आज रेल मंत्री पीयूष गोयल का ट्वीट देखकर बेहद ख़ुशी हुई। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी बिपिन चंद्र पाल की जयंति पर याद किया है। लिखा है कि बिपिन चंद्र पाल पीढ़ियों को अपने राष्ट्रवाद और क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित करते रहेंगे।
कोई वाकई क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित हो गया और सरकार को चुनौती देने लगा तो सबसे पहले पीयूष गोयल की उसे देशद्रोही कह देंगे या उनके समर्थक काम कर देंगे।
एक हफ्ता तक वे किसी महापुरुष से प्रेरित नहीं हुए। उनके ट्विट पर किसी की जयंति या पुण्यतिथि का स्मरण नहीं है। 31 अक्तूबर को वे ट्विट के ज़रिए सरदार पटेल से प्रेरित हो जाते हैं। लिखते हैं कि “ उनकी इच्छाशक्ति फौलाद के जैसी दृढ़ थी, देश के लिए उनकी प्रतिबद्धता अद्वितीय थी, उनका संकल्प अटल था। देशहित के लिए जो भी कार्य मिला उन्होंने पूरी निष्ठा से पूर्ण कर दिखाया।“
बेहतर होता आप इसी के साथ अपनी इच्छाशक्ति और मिले हुए कार्य को पूर्ण कर दिखाने का उदाहरण देते। भाई दूज, गोवर्धन पूजा, धनतेरस, छठ पर बधाई देना याद रहता है लेकिन मंत्रालय का जो काम मिला है, उसका हिसाब देना याद नहीं रहता है। आख़िर इतने महापुरुषों से जिस शख्स को इतनी प्रेरणा मिल रही हो, तो फिर उनका मंत्रालय 15000 से अधिक उम्मीदवारों को ज्वाइनिंग लेटर क्यों नहीं दे रहा है? क्यों पटेल से लेकर पाल तक से प्रेरणा पाने वाले रेल मंत्री 20 महीने में परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं करवा सके?
फरवरी 2018 में रेलवे ने लोको पायलट और टेक्निशयन की भर्ती निकाली थी। 20 महीने बीत गए लेकिन अभी भी इस परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। इस परीक्षा का रिज़ल्ट आ गया है। रिज़ल्ट के बाद दस्तावेज़ों की जांच हो चुकी है। मेडिकल भी हो चुका है। कोलकाता बोर्ड में ही 4000 से अधिक टेक्निशियन की ज्वाइनिंग नहीं हुई है। 1409 लोको पायलट की ज्वाइनिंग नहीं हुई है। परीक्षा पास कर वे घर बैठे हैं। बेरोज़गार हैं। उम्मीदवारों के अनुसार सितंबर तक ज्वाइनिंग हो जानी चाहिए थी। अब नवंबर चालू हो चुका है।
इलाहाबाद बोर्ड से भी उम्मीदवारों ने मुझे लिखा है कि दस हज़ार पदों पर उम्मीदवार नियुक्ति का इंतज़ार कर रहे हैं। हज़ारों की संख्या में छात्र इंतज़ार कर रहे हैं। दस्तावेज़ परीक्षण से लेकर मेडिकल जांच की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। ज्वाइनिंग कब होगी पता नहीं। क्या उन्हें घर बिठाकर सरकार अपने पैसे बचा रही है? मगर ये तो देखिए कि दिन गुज़रने के साथ बेरोज़गारों पर क्या मुसीबत होती होगी?
