोच-विचार के बाद उनका नाम 'सत्यमेव जयते' रखा गया था। वहीं उनके भतीजे का नाम दास प्रथा समाप्त करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के नाम पर 'लिंकन' रखा गया। मृतक प्रधान के 3 बच्चे हैं, जिसमें से सबसे बड़ी की उम्र 12 साल है।
रिहाई मंच प्रतिनिधिमंडल को प्रधान के बड़े भाई और आर्मी से रिटायर्ड एक्स हवलदार रामप्रसाद ने बताया कि उनके भाई की हत्या को श्रेयांश कुमार दुबे, विवेक सिंह उर्फ गोलू, विजेंद्र सिंह उर्फ गप्पू और वसीम ने मिलकर अंजाम दिया। सत्यमेव जयते के तीन बच्चे हैं जिसमें सबसे बड़ी की उम्र 12 वर्ष है और अब इनका कैसे गुजर बसर होगा इसको लेकर वे चिंतित हैं।
घटना के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले श्रेयांश अपना चरित्र प्रमाण पत्र बनाने को कह रहा था। उसके पिता ने प्रधान को मना किया था इसलिए प्रधान ने मना कर दिया। जिसके बाद कई बार वो इस विषय पर घर आया। घटना से दो दिन पहले श्रेयांश रात में दारू पीकर आया और प्रमाण पत्र न बनाने पर गाली भी दी थी और मारने कि बात कही।
14 अगस्त को श्रेयांश प्रधान को बुलाकर ले गया और कहा कि चलो गप्पू सिंह बुला रहे हैं। प्रधान साथ में अपनी गाड़ी से चल दिए पर कुछ आगे जाने के बाद एक आटा चक्की के पास से श्रेयांश ने प्रधान को अपनी गाड़ी पर बिठा लिया और साथ ले गया। जहां इन लोगों ने पहले से शूटर बुला रखा था और उन लोगों ने वहां इनकी हत्या कर दी।
प्रधान की हत्या के बाद ग्रामीणों के विरोध दर्ज करने के दौरान एक बच्चे के मौत हो गई। मृतक सूरज के चचेरे भाई दीपक बताते हैं कि प्रधान की हत्या कि बात जानने के बाद गांव में आक्रोश कि लहर थी। हमने अपना प्रतिनिधि खोया था। हम लोग उसका विरोध कर रहे थे। तभी पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। उसी दौरान पुलिस की दो गाड़ी गुजरी जिनमें एक सीओ की गाड़ी थी जिसकी चपेट में आने से मेरे भाई की मौत हो गई। पुलिस ने घटना को छुपाने के लिए अज्ञात वाहन पर मुकदमा लिखा है। गांव वालों का सवाल है कि पुलिस के इतने बंदोबस्त में अज्ञात गाड़ी कैसे हो गई।
मृतक प्रधान सत्यमेव जयते के बड़े भाई राम प्रसाद ने बताया कि घटना के दूसरे दिन 15 अगस्त की दोपहर 2 बजे डीएम साहब गांव में आए और 24 घंटे में अपराधी सलाखों के पीछे होंगे इसका आश्वासन दिया। दोनों परिवारों को 5-5 लाख रुपए का चेक दिया। प्रधान के बड़े भाई मांग करते हैं कि एक जन प्रतिनिधि की हत्या हुई है। योगी सरकार इसे संज्ञान में ले और उनके पत्नी और बच्चों के देखभाल के लिए उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी मुहैया कराए और 50 लाख रुपए राहत के लिए दे। गांव में जिस बालक की मौत हुई है उसके पास रहने के लिए घर नहीं है ऐसे में उसके लिए घर और उसके माता-पिता को भी राहत राशि 50 लाख रुपए दे। एफआईआर की कॉपी और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बारे में पूछने पर बताया कि अभी कुछ नहीं मिला है।
रिहाई मंच प्रतिनिधि मंडल ने तरवां थाना के बीबीपुर गांव में 15 अगस्त की रात 2 बजे हुए हिंसक हमले के पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात की। आमिर अहमद के परिजनों ने बताया कि पुराने कोटेदार की जांच आमिर द्वारा कराई गई थी। जिसके चलते अनिल सिंह पूर्व कोटेदार ने रात सोते समय कुल्हाड़ी से हमला करवाया जिसमें आमिर को गम्भीर चोटें आईं और इस समय वे वेदांता अस्पताल में भर्ती हैं।
प्रतिनिधि मंडल में एडवोकेट विनोद यादव, अवधेश यादव, उमेश कुमार, अरविंद कुमार, सूरज कुमार, बांकेलाल यादव, श्रवण यादव और दीपक यादव शामिल रहे।
