छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद प्रभावित इलाकों में अध्यापन का काम करने वाले विद्या मितान लगातार 22 दिनों से भूख हड़ताल कर रहे हैं, लेकिन रमन सिंह सरकार ने अब तक उन पर कोई ध्यान नहीं दिया है। ये विद्या मितान ठेका कंपनी द्वारा रखे गए हैं और ये चाहते हैं कि उन्हें नियमित शिक्षक के रूप में तैनात किय जाए।

ये विद्या मितान बस्तर और सरगुजा संभाग के साथ-साथ रायगढ़, राजनांदगांव, गरियाबंद जैसे 14 नक्सल प्रभावित इलाकों में पढ़ाने का काम करते हैं। प्रदेश भर में इनकी संख्या 6 हजार है और ये सब ठेका कंपनी के शोषण के शिकार हो रहे हैं।
भूख हड़ताल पर बैठे विद्या मितानों की हालत अब बिगड़ने लगी है। कई विधायक भी धरना स्थल पर जाकर इनका समर्थन कर चुके हैं, लेकिन सरकार के स्तर पर कोई पहल नहीं की गई है। विद्या मितान संघ का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे हड़ताल जारी रखेंगे। कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा ने भी हड़ताली विद्या मितानों का समर्थन किया है और कहा है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर उनका संविलयन किया जाएगा।
विद्या मितानों का कहना है कि सरकार उनके वेतन के रूप में कंपनी को 28 हजार रुपए देती है, लेकिन उनको कंपनी केवल 15 हजार रुपए देती है। आंदोलनकारियों का कहना है कि प्रदेश में भी 15 हजार से ज्यादा पद शिक्षकों के खाली हैं तो उन पर इनकी भर्ती क्यों नहीं की जा रही है, जबकि वे परीक्षा देने को भी तैयार हैं।
तीन साल पहले इन विद्या मितानों की नियुक्ति ऐसे इलाकों में की गई थी जहां कोई शिक्षक जाना नहीं चाहता। सरकार ने इसके लिए आउट सोर्सिंग का तरीका अपनाया था, लेकिन यही तरीका विद्या मितानों के शोषण का जरिया बन गया है।
अधिकतर विद्या मितान किसान परिवारों से हैं और शिक्षकीय कार्य से ही इनके परिवारों का गुजारा हो पा रहा है। आंदोलनकारियों ने जल सत्याग्रह करने का भी फैसला किया था, लेकिन प्रशासन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दे रहा है।

ये विद्या मितान बस्तर और सरगुजा संभाग के साथ-साथ रायगढ़, राजनांदगांव, गरियाबंद जैसे 14 नक्सल प्रभावित इलाकों में पढ़ाने का काम करते हैं। प्रदेश भर में इनकी संख्या 6 हजार है और ये सब ठेका कंपनी के शोषण के शिकार हो रहे हैं।
भूख हड़ताल पर बैठे विद्या मितानों की हालत अब बिगड़ने लगी है। कई विधायक भी धरना स्थल पर जाकर इनका समर्थन कर चुके हैं, लेकिन सरकार के स्तर पर कोई पहल नहीं की गई है। विद्या मितान संघ का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे हड़ताल जारी रखेंगे। कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा ने भी हड़ताली विद्या मितानों का समर्थन किया है और कहा है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर उनका संविलयन किया जाएगा।
विद्या मितानों का कहना है कि सरकार उनके वेतन के रूप में कंपनी को 28 हजार रुपए देती है, लेकिन उनको कंपनी केवल 15 हजार रुपए देती है। आंदोलनकारियों का कहना है कि प्रदेश में भी 15 हजार से ज्यादा पद शिक्षकों के खाली हैं तो उन पर इनकी भर्ती क्यों नहीं की जा रही है, जबकि वे परीक्षा देने को भी तैयार हैं।
तीन साल पहले इन विद्या मितानों की नियुक्ति ऐसे इलाकों में की गई थी जहां कोई शिक्षक जाना नहीं चाहता। सरकार ने इसके लिए आउट सोर्सिंग का तरीका अपनाया था, लेकिन यही तरीका विद्या मितानों के शोषण का जरिया बन गया है।
अधिकतर विद्या मितान किसान परिवारों से हैं और शिक्षकीय कार्य से ही इनके परिवारों का गुजारा हो पा रहा है। आंदोलनकारियों ने जल सत्याग्रह करने का भी फैसला किया था, लेकिन प्रशासन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दे रहा है।