भारत माता की जय। पवित्र नारा है। इस नारे को बोलते हुए जवान सीने पर गोलियाँ खा लेते हैं। इस नारे में भारत का विराट सामर्थ्य समाहित है। जब कोई झूठ और कपट से भारत माता की जय बोलता है तो इस नारे की पवित्रता को भंग करता है। फ़िल्मों में आपने देखा होगा। जब कोई डाकू टीका लगा कर जय माँ भवानी या जय माँ काली कहता है तो इससे वह संत नहीं हो जाता। वह डाकू ही रहता है। फ़िल्म का दर्शक जानता है कि जय माँ भवानी डाकू अपने पाप को बचाने के लिए बोल रहा है। उस डाकू का पीछा करती पुलिस इसलिए घर नहीं लौट जाती है कि डाकू जय माँ भवानी बोल रहा है। ललाट पर टीका लगाता है। और न ही माँ भवानी भक्ती के बदले डाकू को अमरत्व देती हैं। उसी की हार होती है। जीत कर्तव्यपरायण पुलिस अफ़सर की होती है। अर्णब भारत माता की जय बोलें। किसी को मनाही नहीं है। जेल में भी पंद्रह अगस्त के कार्यक्रम होते हैं। गणतंत्र दिवस की परेड होती है। लेकिन वह यह न समझें कि भारत माता की जय बोल कर आरोपों से बच जायेंगे।
अर्णब गोस्वामी ने व्हाट्स एप चैट को लेकर एक बयान जारी किया। उसमें कहीं नहीं लिखा कि चैट फ़र्ज़ी है। बालाकोट हमले की जानकारी के मामले में वे पाकिस्तान को घुसा कर ढाल बना रहे हैं। क्या TRP मामले में भी पाकिस्तान है? इस मामले में तो दूसरे चैनल भी अर्णब पर आरोप लगा रहे हैं। चैनलों की नियामक संस्था NBA ने भी कार्रवाई की बात की है। अब अगर ये ख़बर पाकिस्तान में छप जाए तो अर्णब ये डिबेट करेंगे कि पाकिस्तान को फ़ायदा हो रहा है? जिन दूसरे चैनलों ने अर्णब पर आरोप लगाया है वे भी तो उसी नेशनल सिलेबस के पास आउट हैं जिसके अर्णब हैं। मैं इस नेशनल सिलेबस को अब ‘मोदी सिलेबस’ कहता हूँ। इन चैनलों पर भी तो बिना बात के पाकिस्तान को घसीट कर डिबेट होता है और सवाल करने वालों को ललकारा जाता है ताकि मोदी जी को सियासी फ़ायदा हो। क्या अर्णब गोस्वामी इन चैनलों को भी कांग्रेस की तरह पाकिस्तान का एजेंट कहेंगे?
अर्णब गोस्वामी के व्हाट्स एप चैट में ज़्यादा गंभीर मामला TRP को लेकर है। किस तरह से वे एक रेटिंग एजेंसी के भीतर घुसपैठ करते हैं। जो जानकारी गुप्त है उसे हासिल करते हैं। उस रेटिंग एजेंसी का CEO उनसे प्रधानमंत्री कार्यालय में मीडिया सलाहकार का पद दिलाने का कहता है। अर्णब उसे सूचना प्रसारण मंत्री से मिलाने की बात करते हैं। टेलीकॉम सेक्टर में सारी कंपनियों को बिज़नेस का एक समान अवसर मिले इसे देखने के लिए एक नियामक संस्था है TRAI, इसे लेकर भी दोनों बात कर रहे हैं। अर्णब और पार्थो कह रहे हैं कि TRAI मैनेज करना है। इसी सबको लेकर मुंबई पुलिस जाँच कर रही है। लेकिन उसकी जाँच कभी मंज़िल पर नहीं पहुँचेगी। क्योंकि इस चैट में TRP को लेकर जिस तरह के अनैतिक खेल की बात हो रही है उसमें तो कई सूचना प्रसारण मंत्री और प्रधानमंत्री का भी ज़िक्र आ रहा है। यही कारण है कि बाक़ी चैनल चुप हैं। क्योंकि बोलेंगे तो इस घोटाले में मोदी सरकार का नाम बार बार आएगा। और उनमें ऐसा करने की हिम्म्त नहीं है।
इसीलिए मैं कहता हूँ कि गोदी मीडिया के ज़रिए भारत के लोकतंत्र की हत्या की जा चुकी है और आप इस हत्या के मूक दर्शक हैं। गवाह हैं। फिर भी चुप हैं। आप भी अर्णब की तरह भारत माता की जय बोलने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं। किसी नेता या एंकर की कपट पर पर्दा डालने के लिए भारत माता की जय मत बोलिए। सत्य को सामने लाने के लिए भारत माता की जय बोलिए।
