भंवर मेघवंशी का खुला पत्र- लोकेश सोनवाल जी, शैतानी सोच वाले 'मनु' की प्रतिष्ठा बढ़ाने आप तो मत जाइए!

Written by Bhanwar Meghwanshi | Published on: December 10, 2017
प्रिय लोकेश सोनवाल जी,

सादर जय भीम।

मुझे किसी ने एक निमंत्रण पत्र भेजा, वह किसी "मनु प्रतिष्ठा समारोह" का है, जिसे घनघोर मनुवादी संघी आयोजित कर रहे हैं, इसके अतिथियों की सूची में आपका नाम देख कर मुझे आश्चर्य और पीड़ा दोनों हुए।



आप तो जानते ही होंगे कि यह मनु वही है जिसने मनुस्मृति जैसे जातिवादी ग्रंथ को रचा और शूद्रों एवं स्त्रियों को ज्ञान के अधिकार से वंचित किया, न केवल शिक्षा से बल्कि संपत्ति सहित तमाम अधिकारों से इसी शैतान दिमाग आदमी की स्मृति से हमें वंचित किया है।

मुझे लगता है कि जाति व्यवस्था को धर्म सम्मत बनाने और संहिता बद्ध करने वाले मनु के नाम पर हो रहे आयोजन में आप आरक्षित वर्ग के अधिकारी का नाम शायद गलती से छप गया होगा, वरना आप ऐसे मनुवादी आयोजन में थोड़े ना जायेंगें!

कुछ दोस्त यह कह रहे हैं कि शायद यह आपकी सहमति से हुआ होगा, मैंने उन्हें कहा है कि कोई भी बाबा साहब की मेहरबानी से नौकरी पाया व्यक्ति इतना अहसानफ़रामोश हो ही नहीं सकता है कि जिस मनु को बाबा साहब अम्बेडकर ने गलत ठहराया और उसकी लिखी स्मृति को सरेआम आग के हवाले किया, उसको प्रतिष्ठा देने के आयोजन में जा कर मनु की शैतानी सोच को सराहे और सही साबित करने की धृष्टता करे।

यह नहीं हो सकता, लोकेश सोनवाल जी तो क्या आरक्षित वर्ग का कोई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी बाबा साहब के साथ इतना बड़ा विश्वासघात करने का काम नहीं करेगा कि वह मनु के पक्ष में खड़ा हो जाये।

आज तक तो किसी अधिकारी ने ऐसी नालायक हरकत की नहीं और मुझे यकीन है कि लोकेश सोनवाल जी जैसे वरिष्ठ पुलिस ऑफिसर तो ऐसा कतई नहीं करेंगे, मेरा यह विश्वास है।

मैं जयपुर में उनसे मिल चुका हूँ, मुझे वो भले इन्सान लगे, अम्बेडकर विचारों से प्रभावित भी, जयपुर में रन फॉर राइट्स जैसे आयोजन से नजदीक से जुड़े रहे हैं, वे क्यों भला अचानक मनुवाद की चपेट में आने लगे? ऐसी कोई उनकी मज़बूरी मुझे तो लगती नही कि उनको घनघोर मनुवादी समूह संघ के समक्ष घुटने टेकने पड़े! यह काम तो राजनीतिक स्वार्थ वाले टिकटों के भिखारी करते है, अनुसूचित जाति वर्ग का एक स्वाभिमानी कर्मचारी क्यों करेगा ऐसी मनुवादी हरकत?

दरअसल कल मानवाधिकार दिवस को लज्जित करने वाला यह 'मनु प्रतिष्ठा समारोह' जयपुर के मानसरोवर में स्थित टैगोर एन आर आई स्कूल के दीप स्मृति सभागार में होगा, कार्यक्रम की अध्यक्षता सोमगिरी करेंगे और मुख्य अथिति संघी प्रचारक इन्द्रेश कुमार होंगे, विशिष्ट वक्ता पाराशर नारायण शर्मा और लोकेश सोनवाल होंगे और विषय प्रवर्तन वेदपाल शास्त्री करेंगे। इस कार्यक्रम का आयोजन चाणक्यगण समिति कर रही है।

इस आयोजन के पीछे का मकसद भी कार्ड पर साफ लिखा हुआ है कि- मनुस्मृति मूलतःछुआछूत जाति व्यवस्था के विरुद्ध है, समानता, समरसता व सामाजिक न्याय के प्रणेता थे महर्षि मनु, आईये आदि पुरुष मनु को पहचानें व मनुस्मृति को जानें।

इस कार्ड में मनु की बाकायदा वही फोटो छापी गई है, जो प्रतिमा राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर में लगी हुई है, जिसको हटाने के लिये पूरे देश के दलित बहुजन तबके ने पुरजोर आवाज उठा रखी है, राजस्थान के दलित संगठन क़ानूनी लडाई भी लड़ रहे है कि मनु जैसे असमानता के समर्थक की प्रतिमा को हटाया जाये, अब उसी मनु को प्रतिष्ठा देने का काम मनुवादी संघी कर रहे है।

मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है, वे मनुवादी है तो मनु की प्रतिष्ठा बढ़ाएंगे ही, संघ के ब्राह्मणवादी और मनुवादी होने के सैंकड़ों ज्वलंत प्रमाण मौजूद है, उनका दोगलापन भी छुपा हुआ नहीं है कि वे अपने एक मुंह से मनु के कट्टर विरोधी अम्बेडकर का गुणगान करेंगे और दूसरे मुंह से मनु का गुणगान भी करेंगे, यह अवसरवादिता की पराकाष्ठा है। मुझे आरएसएस से कोई शिकायत नहीं है, वह अपने चरित्र के मुताबिक मनु के पक्ष में खड़ा है, खड़ा था और खड़ा रहेगा।

मुझे दुःख लोकेश सोनवाल जी का नाम देख कर हुआ, जो इस आयोजन के विशिष्ट वक्ता के रूप में आमंत्रित है, हो सकता है कि यह लोकेश सोनवाल कोई और हो, किसी वार्ड आदि में पार्षद टाईप इन्सान हो, क्योंकि कोई पढ़ा लिखा समझदार दलित, वह चाहे कितना ही मंद और बंद बुद्धि ही क्यों ना हो, मनु जैसी शैतानी सोच के इन्सान के साथ तो कभी नहीं जायेगा।

मुझे यकीन है कि यह नाम कार्ड पर आना किसी की शरारत है... ये वो लोकेश सोनवाल जी हो ही नहीं सकते.. लेकिन अगर ये सीनियर आरपीएस लोकेश सोनवाल जी ही है तो पूरे देश के अम्बेडकरवादी लोगों तथा अजा वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों को उनसे इस बात का जवाब लेना चाहिये कि जिन्दगी भर बाबा साहब अम्बेडकर के बनाये संविधान से मान, सम्मान और नौकरी करके रोजी रोटी कमा कर अंततः वे मनु की गोद में कैसे जा बैठे?

अपने वर्ग और अम्बेडकर की विचारधारा के साथ इस तरह की गद्दारी क्या माफ़ी के योग्य है?

सोनवाल जी, मनु बहुत गन्दा विचार है, मनुवाद से घृणित कुछ भी नहीं है, मनु का समर्थक होना इन्सान और इन्सान में फर्क करना है, असमानता, जाति, वर्ण, छुआछूत और भेदभाव को समर्थन करना है, कोई भी समझदार दलित कभी ऐसा नहीं कर सकता, कदापि नहीं, कभी नहीं ..और अगर करता है तो उस पर लानत है!

(लेखक सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं, यह पत्र उनकी फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है।)

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