विरोधी को मारना हो तो ईवीएम से मारो, गोली मत मारो

Written by Rakesh Kayasth | Published on: May 31, 2018
फिल्मी धुनों के सबसे बुरी बात यह होती है कि आप दो-तीन बार सुन लें तो दिमाग़ पर चढ़ जाती हैं। हमेशा पीछा करती रहती हैं। पीएम जी के साथ भी ऐसा ही रहा था। एक ही धुन बार-बार में दिमाग़ में चल रही थी। हैदराबाद के ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट तक इस धुन ने पीछा नहीं छोड़ा—



अपने विरोधी का करके बुर्रा हाल रे.. 
ईवीएम से गोली मारे.. 
नेता हमार रे.. ईवीएम से गोली मारे.. डिचक्यू

गाना यूपी- बिहार में कैंपेन के लिए बब्बन सिंह से खासतौर पर कंपोज करवाया गया था। फड़कते संगीत के अलावा इस गाने की दो-तीन और खूबियां थीं। एक तो यह गीत अध्यक्ष जी को क्लीन चिट देता था। साथ ही अहिंसा जैसे महान मूल्यों की स्थापना भी करता था। 

विरोधी को मारना हो तो ईवीएम से मारो, गोली मत मारो। पीएम जी के मन में विचार आया कि क्यों ना अगले साल 2 अक्टूबर को राजघाट पर सर्वधर्म प्रार्थना से पहले इस गीत को बजवा दिया जाये। युवा पीढ़ी गांधी को लेकर उदासीन है। नये धुन में गाना सुनेगी तो गांधीवाद के प्रति उसके मन में आकर्षण पैदा होगा।
आइडिया ज़बरदस्त था। फिर भी पीएम ने थोड़ी देर के लिए जबरन गाने को दिमाग से परे धकेला और इनवेस्टर्स मीट में आये कोरियन स्पीकर को ध्यान से सुनने लगे।

कई और वक्ताओं की तरह उसने भी यही कहा कि इज़ ऑफ बिजनेस यानी व्यापार की सुविधा के मामले में भारत की स्थिति अब दुनिया के ज्यादातर देशो से बेहतर है। पकौड़ा पावर विजन डॉक्युमेंट भारत के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा। कोरियन कंपनी कैपिटल गुड्स के क्षेत्र में सक्रिय है। लेकिन वह भारत की पकौड़ा इकॉनमी की संभावनाओं के दोहन के लिए बेचैन है।

रामभरोसे से पिछली मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री के मन में पकौड़ा पावर विजन डॉक्युमेंट का आइडिया आया था, जिसे उन्होने 48 घंटे के भीतर अमली जामा पहना दिया। इस बार पार्टी ने अपना कोई घोषणा पत्र जारी नहीं किया, बस केवल चार पन्ने का पकौड़ा पावर विजन डॉक्युमेंट।

डॉक्युमेंट क्या था, गागर में सागर था। ठीक से इंप्लीमेंट हो जाये तो कुछ और करने की ज़रूरत ही नहीं है। विजन डॉक्युमेंट के उपर लिखा था, हर हाथ को काम हर प्लेट को पकौड़ा।

पार्टी के ज्यादातर लोगो ने कहा कि इससे मुख्य विपक्षी पार्टी के अलावा कम्युनिस्टों का भी सर्जिकल स्ट्राइक हो गया। इस विजन डॉक्युमेंट की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि इसमें भारत को 2030 तक एक पूर्ण पकौड़ा राष्ट्र में परिवर्तित करने का संकल्प रखा गया था।

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