अखबारों में खबरों के चयन पर नजर रखिए, एंटायर पॉलिटिकल साइंस समझ जाएंगे

Written by संजय कुमार सिंह | Published on: June 12, 2019
आज कुछ ऐसी खबरों के बारे में जो सभी अखबारों में पहले पन्ने पर होनी चाहिए थीं पर नहीं है। कल मैंने लिखा था कि टप्पल में अभियुक्तों को फांसी देने और जिन्दा जला देने की मांग अखबारों में खूब है पर जम्मू के कठुआ में कुछ महीने पहले हुए ऐसे ही कांड में अदालत का फैसला आने और दोषियों के साथ सबूत नष्ट करने के आरोप में तीन लोगों को सजा होने के बाद पीड़िता की मां ने कहा कि दोषियों को फांसी होनी चाहिए थी तो खबर वैसे नहीं छपी जैसे टप्पल के दोषियों को फांसी देने और जिन्दा जलाने की मांग की जा रही थी। ठीक है, कठुआ की मांग पीड़ित की मां की थी और टप्पल की मांग साध्वी प्राची और दूसरे नेताओं की थी। लेकिन खबर पर तो खबर के नियम ही लागू होंगे। खबरें किसी को खुश करने या किसी की सेवा करने के लिए नहीं होती हैं। पर पिछले कुछ समय से ऐसा ही हो रहा है और खूब हो रहा है पूरी बेशर्मी से हो रहा है और इसमें पत्रकारिता के सामान्य नियम भी गड़बड़ा गए लगते हैं और आज कुछ खबरों से इस बात की पुष्टि होती लगती है कि खबरों का चयन पत्रकारिता के सामान्य नियमों से नहीं होता है।

आज मैंने जिस क्रम से अखबार देखे उसी क्रम से चर्चा पर आता हूं। सबसे पहले कोलकाता का आंग्रेजी दैनिक द टेलीग्राफ। वैसे तो कोलकाता की खबरों (या अखबार) की तुलना दिल्ली के अखबारों से करने का कोई मतलब नहीं है पर आजकल बंगाल में राजनीति हो रही है और मामला जरा गर्म चल रहा है। मैंने पहले भी लिखा है कोलकाता में भाजपा की लड़ाई दिल्ली के अखबारों में लड़ी जाए तो लाभ देशभर में मिलेगा। और ऐसा हो भी चुका है। इसलिए कोलकाता की खबरें दिल्ली के अखबारों में रहती हैं। प्यार से रहती हैं और पहले पन्ने पर भी नजर आती हैं। कौन सी और कैसे ये आप जानते हैं। जब बताने की जरूरत होगी मैं बताउंगा भी। इस लिहाज से कोलकाता की खबर जिसे टेलीग्राफ ने पहले पन्ने पर छापा है दिल्ली में छप सकती थी। आज कुछ और खबरें छपी हैं पर ये वाली नहीं। आप पहले पन्ने के लिए खबरों के चुनाव की मंशा समझिए। खबर के मुताबिक एनआरएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में एक बुजुर्ग मरीज की मौत के बाद चिकित्सों पर हुए बर्बर हमले से पूरे राज्य के मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य सेवाएं बंद हो गईं। चिकित्सकों पर हमले की गुंडई को एक नेता ने भड़काने की कोशिश की और एनआरएस अस्पताल तो बंद ही हो गया। खबर से लगता है कि वो नेता भाजपा के मुकुल राय हो सकते हैं। यह खबर दिल्ली के दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं है। हो सकती थी।

इंडियन एक्सप्रेस में आज कई एक्सक्लूसिव खबरें हैं जो दूसरे अखबारों में हो सकती थीं। पर एक्सक्लूसिव हैं इसलिए मान लेना चाहिए कि दूसरे अखबारों को मिली ही नहीं होंगी। हालांकि आजकल ऐसी (बाईलाइन वाली) खबरे करने का रिवाज नहीं है। इनमें सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमणियम का खुलासा और सरकार का बचाव से लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए एक पत्रकार को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से संबंधित खबर और निजी क्षेत्र के 400 विशेषज्ञों को सरकार में शामिल करने की योजना से संबंधित खबरें शामिल हैं। पर आज मैं इनकी चर्चा यहां नहीं कर रहा। अलग से कर चुका हूं।

टाइम्स ऑफ इंडिया में एक खबर प्रमुखता से है, झांसी में चार रेल यात्री लू लगने से मरे। सोशल मीडिया पर यह खबर कल दिन में आ गई थी। घटना सोमवार की है इसलिए मुमकिन है कि कल के अखबारों में छप चुकी हो। पर कल भी मुझे किसी अखबार में पहले पन्ने पर प्रमुखता से नहीं दिखी थी। मुमकिन है आज भी यह अंदर के पन्ने पर हो पर कई कारणों से यह पहले पन्ने की खबर है। खबर के मुताबिक ये चार लोग आगरा से कोयंबतूर जा रहे थे और वरिष्ठ नागरिक थे तथा 68 लोगों के समूह में थे। मरने वालों की आयु 80, 67 और 74 साल है। चौथे यात्री की मृत्यु अस्पताल में हुई। वह 87 साल के थे। अखबार ने 5 करोड़ अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति देने की घोषणा की खबर सिंगल कॉलम में छापी है जबकि दैनिक जागरण में लीड है।

हिन्दुस्तान टाइम्स में वाहनों की बिक्री में मंदी जारी, मई में बिक्री 18 साल में सबसे ज्यादा गिरी, खबर प्रमुखता से है। यह देश की अर्थव्यवस्था की हालत और कल पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमणियम के खुलासे के मद्देनजर महत्वपूर्ण है। पर यह भी दूसरे अखबारों में इतनी प्रमुखता से नहीं है। और दूसरे अखबारों में जब मौसम, गर्मी और चक्रवात से संबंधित खबरें हैं तो हिन्दुस्तान टाइम्स ने प्रदूषण के लिए तैयार रहने के लिए कहा है।

