विपक्ष ने वक्फ विधेयक पर संयुक्त समिति की बैठक से वॉकआउट किया, अध्यक्ष को हटाने की मांग की

Written by sabrang india | Published on: October 16, 2024
वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पर संयुक्त समिति की बैठक से कई विपक्षी सांसदों ने मंगलवार, 15 अक्टूबर को वॉकआउट किया। उनका आरोप था कि भाजपा के एक सदस्य ने उनके बारे में अपमानजनक टिप्पणी की है। कल्याण बनर्जी, गौरव गोगोई, ए राजा, मोहम्मद अब्दुल्ला और अरविंद सावंत सहित विपक्षी दलों के सदस्यों ने विरोध में बैठक छोड़ दी।





लगातार दूसरे दिन मतभेदों के कारण विपक्षी सदस्यों ने समिति की बैठक से वॉकआउट किया। इससे पहले, उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष को एक औपचारिक अनुरोध प्रस्तुत किया था, जिसमें समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को हटाने और अपनी शिकायतों पर चर्चा करने के लिए एक अलग बैठक की मांग की गई।
विपक्षी सांसदों का दावा है कि अपमानजनक टिप्पणी के कारण उन्होंने वॉकआउट किया, जबकि भाजपा सदस्यों ने उन पर समिति के अध्यक्ष का अनादर करने का आरोप लगाया। खींचतान के बावजूद, विपक्षी सदस्य लगभग एक घंटे बाद इस बैठक में फिर से शामिल हो गए।

यह विवाद कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनवर मणिप्पादी द्वारा दिए गए बयान के बाद उत्पन्न हुआ, जिसके बारे में विपक्ष ने कहा कि यह चर्चा में शामिल विधेयक से सीधे संबंधित नहीं है।

ज्ञात हो कि सोमवार को भी विपक्षी दलों के सांसदों ने जेपीसी बैठक का बहिष्कार किया था। सांसदों का कहना था कि समिति की कार्यवाही नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार नहीं की जा रही है। कांग्रेस के गौरव गोगोई और इमरान मसूद, डीएमके के ए राजा, शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, समाजवादी पार्टी के मोहिबुल्लाह और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह उन नेताओं में शामिल थे जिन्होंने इस बैठक का विरोध किया।

एबीपी की रिपोर्ट के अनुसार, विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा को एक चिट्ठी लिखी। इसके अनुसार, जगदंबिका पाल ने कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनवर मणिपडी को राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ आरोप लगाने की इजाजत दी, जबकि विपक्षी सदस्यों को इन दावों का खंडन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। उन्होंने स्पीकर ओम बिरला से हस्तक्षेप करने और संसदीय नियमों के तहत अध्यक्ष को उनके दायित्वों की याद दिलाने का आग्रह किया।

वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 क्या है?
वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 में वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और प्रबंधन के तरीके में बदलाव का प्रावधान है। इस विधेयक के तहत, वक्फ संपत्तियों को जिला कलेक्टर के पास पंजीकृत किया जाना चाहिए, जो उनका मूल्यांकन करेंगे। विधेयक में यह निर्दिष्ट किया गया है कि विधेयक के अधिनियमन से पहले या बाद में वक्फ के रूप में घोषित की गई संपत्तियों को तब तक वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा, जब तक कि जिला कलेक्टर द्वारा सत्यापित न किया जाए।

यह निर्धारित करने में जिला कलेक्टर का निर्णय अंतिम होगा कि कोई संपत्ति वक्फ है या सरकारी भूमि है, और राजस्व रिकॉर्ड को इसके अनुसार अपडेट किया जाएगा। जब तक कलेक्टर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करते, तब तक संपत्ति को वक्फ के रूप में मान्यता नहीं दी जाएगी।

इस विधेयक में वक्फ बोर्ड के निर्णयों के खिलाफ उच्च न्यायालयों में अपील करने की अनुमति देने वाला प्रावधान भी पेश किया गया है। इसके अतिरिक्त, यह उन पूर्ववर्ती प्रावधानों को हटा देता है जो मौखिक घोषणाओं या विवादों के आधार पर वक्फ संपत्तियों पर दावा करने की अनुमति देते थे, तथा इसके स्थान पर संपत्ति की पहचान के लिए औपचारिक वक्फनामा पर जोर देता है।

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