मेरठ में भाजपा नेता के सहयोगी के सामने व्यक्ति को घुटने टेककर माफी मांगने पर मजबूर किया गया

Written by sabrang india | Published on: October 23, 2025
इस वीडियो में आरोपी नेता को गालियां देते हुए और पीड़ित को माफी मांगने के लिए मजबूर करते हुए दिखाया गया है। यह घटना कथित तौर पर इस हफ्ते की शुरुआत में हुई थी, जो गाड़ी पार्किंग को लेकर हुए एक मामूली विवाद से उपजी थी।



मेरठ का एक खौफनाक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से अपमानित करते हुए दिखाया गया है। उसे उत्तर प्रदेश के मंत्री सोमेंद्र तोमर से कथित तौर पर जुड़े एक स्वयंभू छात्र नेता के सामने घुटने टेकने और माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया।

हैरानी की बात यह है कि वर्दीधारी पुलिस अधिकारी वहां मौजूद थे, लेकिन मूकदर्शक बने रहे।

मुस्लिम मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, चौंकाने वाले इस वीडियो में आरोपी नेता को गालियां देते हुए और पीड़ित को माफी मांगने के लिए मजबूर करते हुए दिखाया गया है। यह घटना कथित तौर पर इस हफ्ते की शुरुआत में हुई थी, जो गाड़ी पार्किंग को लेकर हुए एक मामूली विवाद से उपजी थी। एक स्थानीय झगड़े के रूप में शुरू हुआ यह मामला तब और बढ़ गया जब छात्र नेता ने अपने राजनीतिक संबंधों का हवाला दिया।

प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय लोगों के अनुसार, जैसे ही नेता ने अपने प्रभाव का दावा किया, टकराव और बढ़ गया। पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद थे, लेकिन उन्होंने गाली-गलौज या अपमानजनक व्यवहार को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया। इसके बजाय, वे मूकदर्शक बने रहे, जिससे सार्वजनिक रूप से यह अपमान बेधड़क जारी रहा।

सोशल मीडिया पर इस घटना की व्यापक निंदा हुई और इसे उत्तर प्रदेश में “दंडमुक्ति संस्कृति” का स्पष्ट उदाहरण बताया गया। आलोचकों ने पुलिस की निष्क्रियता की कड़ी आलोचना करते हुए इसे राजनीतिक संरक्षण और कानून प्रवर्तन के बीच एक ज़हरीले गठजोड़ का प्रमाण बताया — जहां बाहुबल न्याय पर हावी हो जाता है। एक यूज़र ने नाराज़गी जताते हुए लिखा, “यह नया सामान्य बन गया है — सत्तारूढ़ दल के सहयोगी नागरिकों को धमका रहे हैं और पुलिस मुँह फेरे बैठी है।”

इस वीडियो ने कानून के शासन के क्षरण पर बहस को फिर से जन्म दिया है। कई लोगों ने भाजपा नेताओं से संबंध होने का दावा करने वाले व्यक्तियों से जुड़ी इसी तरह की घटनाओं के पैटर्न की ओर इशारा किया है।

जवाब में, मेरठ पुलिस ने X पर पोस्ट किया: “दोनों पक्षों के बीच गाड़ी पार्किंग को लेकर विवाद हुआ था। आरोपी पुलिस हिरासत में है। शिकायतकर्ता की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है और कार्रवाई की जा रही है।” हालांकि, स्थानीय लोगों और कार्यकर्ताओं ने बताया कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई या जवाबदेही तय नहीं की गई है, जिससे मामले को दबाने के आरोप और बढ़ गए हैं।

यह घटना उत्तर प्रदेश की पुलिस व्यवस्था में जनता के बढ़ते अविश्वास को उजागर करती है, जहां कानून के समक्ष समानता अब केवल एक आदर्श बनकर रह गई है। नागरिकों के मन में यह सवाल उठने लगा है कि क्या राजनीतिक रसूख एक बार फिर अपराधियों को बचा लेगा, जबकि त्वरित और निष्पक्ष न्याय की मांगें लगातार तेज हो रही हैं।

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