नोट: इस खबर को छिपाया जा रहा है। आप सारा काम छोड़ कर गाँव गाँव में फैलाने में लग जाइये। ओला उबर में चल रहे हैं तो चालक को सुनाइये। ऑटो चालक को सुनाइये। किसी दुकानदार को सुनाइये। दरबान को सुनाइये। किसान को सुनाइये। सब्जीवाले को सुनाइये। इस वक्त आपका यही कर्तव्य है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, यह आर्टिकल उनके फेसबुक वॉल से साभार प्रकाशित किया गया है।)
अर्णब गोस्वामी ने व्हाट्स एप चैट को लेकर एक बयान जारी किया। उसमें कहीं नहीं लिखा कि चैट फ़र्ज़ी है। बालाकोट हमले की जानकारी के मामले में वे पाकिस्तान को घुसा कर ढाल बना रहे हैं। क्या TRP मामले में भी पाकिस्तान है? इस मामले में तो दूसरे चैनल भी अर्णब पर आरोप लगा रहे हैं। चैनलों की नियामक संस्था NBA ने भी कार्रवाई की बात की है। अब अगर ये ख़बर पाकिस्तान में छप जाए तो अर्णब ये डिबेट करेंगे कि पाकिस्तान को फ़ायदा हो रहा है? जिन दूसरे चैनलों ने अर्णब पर आरोप लगाया है वे भी तो उसी नेशनल सिलेबस के पास आउट हैं जिसके अर्णब हैं। मैं इस नेशनल सिलेबस को अब ‘मोदी सिलेबस’ कहता हूँ। इन चैनलों पर भी तो बिना बात के पाकिस्तान को घसीट कर डिबेट होता है और सवाल करने वालों को ललकारा जाता है ताकि मोदी जी को सियासी फ़ायदा हो। क्या अर्णब गोस्वामी इन चैनलों को भी कांग्रेस की तरह पाकिस्तान का एजेंट कहेंगे?
अर्णब गोस्वामी के व्हाट्स एप चैट में ज़्यादा गंभीर मामला TRP को लेकर है। किस तरह से वे एक रेटिंग एजेंसी के भीतर घुसपैठ करते हैं। जो जानकारी गुप्त है उसे हासिल करते हैं। उस रेटिंग एजेंसी का CEO उनसे प्रधानमंत्री कार्यालय में मीडिया सलाहकार का पद दिलाने का कहता है। अर्णब उसे सूचना प्रसारण मंत्री से मिलाने की बात करते हैं। टेलीकॉम सेक्टर में सारी कंपनियों को बिज़नेस का एक समान अवसर मिले इसे देखने के लिए एक नियामक संस्था है TRAI, इसे लेकर भी दोनों बात कर रहे हैं। अर्णब और पार्थो कह रहे हैं कि TRAI मैनेज करना है। इसी सबको लेकर मुंबई पुलिस जाँच कर रही है। लेकिन उसकी जाँच कभी मंज़िल पर नहीं पहुँचेगी। क्योंकि इस चैट में TRP को लेकर जिस तरह के अनैतिक खेल की बात हो रही है उसमें तो कई सूचना प्रसारण मंत्री और प्रधानमंत्री का भी ज़िक्र आ रहा है। यही कारण है कि बाक़ी चैनल चुप हैं। क्योंकि बोलेंगे तो इस घोटाले में मोदी सरकार का नाम बार बार आएगा। और उनमें ऐसा करने की हिम्म्त नहीं है।
इसीलिए मैं कहता हूँ कि गोदी मीडिया के ज़रिए भारत के लोकतंत्र की हत्या की जा चुकी है और आप इस हत्या के मूक दर्शक हैं। गवाह हैं। फिर भी चुप हैं। आप भी अर्णब की तरह भारत माता की जय बोलने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं। किसी नेता या एंकर की कपट पर पर्दा डालने के लिए भारत माता की जय मत बोलिए। सत्य को सामने लाने के लिए भारत माता की जय बोलिए।
नोट: इस खबर को छिपाया जा रहा है। आप सारा काम छोड़ कर गाँव गाँव में फैलाने में लग जाइये। ओला उबर में चल रहे हैं तो चालक को सुनाइये। ऑटो चालक को सुनाइये। किसी दुकानदार को सुनाइये। दरबान को सुनाइये। किसान को सुनाइये। सब्जीवाले को सुनाइये। इस वक्त आपका यही कर्तव्य है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, यह आर्टिकल उनके फेसबुक वॉल से साभार प्रकाशित किया गया है।)