एक तरफ जहां प्रायोजित रेगर युवा महासभा ज्ञापन देकर अफराजुल के हत्यारे शम्भू लाल रेगर को निर्दोष बताते हुए उसके लाइव मर्डर वीडियो को फर्जी, एडिटेड बता रही है, वहीं दूसरी तरफ अम्बेडरवादी रेगर युवाओं में इस प्रकार की हरकत के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा देखा जा रहा है।
जहाजपुर के भवानी राम रेगर जो कि अम्बेडकर विचार मंच के अध्यक्ष रहे हैं, उन्होंने रेगर युवा महासभा चित्तौड़गढ़ के अस्तित्व पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि- 'ये कागजी संगठन है, इसके लोग एक विचारधारा विशेष के पालतू हैं, मैं ऐसे ज्ञापन का पुरजोर विरोध करता हूँ, यह ज्ञापन रेगर समुदाय को बदनाम करने के लिए दिलाया गया है, यह फासीवादी ताकतों का काम है' प्रखर अम्बेडरवादी भवानी राम रेगर ने अफराजुल की हत्या को शर्मशार करने वाली वारदात बताते हुए मृतक के परिवार से माफी मांगी है।
सोशल मीडिया के ज़रिए अपने गुस्से का इज़हार करते हुए महावीर प्रसाद रेगर लिखते हैं कि- सादे कागज पर टाईप किये गए ज्ञापन में जिस युवा रेगर महासभा का ज़िक्र है, वैसी कोई महासभा है ही नहीं, ये तो संघ के टुकड़ों पर पल रहे कुछ लोग है जो समाज के लिए शर्मिंदगी का कारण बन रहे है ।
एक अन्य फेसबुक यूजर अशोक चौहान रेगर लिखते हैं कि हिन्दू-हिन्दू चिल्लाने वाले अब शम्भू लाल को शम्भू हिन्दू नहीं लिख रहे हैं, वे जोर जोर से शम्भू रेगर रेगर चिल्ला रहे हैं, ताकि हमारा समाज बदनाम हो जाए। अम्बेडरवादी युवा दिनेश कुमार रेगर ने कहा कि मैंने बहुत लज्जित महसूस किया कि अपराधी मेरे समुदाय का है, मैं शम्भू जैसे भगवा गुंडे के कृत्य को अक्षम्य अपराध मानता हूं और उसके लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग करता हूँ। वहीं जितेंद्र बारोलिया ने फेसबुक पर लिखा है कि- 'हां आतंकवाद का कोई धर्म या जाति नहीं होती है, पर हम राजसमन्द की घटना पर माफी मांगने की हिम्मत रखते हैं, क्योंकि हमारी कम्युनिटी के आदमी ने ऐसा किया है, कानून से ऊपर कुछ भी नही है, जो गलत है, वो गलत है, उसे सजा मिलनी चाहिए।'
दौलतगढ़ के सी एम नुवाल का मानना है कि ये भगवा की आड़ में दलित समुदाय के लोगों से ऐसे अपराध करवा कर पूरे समाज को बदनाम करते हैं, शम्भू जैसे लोगों के लिए रेगर समाज मे कोई जगह नही है। ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क के राज्य समन्वयक अधिवक्ता तारा चंद वर्मा रेगर समाज के इस तालिबानीकरण से बेहद चिंतित हैं, उनका मानना है कि समाज के आदर्श अम्बेडकर हैं, न कि ऐसे असामाजिक तत्व।
दलित, आदिवासी एवम घुमन्तू अभियान के प्रदेश महासचिव डाल चंद रेगर ने अपनी एक पोस्ट में लिखा है कि हम बहुजन नायकों से प्रेरित होते हैं, न कि शम्भू लाल जैसे किसी कातिल से, वह हमारा आदर्श नही हो सकता है। राजस्थान ईंट भट्टा मजदूर यूनियन से जुड़े शैतान रेगर तथा सामाजिक कार्यकर्ता महादेव रेगर का कहना है कि हत्यारे को नायक बनाने की सोच से रेगर समाज के युवाओं का कोई इत्तेफ़ाक़ नही है, यह कुछ लोगों की ओछी हरकत है, इससे समाज शर्मसार हो रहा है। हरमाड़ा की पूर्व सरपंच एवं लोकतंत्र शाला की सचिव नोरती देवी ने भी अफराजुल की निर्मम हत्या की कड़ी आलोचना की है।
कुल मिलाकर रेगर समाज के भीतर इस वक़्त तीखी बहस जारी है, जिसमें एक तरफ जातीय अस्मिता की धार को पैनी कर रहे लोग हैं जो ढकी छुपी जुबान से शम्भू लाल को भटका हुआ नौजवान बता रहे हैं। वहीं एक छोटा सा तबका संघ भाजपा का कैडर भी है, जो खुल कर शम्भू के कृत्य के पक्ष में नित नए कुतर्क गढ़ रहा है। लेकिन इन उग्रवादी तत्वों को आम रेगर समाज का समर्थन नही मिल पा रहा है, वहीं दूसरी ओर अम्बेडरवादी रेगर युवाओं का एक विशाल समूह उठ खड़ा हुआ है जो शम्भू लाल जैसे दुर्दांत हत्यारे को नायकत्व देने की किसी भी कोशिस को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है ।
राजस्थान के प्रगतिशील रेगर युवा इस भगवा आतंक के विरोध में खड़े हो रहे हैं, वे आरएसएस की विषकरण की प्रक्रिया से समाज को बचाना चाहते हैं, वे शम्भू भवानी सरीखे किसी अपराधी को समाज का आदर्श बनाने की संघी कोशिस को विफल करने में लगे हैं।