गोरखपुर बोर्ड के एक उम्मीदवार ने बताया है कि वहां लोको पायलट के 1681 पद थे। 1377 पदों पर भर्ती पूरी हो गई लेकिन उसके बाद का पता नहीं चल पा रहा है। टेक्निशियन का हाल तो और बुरा है। उनकी ज्वाइनिंग का पैनल तक नहीं बना है।
रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड मुंबई में 5700 पद थे, मगर 600 की बहाली पूरी हुई है। ज्वाइनिंग हुई है। 4100 उम्मीदवार अभी भी इंतज़ार कर रहे हैं।
चंडीगढ़ बोर्ड से भी ऐसी सूचना मिल रही है। उम्मीदवारों ने बताया है कि 4000 के करीब उम्मीदवार ज्वाइनिंग के लिए इंतज़ार कर रहे हैं। मात्र 600 की हुई है। पूछने पर बोर्ड कोई सूचना नहीं देता है।
रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड के उम्मीदवारों ने बताया है कि यहां भी मात्र 500 की ज्वाइनिंग हुई है। 3000 उम्मीदवार अभी भी इंतज़ार कर रहे हैं।
यही नहीं चुनावों के दौरान नौजवानो को लुभाने के लिए रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड ने NTPC की 35,000 वेकेंसी निकाली थी। उम्मीदवारों का कहना है कि इसके लिए एक करोड़ से अधिक लोगों ने फार्म भरा था। फार्म भरने की अंतिम तारीख़ 31 मार्च 2019 थी। इस परीक्षा में आर्थिक रुप से कमज़ोर तबके को आरक्षण मिला था। मगर वे फार्म भर कर ही रह गए। न परीक्षा हुआ और न नौकरी मिली।
इस फार्म को भरने के लिए जनरल ने 500 दिए, अनुसूचित जाति-जनजाति ने 250 रुपये दिए। रेलवे बेरोज़गारों से करोड़ों रुपये लेकर बैठी हुई है। परीक्षा नहीं करा रही है।
31 मार्च 2019 को फार्म भरे जाने के बाद भी NTPC की 35,000 भर्ती की परीक्षा नहीं हुई है। पहले कहा गया कि अगस्त-सितंबर में होगी लेकिन नवंबर का पहला हफ्ता बीत चुका है। रेल मंत्री प्रधानमंत्री के ट्विट को दिन भर ट्विट करते रहते हैं, इन सब बातों की जानकारी जनता को नहीं देते हैं। फिर कैसे मान लिया जाए कि ये हर सुबह महापुरुषों से प्रेरित होते रहते हैं।
बेहतर है रेल मंत्री अपना मूल काम करें। मेरे पास ही 25,000 से अधिक उम्मीदवारों का हिसाब है जो पास हो जाने के बाद भी नियुक्ति का इंतज़ार कर रहे हैं। यह संख्या और भी अधिक हो सकती है। मंत्री जी से आग्रह हैं कि सभी को एक हफ्ते के भीतर ज्वाइनिंग लेटर दे दें। उन्हें वेतन देना शुरू करें। इतना कर दें तो काफी है। इसके बाद वे भूल भी जाएं कि आज किसकी जयंति है तो किसी को बुरा नहीं लगेगा। सरदार को भी बुरा नहीं लगेगा और न बिपिन चंद्र पाल को।
कोई वाकई क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित हो गया और सरकार को चुनौती देने लगा तो सबसे पहले पीयूष गोयल की उसे देशद्रोही कह देंगे या उनके समर्थक काम कर देंगे।
एक हफ्ता तक वे किसी महापुरुष से प्रेरित नहीं हुए। उनके ट्विट पर किसी की जयंति या पुण्यतिथि का स्मरण नहीं है। 31 अक्तूबर को वे ट्विट के ज़रिए सरदार पटेल से प्रेरित हो जाते हैं। लिखते हैं कि “ उनकी इच्छाशक्ति फौलाद के जैसी दृढ़ थी, देश के लिए उनकी प्रतिबद्धता अद्वितीय थी, उनका संकल्प अटल था। देशहित के लिए जो भी कार्य मिला उन्होंने पूरी निष्ठा से पूर्ण कर दिखाया।“
बेहतर होता आप इसी के साथ अपनी इच्छाशक्ति और मिले हुए कार्य को पूर्ण कर दिखाने का उदाहरण देते। भाई दूज, गोवर्धन पूजा, धनतेरस, छठ पर बधाई देना याद रहता है लेकिन मंत्रालय का जो काम मिला है, उसका हिसाब देना याद नहीं रहता है। आख़िर इतने महापुरुषों से जिस शख्स को इतनी प्रेरणा मिल रही हो, तो फिर उनका मंत्रालय 15000 से अधिक उम्मीदवारों को ज्वाइनिंग लेटर क्यों नहीं दे रहा है? क्यों पटेल से लेकर पाल तक से प्रेरणा पाने वाले रेल मंत्री 20 महीने में परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं करवा सके?
