एक लाल बदमाश का खत, हरियाणा सीएम मनोहर लाल खट्टर के नाम

Written by Uday Che | Published on: March 20, 2018
आपका ये ब्यान जैसे ही सुना तो रहा नही गया दिल कल से कर रहा है कि आपको जवाब जरूर दुं। आपने विधान सभा से जो बयान दिया है उसके जवाब में आपको खुला पत्र लिख रहा हूं। अब पत्र की शुरुआत में आपको माननीय लिखूं या श्री मान लिखूं। इस पर असमंजस में हूँ। क्योकि ये सिर्फ शब्द नही है इनको उचित जगह पर लगाया जाए तो ही ठीक है। अगर अनुचित जगह पर प्रयोग कर दिया जाए तो इनका प्रभाव खत्म हो जाता है। वैसे ऑफिशियली पूरी दुनिया इन शब्दों को यूज करती है पत्र लिखते हुए वो चाहे मित्र हो या दुश्मन हो, अच्छा व्यक्ति हो या फिर बुरा व्यक्ति हो। 


लेकिन आपने हमे सम्बोधित करते हुए जो उपादी हमारे काम के कारण "लाल बदमाश" दी है ऐसे ही आपके मालिक लोग अंग्रेज हमको आंतकवादी कहते थे। अब या तो आप कमजोर हो जो अपने मालिको जितनी कड़वी भाषा बोलने से डर रहे हो।

पहले पत्र की शुरुआत कर लेते हैं। चर्चा ये थी कि आपको सम्बोधित करते हुए शब्द का इस्तेमाल क्या किया जाए जो आपके काम और आपके विचार के अनुसार सही हो। इसलिए मुझे लगता है की आप सामन्तों ओर पूंजीपतियों के लिए काम करते हो। आप उनके एक पैदल सैनिक मात्र हो। इसलिए सामन्तों और पूंजीपतियों के पैदल सैनिक ठीक रहेगा। 

सामन्तों और पूंजीपतियों के सम्मानीय पैदल सैनिक
मनोहर लाल खट्टर जी,
6 मार्च को आपने हरियाणा विधान सभा में विपक्ष की पार्टी के सवालों का जवाब देते हुए आपने बोला कि हरियाणा के कर्मचारियों को जो भड़का रहे हैं इसके पीछे "लाल बदमाश" हैं। इनकी लाल बदमाशी नहीं चलने दी जाएगी। हमने त्रिपुरा से तो लाल बदमाशी खत्म कर दी अब हरियाणा से भी लाल बदमाशी खत्म करके इन लाल बदमाशों को बाहर फेंक देंगे। 
  आपका ब्यान सुन कर कोई अचरज नहीं हुआ। खुशी जरूर हुई कि हरियाणा का मुख्यमंत्री जिसके पास सत्ता के सभी संसाधन हैं। जो पूर्ण बहुमत से सत्ता पर काबिज है। जिसको न सरकार गिरने का डर है और न खुद की कुर्सी जाने का डर है। क्योंकि आपके मालिक लोग अभी आपके काम से खुश हैं। विपक्ष जो यहाँ है कॉग्रेस और इनेलो उनसे न डर कर आप हमसे डर रहे हो। इसका सीधा मतलब ये है कि आपका मालिक हमसे डर रहा है। अब मालिक डरा तो सैनिक तो वैसे ही डरेगा। हरियाणा ही नहीं देश में और पूरे विश्व मे आप और आपके मालिकों की लुटेरी मण्डली सिर्फ डरती है तो वो है लाल झंडा और उसके लाल सैनिको से, लुटरों की लूट को अगर कोई बन्द करने के लिए लड़ रहा है तो वो सिर्फ लाल बदमाश ही है। इसीलिए आप लाल बदमाशो से डर रहे हो। 