रिहाई मंच ने कहा कि आज़मगढ़ में बच्ची के रेप-हत्या की खबर ने बता दिया है कि यूपी हत्यारों-बलात्कारियों का गढ़ बन गया है। आज़मगढ़, लखीमपुरखीरी, गोरखपुर समेत पूरे सूबे में हमारी बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं। रिहाई मंच इसके खिलाफ हर स्तर लड़ेगा। दलित प्रधान की हत्या, बलात्कार, बदहाल कानून व्यवस्था के खिलाफ रिहाई मंच जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करेगा।
मृतक प्रधान की पत्नी विलाप करते हुए कहती हैं कि मेरे पति ही मेरे और मेरे तीन बच्चों का सहारा थे। वह भी हत्यारों ने छीन लिया। ये कैसी सरकार है जहां जनता का प्रतिनिधि ही सुरक्षित नहीं है। उसे दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी जा रही है। पति की मौत के सदमे में पत्नी विलाप करते हुए न्याय की भीख मांगते हुए कहती है कि जैसे मेरे पति की हत्या हुई है सरकार उसी तरह से दोषियों को फांसी दे। क्या योगी सरकार के दिए हुए पांच लाख से मेरे पति वापस आ जाएंगे, मेरे बच्चों के सर पर बाप का साया वापस आ जायेगा, मुझे न्याय चाहिए। प्रधान की पत्नी कहती हैं कि अगर सरकार उन हत्यारों को सजा नहीं देती है तो सरकार भी उतनी ही दोषी होगी जितने कि वह हत्यारे हैं।
मृतक प्रधान की भतीजी रो-रो कर कहती हैं कि यह कैसी आजादी है क्या इस सरकार में हम लोग आजाद हैं। क्योंकि उनके चाचा प्रधान सत्यमेव जयते की हत्या आजादी के ठीक एक दिन पहले होती है। वह कहती हैं कि क्या योगी सरकार मेरे छोटे-छोटे भाइयों और मेरी बहनों के सर के ऊपर उनके बाप का साया लौटा सकती है। वे सरकार को भी उतना ही दोष देती हैं जितना कि हत्यारों को। वो कहती है आखिरकार ऐसे हत्यारे किसके सहारे खुलेआम घूम रहे हैं। वह सरकार के दिए हुए मुआवजे पांच लाख की जगह पर पचास लाख का मुआवजा की मांग रखती हैं। प्रधान के छोटे-छोटे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई उनके शिक्षा-दीक्षा के लिए बोलती हैं कि जिस तरह से किसी विधायक और सांसद के परिवार को ऐसी स्थिति में सहयोग मिलता है वैसे ही सरकार इस परिवार का सहयोग करे क्योंकि वे भी एक जनप्रतिनिधि थे।
वे बताती हैं कि मामला यहीं पर नहीं थम रहा है तमाम प्रकार की धमकियां आ रही हैं और चिल्ला-चिल्ला कर रो-रोकर वह कहती हैं कि कोई आकर गांव में यह बताया और यह चैलेंज करके गया है कि अभी तो एक हत्या हुई है अभी तो नौ हत्याएं बची हुई हैं। आखिर किस प्रकार से हम मान ले कि हम सलामत है।
मृतक प्रधान की भाभी कहती हैं कि मेरी देवरानी के छोटे-छोटे बच्चे हैं जिनमें उनकी सबसे बड़ी जो बच्ची है वह 9 साल की है। दो लडक़े हैं एक 6 साल का और एक 4 साल का है। वह सरकार से यह अनुरोध करती हैं कि दोषियों को सजा तो मिले ही मिले हमारा अधिकार है और परिवार को आगे बढ़ने के लिए हमारी देवरानी को एक सरकारी नौकरी, बच्चों को निशुल्क शिक्षा और उनके लिए एक घर की मांग रखती हैं। वह कहती हैं कि जिस तरह से ऐसी घटना किसी सवर्ण जाती के व्यक्ति के साथ होती है तो घर, जमीन, नौकरी, बच्चों के निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाती है उसी तरह से मेरे देवर भी जनता के प्रतिनिधि थे और उनको भी यह सुविधा मिलनी चाहिए। आज बिटिया 9 साल की है कल जब वह 21 साल की होगी तो शादी विवाह किस प्रकार से होगी। उसके भविष्य को देखते हुए योगी सरकार हमारी मांगो को पूरा करे। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम ऐसी सरकार का बहिष्कार करते हैं।
ग्राम प्रधान 30 सदस्यों वाले एक बड़े संयुक्त परिवार में रहते थे। परिजनों का कहना है कि काफी सोच-विचार के बाद उनका नाम 'सत्यमेव जयते' रखा गया था। वहीं उनके भतीजे का नाम दास प्रथा समाप्त करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के नाम पर 'लिंकन' रखा गया। मृतक प्रधान के 3 बच्चे हैं, जिसमें से सबसे बड़ी की उम्र 12 साल है।