नवभारत टाइम्स ने पहले पन्ने पर कोलकाता की एक खबर छापी है। शीर्षक है, बीजेपी के सामने ममता के नए ईश्वर। खबर में बताया गया है कि चुनाव के दौरान विद्यासगर की मूर्ति टूटने के बाद ही टीएमसी और बीजेपी के बीच टकराव चरम पर था। मूर्ति का अनावरण करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी पर हमलावर नजर आईं और कहा कि हर पद की संवैधानिक हद है। बंगाल को गुजरात बनाने की कोशिश हो रही है।

हिन्दुस्तान ने टॉप पर पांच कॉलम में प्रमुखता से छापा है, लू के थपेड़ों से तनाव और बेचैनी कई गुना बढ़ेगी। वैसे तो इसमें और भी खबरें हैं जो दूसरे अखबारों में प्रमुखता से हैं पर उत्तर प्रदेश के पत्रकार से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लीड बनाने के साथ इस खबर को टॉप पर रखा गया है जबकि किडनी कांड में फोर्टिस की अधिकारी गिरफ्तार - खबर को अमर उजाला ने टॉप पर पांच कॉलम में प्रमुखता से छापा है। मेरे ख्याल से किडनी रैकेट में किसी बड़े अस्पताल की बड़ी अधिकारी का गिरफ्तार होना गंभीर मामला है और इसे प्रमुखता मिलनी चाहिए। इसके भिन्न पहलुओं पर भी चर्चा होनी चाहिए। पर होगी नहीं क्योंकि मीडिया ऐसा कोई मुद्दा सामने लाता ही नहीं है जिससे लगे कि सरकार इसपर काम नहीं कर रही है।

नवोदय टाइम्स में आज अंतरिक्ष में भी ताकत दिखाने की तैयारी शीर्षक खबर लीड है। इसका उपशीर्षक है, सरकार ने दी नई एजेंसी को मंजूरी। यह चुनाव प्रचार के दौरान विशेष टेलीविजन घोषणा वाली खबर का विस्तार है जिसे चुनाव आयोग ने क्लीन चिट दिया था। यह खबर भी आज किसी दूसरे अखबार में पहले पन्ने पर नहीं है। राजस्थान पत्रिका में कल गुजरात तट से टकराएगा चक्रवात, 350 गांवों के चार लाख लोगों पर खतरा शीर्षक खबर लीड है। इसका मुख्य शीर्षक है मानसून को 2-3 दिन रोक देगा 'वायु'। मौसम से संबंधित यह खबर भी महत्वपूर्ण है और पहले पन्ने के लायक है। अमर उजाला में भी यह प्रमुखता से है। आप अपने अखबार में देखिए।

दैनिक जागरण के लीड की चर्चा मैं कर चुका हूं। निश्चित रूप से यह एक महत्वपूर्ण खबर है पर किसी और अखबार ने इसे लीड नहीं बनाया है। पांच करोड़ अल्पसंख्यक छात्रों को मोदी सरकार देगी वजीफा और जुलाई से मदरसा शिक्षकों को दी जाएगी मुख्यधारा की शिक्षा - साधारण बात नहीं है। पर खबर को ऐसी प्रमुखता नहीं मिली है। जागरण में कोलकाता या पश्चिम बंगाल की एक और खबर है जो दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं है जबकि मेरी राय में हो सकती थी। बंगाल में सियासी हिंसा जारी, तीन की हत्या शीर्षक से प्रकाशित इस खबर में कहा गया है, पश्चिम बंगाल में सियासी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। सोमवार रात उत्तर 24 परगना में दो और पश्चिम बर्धमान में एक की हत्या कर दी गई। तृणमूल ने मृतकों को पार्टी कार्यकर्ता बताते हुए भाजपा पर आरोप लगाया है। एडीजी (कानून-व्यवस्था) ज्ञानवंत सिंह ने कहा, पुलिस कार्रवाई कर रही है। भाजपा नेता मुकुल रॉय ने राज्य में हिंसा रोकने के लिए उचित कदम उठाने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है।

दैनिक भास्कर में पहले पन्ने पर ऐसी कोई खबर नहीं है जो दूसरे अखबारों में नहीं है या आज जिसका उल्लेख किया जाए पर चार बुजुर्ग रेल यात्रियों की मौत की खबर दो कॉलम में है और यह खबर राजस्थान पत्रिका में भी सिंगल कॉलम में है।

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आज के टेलीग्राफ की पहली खबर जो दिल्ली के अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं है। लेकिन कोलकाता की दूसरी खबरें हैं। खबरों के चयन पर नजर रखिए। एंटायर पॉलिटिकल साइंस समझ जाएंगे। मुकल राय कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस से होते हुए आजकल भाजपा में हैं और अखबार का यह शीर्षक लगभग उन्हें ही संबोधित है। हिन्दी में इस प्रकार होता, इस पागलपन को रोकिए। सुनिश्चित कीजिए कि हमलावरों को कोई राहत न मिले और चिकित्सक सुरक्षित रहें। पर मुकुल राय आप किसी समाज पर आरोप कैसे लगा सकते हैं? Lunacy का मतलब पागलपन और उन्माद दोनों होता है। अगर आप इस शीर्षक को मुकुल राय को संबोधित मानें (उपशीर्षक तो है ही) तो पागलपन ही उपयुक्त है। वैसे आम लोगों या हमलावरों के लिए उन्माद सही होगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)

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