मुंबई। मुंबई की रेजिडेंट डॉक्टर पायल तडवी आत्महत्या मामले में बुधवार को पुलिस ने तीनों आरोपी महिला डॉक्टरों को हिरासत में ले लिया है। तीनों पर जूनियर डॉक्टर तडवी पर जातिगत टिप्पणी कर उसे आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। मंगलवार को मामले में पुलिस ने एक आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार किया था। वहीं, बुधवार की सुबह सभी तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें 31 मई तक पुलिस रिमांड में भेजने का फैसला सुनाया है।
अदालत ने पुलिस की यह दलील मान ली है कि आरोपियों भक्ति मेहेरे, हेमा आहूजा और अंकिता खंडेलवाल को हिरासत में लेने की जरूरत इसलिए है ताकि यह पता चल सके कि मृतका ने कोई सुसाइड नोट छोड़ा था या नहीं और अगर छोड़ा था तो क्या आरोपियों ने उसे नष्ट कर दिया है? पुलिस ने बताया कि मेहेरे को मंगलवार को ही गिरफ्तार कर लिया गया था जबकि आहूजा और खंडेलवाल को बुधवार की सुबह पुणे से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने कोर्ट से कहा कि आरोपियों के मोबाइल फोन से वॉट्सऐप चैट हासिल करने में अभी वक्त लगेगा।
पुलिस ने बताया कि तड़वी के शरीर पर चोट के निशान पाए गए हैं और इसकी भी जांच जरूरी है। इसके लिए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। तडवी के परिवार की ओर से पेश हुए वकील नितिन सतपुते ने आरोप लगाया कि चोट के निशान से पता चलता है कि तडवी की हत्या की गई है और इसलिए आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए। वहीं, आरोपियों के वकील आबाद पोंडा ने दलील दी कि तीनों डॉक्टरों को तड़वी की जाति के बारे में पता भी नहीं था।
पोंडा ने कहा, 'आत्महत्या के लिए तब उकसाया जाता है जब कोई जानबूझकर व्यक्ति को नुकसान पहुंचाना चाहता है लेकिन आरोपियों ने (इस मामले में) केवल उनके काम के लिए उन्हें डांटा था और उनको नुकसान पहुंचने की उनकी कोई मंशा नहीं थी।' उन्होंने कहा कि अगर मृतका को कोई रास्ता नहीं सूझा तो उन्हें नौकरी छोड़ देनी चाहिए थी या शीर्ष अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज करानी चाहिए थी। वॉट्सऐप चैट का हवाला देते हुए पोंडा ने कहा कि तड़वी ने अपनी मां को बताया था कि अस्पताल में कोई नहीं जानता कि उसकी जाति क्या है।
अदालत ने पुलिस की यह दलील मान ली है कि आरोपियों भक्ति मेहेरे, हेमा आहूजा और अंकिता खंडेलवाल को हिरासत में लेने की जरूरत इसलिए है ताकि यह पता चल सके कि मृतका ने कोई सुसाइड नोट छोड़ा था या नहीं और अगर छोड़ा था तो क्या आरोपियों ने उसे नष्ट कर दिया है? पुलिस ने बताया कि मेहेरे को मंगलवार को ही गिरफ्तार कर लिया गया था जबकि आहूजा और खंडेलवाल को बुधवार की सुबह पुणे से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने कोर्ट से कहा कि आरोपियों के मोबाइल फोन से वॉट्सऐप चैट हासिल करने में अभी वक्त लगेगा।
पुलिस ने बताया कि तड़वी के शरीर पर चोट के निशान पाए गए हैं और इसकी भी जांच जरूरी है। इसके लिए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। तडवी के परिवार की ओर से पेश हुए वकील नितिन सतपुते ने आरोप लगाया कि चोट के निशान से पता चलता है कि तडवी की हत्या की गई है और इसलिए आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए। वहीं, आरोपियों के वकील आबाद पोंडा ने दलील दी कि तीनों डॉक्टरों को तड़वी की जाति के बारे में पता भी नहीं था।
पोंडा ने कहा, 'आत्महत्या के लिए तब उकसाया जाता है जब कोई जानबूझकर व्यक्ति को नुकसान पहुंचाना चाहता है लेकिन आरोपियों ने (इस मामले में) केवल उनके काम के लिए उन्हें डांटा था और उनको नुकसान पहुंचने की उनकी कोई मंशा नहीं थी।' उन्होंने कहा कि अगर मृतका को कोई रास्ता नहीं सूझा तो उन्हें नौकरी छोड़ देनी चाहिए थी या शीर्ष अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज करानी चाहिए थी। वॉट्सऐप चैट का हवाला देते हुए पोंडा ने कहा कि तड़वी ने अपनी मां को बताया था कि अस्पताल में कोई नहीं जानता कि उसकी जाति क्या है।