रिहाई मंच प्रतिनिधिमंडल को प्रधान के बड़े भाई और आर्मी से रिटायर्ड एक्स हवलदार रामप्रसाद ने बताया कि उनके भाई की हत्या को श्रेयांश कुमार दुबे, विवेक सिंह उर्फ गोलू, विजेंद्र सिंह उर्फ गप्पू और वसीम ने मिलकर अंजाम दिया। सत्यमेव जयते के तीन बच्चे हैं जिसमें सबसे बड़ी की उम्र 12 वर्ष है और अब इनका कैसे गुजर बसर होगा इसको लेकर वे चिंतित हैं।
घटना के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले श्रेयांश अपना चरित्र प्रमाण पत्र बनाने को कह रहा था। उसके पिता ने प्रधान को मना किया था इसलिए प्रधान ने मना कर दिया। जिसके बाद कई बार वो इस विषय पर घर आया। घटना से दो दिन पहले श्रेयांश रात में दारू पीकर आया और प्रमाण पत्र न बनाने पर गाली भी दी थी और मारने कि बात कही।
14 अगस्त को श्रेयांश प्रधान को बुलाकर ले गया और कहा कि चलो गप्पू सिंह बुला रहे हैं। प्रधान साथ में अपनी गाड़ी से चल दिए पर कुछ आगे जाने के बाद एक आटा चक्की के पास से श्रेयांश ने प्रधान को अपनी गाड़ी पर बिठा लिया और साथ ले गया। जहां इन लोगों ने पहले से शूटर बुला रखा था और उन लोगों ने वहां इनकी हत्या कर दी।
प्रधान की हत्या के बाद ग्रामीणों के विरोध दर्ज करने के दौरान एक बच्चे के मौत हो गई। मृतक सूरज के चचेरे भाई दीपक बताते हैं कि प्रधान की हत्या कि बात जानने के बाद गांव में आक्रोश कि लहर थी। हमने अपना प्रतिनिधि खोया था। हम लोग उसका विरोध कर रहे थे। तभी पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। उसी दौरान पुलिस की दो गाड़ी गुजरी जिनमें एक सीओ की गाड़ी थी जिसकी चपेट में आने से मेरे भाई की मौत हो गई। पुलिस ने घटना को छुपाने के लिए अज्ञात वाहन पर मुकदमा लिखा है। गांव वालों का सवाल है कि पुलिस के इतने बंदोबस्त में अज्ञात गाड़ी कैसे हो गई।
मृतक प्रधान सत्यमेव जयते के बड़े भाई राम प्रसाद ने बताया कि घटना के दूसरे दिन 15 अगस्त की दोपहर 2 बजे डीएम साहब गांव में आए और 24 घंटे में अपराधी सलाखों के पीछे होंगे इसका आश्वासन दिया। दोनों परिवारों को 5-5 लाख रुपए का चेक दिया। प्रधान के बड़े भाई मांग करते हैं कि एक जन प्रतिनिधि की हत्या हुई है। योगी सरकार इसे संज्ञान में ले और उनके पत्नी और बच्चों के देखभाल के लिए उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी मुहैया कराए और 50 लाख रुपए राहत के लिए दे। गांव में जिस बालक की मौत हुई है उसके पास रहने के लिए घर नहीं है ऐसे में उसके लिए घर और उसके माता-पिता को भी राहत राशि 50 लाख रुपए दे। एफआईआर की कॉपी और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बारे में पूछने पर बताया कि अभी कुछ नहीं मिला है।
रिहाई मंच प्रतिनिधि मंडल ने तरवां थाना के बीबीपुर गांव में 15 अगस्त की रात 2 बजे हुए हिंसक हमले के पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात की। आमिर अहमद के परिजनों ने बताया कि पुराने कोटेदार की जांच आमिर द्वारा कराई गई थी। जिसके चलते अनिल सिंह पूर्व कोटेदार ने रात सोते समय कुल्हाड़ी से हमला करवाया जिसमें आमिर को गम्भीर चोटें आईं और इस समय वे वेदांता अस्पताल में भर्ती हैं।
प्रतिनिधि मंडल में एडवोकेट विनोद यादव, अवधेश यादव, उमेश कुमार, अरविंद कुमार, सूरज कुमार, बांकेलाल यादव, श्रवण यादव और दीपक यादव शामिल रहे।
रिहाई मंच ने कहा कि आज़मगढ़ में बच्ची के रेप-हत्या की खबर ने बता दिया है कि यूपी हत्यारों-बलात्कारियों का गढ़ बन गया है। आज़मगढ़, लखीमपुरखीरी, गोरखपुर समेत पूरे सूबे में हमारी बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं। रिहाई मंच इसके खिलाफ हर स्तर लड़ेगा। दलित प्रधान की हत्या, बलात्कार, बदहाल कानून व्यवस्था के खिलाफ रिहाई मंच जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करेगा।