ये डर जो लाल बदमाशो से आपको है ये ही डर आपसे पहले और उनसे पहले वाली सरकारों को भी और विपक्ष को भी सताता रहा है। ये ही डर आपके आका साम्राज्यवादी अमेरिका और उसके साझेदारों को डराता रहता है। आपको डरना भी चाहिए। क्योंकि थोड़ा सा इतिहास में जायें तो भारत पर साम्राज्यवादी ब्रिटेन का कब्जा था। वो हमारी प्राकृतिक सम्पदाओं को, हमारी मेहनत की कमाई को लूट कर अपने देश मे ले जाते थे। इस साम्राज्यवादी कब्जे के खिलाफ भारत के अलग-अलग हिस्सों में हथियार बंध लड़ाइयां शुरू हुईं। इन लड़ाइयों का मकसद था ब्रिटेन से भारत को आजादी, लेकिन जैसे ही अक्टूबर 1917 में लेनिन के नेत्रत्व में मजदूर-किसान की रूस में सत्ता स्थापित हुई। इस घटना से पूरे विश्व के साम्राज्यवादी सत्ताओं को हिला कर रख दिया वही दूसरी तरफ सभी मुल्को के क्रांतिकारी ताकतों को एक नई ऊर्जा और दिशा मिली। भारत में भी रूस से प्रभावित होकर कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना हुई जिसको ब्रिटेन ने बैन कर दिया। 

उसी दिशा में शहीद-ऐ-आजम भगत सिंह और उसके साथियों ने Hindustan Socialist Republican Association (HSRA) स्थापना की, इस क्रांतिकारी दल का लक्ष्य हथियारबन्द लड़ाई लड़ते हुए समाजवादी क्रांति लाना था। वही दूसरी तरफ रूस की क्रांति की आंधी को रोकने के लिए पूरे विश्व में साम्राज्यवादी मुल्को ने अपने उपनिवेशों में धर्म और जात के आधार पर संघठनों का निर्माण किया। भारत मे भी संघ, हिन्दू महासभा और मुश्लिम लीग की स्थापना हुई। 

HSRA ने साम्रज्यवाद के साथ-साथ देशी लुटेरी ताकतों से आजादी की बात की, भूमि बंटवारे की बात की, मेहनतकशों से आह्वान किया कि साम्राज्यवादी और इनके साथी देशी पूंजीपतियों और सामन्तों की सत्ता को उखाड़ कर मेहनतकश की सत्ता का निर्माण करो। क्रांतिकारियों के इस आह्वान से देशी और विदेशी दोनों ही सत्ताएं कांप गयी। उस समय की सत्ताओं ने इन क्रांतिकारियों को आतंकवादी की संज्ञा दी।

वहीं दूसरी तरफ साम्रज्यवाद के बनाये संघठनो को उन्होंने खूब मद्दत की, उनको पुरुस्कार दिए। क्योकि आपके संगठन का काम ही आजादीके आंदोलन को तोड़ना रहा, क्रांतिकारियों की एकता को तोड़ने के लिए धार्मिक दंगे करवाना। क्रांतिकारियों के खिलाफ गवाही देना रहा है। 

आपके संगठन का जन्म लुटेरों की मद्दत करने के लिए हुआ है और हमारे विचार का जन्म ही मेहनतकश के पक्ष में और लुटेरो के खिलाफ हुआ है। 

देश के आजाद हो ने के बाद हम भूमि बंटवारे, जल-जंगल-जमीन की रक्षा, मजदूर-किसान की सत्ता स्थापित करने के लिए समाजवादी क्रांति की तरफ बढ़ना। 

वहीं दूसरी तरफ आप आजादी से पहले अंग्रेजो के लिए काम करते थे तो आजादी के बाद राष्ट्रीय पूंजीपतियों और सामन्तो के लिए काम करने लग गए। मजदूर-किसान की एकता जिससे लुटेरो को खतरा था। उस एकता को तोड़ने के लिए आपके संगठन ने धर्म और जात के नाम पर बांटना जारी रखा। 

आप लोग राम मंदिर बनाने के लिए लड़ रहे थे तो हम स्कूल, हस्पताल बनाने के लिए लड़ रहे थे। 

हरियाणा की बात करे तो भठ्ठा मजदूरों, चौकीदारों, खेत मजदूरों जिनकी न मजदूरी तय थी, न काम के घण्टे तय थे। जिनके साथ मालिक आमानवीय व्यवहार करते थे। काम करवाकर दिहाड़ी देने से साफ मना कर देते थे। हमारे कामरेड साथियो ने इनको सँगठित कर लड़ाई लड़नी शुरू की 

उस लड़ाई की बदौलत ही आज उनकी जिंदगी में उजाला है। एक बेहतर सम्मान की जिंदगी है। ऐसे ही कर्मचारियों, असंघठित मजदूरों, किसानों, आशा वर्कर, आंगनवाड़ी, मिड डे मील कर्मचारियों के लिए लड़ाई लड़नी शुरू की, इस लड़ाई कीबदौलत ही इनकी जिंदगी बेहतरी की तरफ बढ़ी। 