फरवरी 2018 में रेलवे ने लोको पायलट और टेक्निशयन की भर्ती निकाली थी। 20 महीने बीत गए लेकिन अभी भी इस परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। इस परीक्षा का रिज़ल्ट आ गया है। रिज़ल्ट के बाद दस्तावेज़ों की जांच हो चुकी है। मेडिकल भी हो चुका है। कोलकाता बोर्ड में ही 4000 से अधिक टेक्निशियन की ज्वाइनिंग नहीं हुई है। 1409 लोको पायलट की ज्वाइनिंग नहीं हुई है। परीक्षा पास कर वे घर बैठे हैं। बेरोज़गार हैं। उम्मीदवारों के अनुसार सितंबर तक ज्वाइनिंग हो जानी चाहिए थी। अब नवंबर चालू हो चुका है।
इलाहाबाद बोर्ड से भी उम्मीदवारों ने मुझे लिखा है कि दस हज़ार पदों पर उम्मीदवार नियुक्ति का इंतज़ार कर रहे हैं। हज़ारों की संख्या में छात्र इंतज़ार कर रहे हैं। दस्तावेज़ परीक्षण से लेकर मेडिकल जांच की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। ज्वाइनिंग कब होगी पता नहीं। क्या उन्हें घर बिठाकर सरकार अपने पैसे बचा रही है? मगर ये तो देखिए कि दिन गुज़रने के साथ बेरोज़गारों पर क्या मुसीबत होती होगी?
गोरखपुर बोर्ड के एक उम्मीदवार ने बताया है कि वहां लोको पायलट के 1681 पद थे। 1377 पदों पर भर्ती पूरी हो गई लेकिन उसके बाद का पता नहीं चल पा रहा है। टेक्निशियन का हाल तो और बुरा है। उनकी ज्वाइनिंग का पैनल तक नहीं बना है।
रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड मुंबई में 5700 पद थे, मगर 600 की बहाली पूरी हुई है। ज्वाइनिंग हुई है। 4100 उम्मीदवार अभी भी इंतज़ार कर रहे हैं।
चंडीगढ़ बोर्ड से भी ऐसी सूचना मिल रही है। उम्मीदवारों ने बताया है कि 4000 के करीब उम्मीदवार ज्वाइनिंग के लिए इंतज़ार कर रहे हैं। मात्र 600 की हुई है। पूछने पर बोर्ड कोई सूचना नहीं देता है।
रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड के उम्मीदवारों ने बताया है कि यहां भी मात्र 500 की ज्वाइनिंग हुई है। 3000 उम्मीदवार अभी भी इंतज़ार कर रहे हैं।
यही नहीं चुनावों के दौरान नौजवानो को लुभाने के लिए रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड ने NTPC की 35,000 वेकेंसी निकाली थी। उम्मीदवारों का कहना है कि इसके लिए एक करोड़ से अधिक लोगों ने फार्म भरा था। फार्म भरने की अंतिम तारीख़ 31 मार्च 2019 थी। इस परीक्षा में आर्थिक रुप से कमज़ोर तबके को आरक्षण मिला था। मगर वे फार्म भर कर ही रह गए। न परीक्षा हुआ और न नौकरी मिली।
इस फार्म को भरने के लिए जनरल ने 500 दिए, अनुसूचित जाति-जनजाति ने 250 रुपये दिए। रेलवे बेरोज़गारों से करोड़ों रुपये लेकर बैठी हुई है। परीक्षा नहीं करा रही है।
31 मार्च 2019 को फार्म भरे जाने के बाद भी NTPC की 35,000 भर्ती की परीक्षा नहीं हुई है। पहले कहा गया कि अगस्त-सितंबर में होगी लेकिन नवंबर का पहला हफ्ता बीत चुका है। रेल मंत्री प्रधानमंत्री के ट्विट को दिन भर ट्विट करते रहते हैं, इन सब बातों की जानकारी जनता को नहीं देते हैं। फिर कैसे मान लिया जाए कि ये हर सुबह महापुरुषों से प्रेरित होते रहते हैं।
बेहतर है रेल मंत्री अपना मूल काम करें। मेरे पास ही 25,000 से अधिक उम्मीदवारों का हिसाब है जो पास हो जाने के बाद भी नियुक्ति का इंतज़ार कर रहे हैं। यह संख्या और भी अधिक हो सकती है। मंत्री जी से आग्रह हैं कि सभी को एक हफ्ते के भीतर ज्वाइनिंग लेटर दे दें। उन्हें वेतन देना शुरू करें। इतना कर दें तो काफी है। इसके बाद वे भूल भी जाएं कि आज किसकी जयंति है तो किसी को बुरा नहीं लगेगा। सरदार को भी बुरा नहीं लगेगा और न बिपिन चंद्र पाल को।