डॉ. कफील पर रासुका: चुप क्यों है IMA

Written by Sabrangindia Staff | Published on: February 18, 2020
गोरखपुर के मशहूर डॉक्टर कफील पर एनएसए लगाया गया है। एएमयू के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के साथी चिकित्सकों ने उनपर से एनएसए हटाने की मांग की है। पर डॉ. कफील के मामले में आईएमए हमेशा गोल रहता है। बंगाल में चिकित्सकों का मामला हो खूब सक्रिय रहने वाला आईएमए डॉ. कफील के मामले में चुप्पी साधे रहता है।



IMA इस बार भी गोल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में डॉक्टरों पर लड़कियां और तोहफे लेने के गंभीर आरोप लगाए थे। उस दौरान IMA एकदम सख्त नजर आया था लेकिन अभी तक पीएमओ ने सफाई दी है या नहीं इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन डॉ. कफील खान के मामले में इस संगठन की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध और चुप्पी भरी नजर आती है। 

योगी सरकार डॉ. कफील खान को प्रताड़ित करने के सारे हथकंडे अपनाने में जुटी है। लेकिन खान जहां भी जाते हैं बच्चों की देखभाल करने में जुट जाते हैं चाहे बिहार की बाढ़ हो या बिहार में बच्चों पर बरपा प्रकोप। बीआरडी में अस्पताल प्रशासन की नाकामी के बाद चर्चाओं में आए कफील खान ने बच्चों को बचाने में अपनी जेब से भी पैस खर्च कर ऑक्सीजन के सिलेंडर मंगवाए थे। इसके बाद वे सुर्खियों में आ गए। 

बीआरडी के बाद चर्चाओं में आए डॉ. कफील का जिस तरह से महिमामंडन मीडिया में हुआ वह सूबे की तथाकथित हिंदुत्ववादी सरकार को रास नहीं आया और उनपर कार्रवाई की गई। इसके बाद रातोंरात उन्हें विलेन बना दिया गया और जेल हुई। डॉ. कफील का पूरा करियर चौपट करने के भरसक प्रयास हुए और वे कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने योगी सरकार की कोशिशों को झटका देते हुए उनका वेतन भत्ता देने का आदेश दिया लेकिन सरकार इसमें भी आनाकानी करती नजर आई। अब नागरिकता कानून पर उन्होंने जो कुछ भी बोला वह सरकार की नजर में देश को नुकसान पहुंचाने वाला है इसलिए उनपर रासुका लगा दी गई। ऐसे में IMA की लगातार चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। 

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