लेकिन आप जिन लुटेरे पूंजीपतियों की नुमाइंदगी करते हो। उन पूंजीपतियों की निगाहें, उन सरकारी महकमों पर हैं जिनको हमारी जनता ने अपने खून पसीने से खड़ा किया है। उन अरबों-खरबों की सम्पति पर इन लुटेरे पूंजीपतियों की निगाहें हैं। ये इस को हड़पना चाहते हैं लेकिन इनके इस रास्ते मे सबसे बड़ा रोड़ा ये लाल बदमाश हैं। लाल बदमाश ही हैं जो निजीकरण के खिलाफ लड़ रहे हैं। मुफ्त शिक्षा-स्वास्थ्य-पानी जो जनकल्याणकारी महकमे है उनको आप बन्द करके लुटेरे पूंजीपतियों को खुली लूट मचाने का मौका देना चाहते है। लेकिन लाल बदमाश ही है जो तुम्हारे इस सपने को पूरा नही होने दे रहे है। 

आप फैक्टरी के मालिक की तरफ है उसके पक्ष में कानून बनाना चाहते हो ताकि वो मजदूर का खून चूस सके। लेकिन हम मजदूर के खून चूसने वालों का जबड़ा तोड़ने की बात करते हैं। 

आप मारुति मजदूरों को फांसी की सजा दिलवाने के लिए ऊपरी कोर्ट में जाते हो। हम मजदूरों की रिहाई के लिए जाते हैं। आपने कहा की लाल बदमाशों ने इंड्रस्ट्रीज का नाश कर दिया। हम कहते हैं कि जो मजदूर का खून चूस कर मुनाफा कमाए उनका नाश हो जाना ही चाहिए। 

खट्टर साहब, आपने हरियाणा में एक कहावत तो खूब सुनी होगी-

"जिसकी खावे बाकली, उसके गावे गीत"

आपके साथ ही नहीं विपक्ष के नाम पर सदन में बैठे कॉग्रेसी, इनेलो उनके साथ भी ये ही हाल है। आपसे पहले कॉग्रेस औरउससे पहले इनेलो सत्ता में थी दोनों ने ही चाहे कंडेला किसान आंदोलन हो या हौंडा, मारुति का आंदोलन हो। मजदूर-किसानों से लाठी गोली से बात की। 

सरकार कांट्रेक्टर है तो विपक्ष ठेकेदार है।

क्योंकि आपको चुनाव में जो फंडिंग करते हैं। आपको और आपके संगठनों को जो पालते हैं। वो विपक्ष को भी तो फंडिंग करते हैं।

गद्दी पर बैठने के बाद या विपक्ष में हो उनका कर्ज तो उतारना ही पड़ेगा। इसलिए हजारों करोड़ बैंकों से लेकर भागने वालो के खिलाफ, घोटालेबाजों के खिलाफ आपकी और विपक्ष की आवाज नही उठती। आपकी नजर में वो देशभक्त हैं, शरीफ हैं। 

लेकिन कोई मजदूर की दिहाड़ी बढ़ाने के लिए आवाज उठाये, भारत के सविधान ने जो नियम बनाये है उनको लागू करवाने की मांग करें, तो वो बदमाश हैं। 

अगर भूखे इंसान के लिए रोटी की बात करना, 
मजदूर की मजदूरी की बात करना, 
किसान की फसल की बात करना, 
महिलाओ के उत्पीड़न के खिलाफ बोलना और 
पूंजीपतियों/लुटेरो की लूट बन्द करवाने के लिए आवाज उठाना 
ये सब अगर लाल बदमाशी है 
तो हम लाल बदमाश हैं । 
हमें गर्व है ऐसी लाल बदमाशी पर....

पत्र का अंत इन लाइनों के बिना अधूरा जान पड़ेगा। सुन लीजिए कुछ आपको समझ आ जाये। 

लाल लाल झंडा है, जान से भी प्यारा है, जान से भी प्यारा है और खून से भी प्यारा है। 
लाल लाल झंडा है, जान से भी प्यारा है।। लाल लाल झंडा है, जान से भी प्यारा है।।
लाल सलाम सलाम, लाल सलाम सलाम, लाल सलाम सलाम लाल सलाम सलाम।
लाल सलाम सलाम, लाल सलाम सलाम, लाल सलाम सलाम लाल सलाम सलाम।।

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