(लेखक सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार हैं।)
जहाजपुर के भवानी राम रेगर जो कि अम्बेडकर विचार मंच के अध्यक्ष रहे हैं, उन्होंने रेगर युवा महासभा चित्तौड़गढ़ के अस्तित्व पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि- 'ये कागजी संगठन है, इसके लोग एक विचारधारा विशेष के पालतू हैं, मैं ऐसे ज्ञापन का पुरजोर विरोध करता हूँ, यह ज्ञापन रेगर समुदाय को बदनाम करने के लिए दिलाया गया है, यह फासीवादी ताकतों का काम है' प्रखर अम्बेडरवादी भवानी राम रेगर ने अफराजुल की हत्या को शर्मशार करने वाली वारदात बताते हुए मृतक के परिवार से माफी मांगी है।
सोशल मीडिया के ज़रिए अपने गुस्से का इज़हार करते हुए महावीर प्रसाद रेगर लिखते हैं कि- सादे कागज पर टाईप किये गए ज्ञापन में जिस युवा रेगर महासभा का ज़िक्र है, वैसी कोई महासभा है ही नहीं, ये तो संघ के टुकड़ों पर पल रहे कुछ लोग है जो समाज के लिए शर्मिंदगी का कारण बन रहे है ।
एक अन्य फेसबुक यूजर अशोक चौहान रेगर लिखते हैं कि हिन्दू-हिन्दू चिल्लाने वाले अब शम्भू लाल को शम्भू हिन्दू नहीं लिख रहे हैं, वे जोर जोर से शम्भू रेगर रेगर चिल्ला रहे हैं, ताकि हमारा समाज बदनाम हो जाए। अम्बेडरवादी युवा दिनेश कुमार रेगर ने कहा कि मैंने बहुत लज्जित महसूस किया कि अपराधी मेरे समुदाय का है, मैं शम्भू जैसे भगवा गुंडे के कृत्य को अक्षम्य अपराध मानता हूं और उसके लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग करता हूँ। वहीं जितेंद्र बारोलिया ने फेसबुक पर लिखा है कि- 'हां आतंकवाद का कोई धर्म या जाति नहीं होती है, पर हम राजसमन्द की घटना पर माफी मांगने की हिम्मत रखते हैं, क्योंकि हमारी कम्युनिटी के आदमी ने ऐसा किया है, कानून से ऊपर कुछ भी नही है, जो गलत है, वो गलत है, उसे सजा मिलनी चाहिए।'
दौलतगढ़ के सी एम नुवाल का मानना है कि ये भगवा की आड़ में दलित समुदाय के लोगों से ऐसे अपराध करवा कर पूरे समाज को बदनाम करते हैं, शम्भू जैसे लोगों के लिए रेगर समाज मे कोई जगह नही है। ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क के राज्य समन्वयक अधिवक्ता तारा चंद वर्मा रेगर समाज के इस तालिबानीकरण से बेहद चिंतित हैं, उनका मानना है कि समाज के आदर्श अम्बेडकर हैं, न कि ऐसे असामाजिक तत्व।
दलित, आदिवासी एवम घुमन्तू अभियान के प्रदेश महासचिव डाल चंद रेगर ने अपनी एक पोस्ट में लिखा है कि हम बहुजन नायकों से प्रेरित होते हैं, न कि शम्भू लाल जैसे किसी कातिल से, वह हमारा आदर्श नही हो सकता है। राजस्थान ईंट भट्टा मजदूर यूनियन से जुड़े शैतान रेगर तथा सामाजिक कार्यकर्ता महादेव रेगर का कहना है कि हत्यारे को नायक बनाने की सोच से रेगर समाज के युवाओं का कोई इत्तेफ़ाक़ नही है, यह कुछ लोगों की ओछी हरकत है, इससे समाज शर्मसार हो रहा है। हरमाड़ा की पूर्व सरपंच एवं लोकतंत्र शाला की सचिव नोरती देवी ने भी अफराजुल की निर्मम हत्या की कड़ी आलोचना की है।
कुल मिलाकर रेगर समाज के भीतर इस वक़्त तीखी बहस जारी है, जिसमें एक तरफ जातीय अस्मिता की धार को पैनी कर रहे लोग हैं जो ढकी छुपी जुबान से शम्भू लाल को भटका हुआ नौजवान बता रहे हैं। वहीं एक छोटा सा तबका संघ भाजपा का कैडर भी है, जो खुल कर शम्भू के कृत्य के पक्ष में नित नए कुतर्क गढ़ रहा है। लेकिन इन उग्रवादी तत्वों को आम रेगर समाज का समर्थन नही मिल पा रहा है, वहीं दूसरी ओर अम्बेडरवादी रेगर युवाओं का एक विशाल समूह उठ खड़ा हुआ है जो शम्भू लाल जैसे दुर्दांत हत्यारे को नायकत्व देने की किसी भी कोशिस को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है ।
राजस्थान के प्रगतिशील रेगर युवा इस भगवा आतंक के विरोध में खड़े हो रहे हैं, वे आरएसएस की विषकरण की प्रक्रिया से समाज को बचाना चाहते हैं, वे शम्भू भवानी सरीखे किसी अपराधी को समाज का आदर्श बनाने की संघी कोशिस को विफल करने में लगे हैं।
(लेखक सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार हैं।)