प्रिय मोहन भागवत जी!

Written by Dilip Mandal | Published on: July 23, 2016
प्रिय मोहन भागवत जी,

मुझे RSS के वरिष्ठ पदाधिकारी रहे व्यक्ति से पता चला है कि आप इस बात से दुखी हैं कि लाखों की संख्या में लोग, गुजरात में आपकी मां के मरने, सड़क पर पड़ी होने और लाश सड़ने जैसी बातें लिख रहे हैं.
यह सच है कि किसी की भी मां के बारे में ऐसा नहीं लिखा जाना चाहिए. मां और बेटे/बेटी का रिश्ता इस दुनिया की सबसे बड़ी और पवित्र बात है.

हालांकि यह बात आपकी मां नहीं, गायों के बारे में है.

चूंकि मैंने भी यह बात लिखी है और शायद सबसे पहले लिखी है, इसलिए मैं क्षमाप्रार्थी हूं. आपको तकलीफ हुई, मुझे अफसोस है. आपकी मां हमारे लिए आदरणीय हैं. मैं उनकी यादों को प्रणाम करता हूं.
लेकिन आप उस नाराजगी को समझिए, सदियों के उस संताप को समझिए, जो सनातन धर्म ने दलितों को दिए हैं और जो अब भी जारी है.

हिंदुओं के एक बड़े हिस्से में आपकी बात को गंभीरता से सुना जाता है. आप चाहेंगे तो अपर कास्ट हिंदू पुरुषों में थोड़ी इंसानियत आ सकती है. आप अपने लोगों से कहिए कि गाय के नाम आतंकवाद फैलाना बंद करें. क्या फर्क पड़ता है कि पीड़ित दलित है या मुसलमान.

आप लोग शासन में हैं. शांतिपूर्ण तरीके से नरेंद्र मोदी को सरकार चलाने दीजिए. दो चार राज्यों में हार भी गए तो क्या फर्क पड़ता है.

वैसे, आप अपने कार्यकर्ताओं से यह भी कह सकते हैं कि अब से मरी हुई गाय का अंतिम संस्कार खुद करें. एक गाय का अंतिम संस्कार करके आप रास्ता दिखा सकते हैं. इससे समरसता आएगी. समानता तो आप लोग चाहते नहीं, समरसता ही कर लीजिए.

धन्यवाद

दिलीप मंडल



 

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