संतोष पटेल की मौत ने पीएम के दावे और छत्तीसगढ़ की विकास यात्राओं की पोल खोल दी

Written by Anuj Shrivastava | Published on: August 28, 2019
23 सितम्बर 2018, लगातार 15 वर्षों तक छत्तीसगढ़ में रही भाजपा सरकार ने अपने विकास कार्यों का बखान करने के लिए प्रदेशभर में 'अटल विकास यात्रा' निकाली थी और जांजगीर ज़िले के लिए 245 करोड़ 77 लाख रुपयों के विकास कार्यों का लोकार्पण भी किया था.



पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह तो हर जगह थे ही, विकास यात्रा जब जांजगीर-चांपा ज़िले में पहुंची तो ख़ुद प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश में हुए विकास कार्यों की तारीफ़ की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के उस बयान पर तंज कसा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि गांवों में एक रुपए भेजो तो 15 पैसे ही पहुंचते हैं. मोदी ने कहा था कि अब गांवों में पूरे एक रुपये का काम हो रहा है.

जांजगीर ज़िले के संतोष पटेल की मृत्यु ने प्रधानमन्त्री के इस दावे की और छत्तीसगढ़ में हुई विकास यात्राओं की पोल खोल दी.

जांजगीर ज़िले की ग्राम पंचायत सकरेली के आश्रित गांव बरपेल्हाडीह तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है. बरसात शुरू होते ही ये गांव पहुंच विहीन हो जाता है. इस गांव में खेत के रास्ते तक भी गाडिय़ां नहीं पहुंच पाती.

सोमवार, 26 अगस्त की सुबह बरपेल्हाडीह के 35 वर्षीय युवक संतोष पटेल की तबीयत अचानक बिगड़ गई. गांव में प्राथमिक उपचार केंद्र नहीं है, इलाज के लिए बाराद्वार जाना पड़ता है. परिवार ने सरकारी एंबुलेंस सुविधा 'संजीवनी 108' से फ़ोन पर सहायता मांगी. चूंकि गांव तक कोई पक्का पहुंच मार्ग नहीं है इसलिए एंबुलेंस 2 किलोमीटर दूर स्थित मुख्यमार्ग से आगे नहीं आ पाई.

मरीज़ को चारपाई पर लेटाकर 2 किलोमीटर दूर खड़ी एम्ब्युलेंस तक पैदल लेकर जाने में तकरीबन 30 मिनट लगे. तब तक संतोष की मौत हो चुकी थी. पर अपनों की मौत पर एकाएक यकीन कहां हो पाता है.

संतोष को बाराद्वार स्थित एक निजी क्लीनिक ले जाया गया. जहां डाक्टरों ने देखते ही उसे मृत घोषित कर दिया. डाक्टरों का कहना था कि मरीज की मौत रास्ते में ही हो चुकी थी. यदि तुरंत प्राथमिक उपचार मिल जाता तो जान शायद बच सकती थी.

जिले में गांवों को जोडऩे के लिए सड़कों का जाल बिछे होने के दावे तो रोज ही प्रशासन करता है लेकिन यह सरकारी तंत्र की ही कमजोरी है कि कई गांवों में आज भी पक्की सड़कें नहीं हैं. कच्चे रास्ते ही आवागमन का सहारा होते हैं. लेकिन बरसात के मौसम में ये रास्ते इतने ख़राब हो जाते हैं कि इन पर पैदल चलना भी मुश्किल होता है.

छत्तीसगढ़ में बरपेल्हाडीह जैसे कई इलाके हैं जहां विकास ने अपने कदम ही नहीं रखे हैं. बेहतर जीवन स्तर की बात तो यहां लोगों ने शायद कभी सोची भी नहीं होगी लेकिन सरकार को अपने लोगों के लिए पर्याप्त और पौष्टिक भोजन, पीने का साफ़ पानी, ढंग का सरकारी अस्पताल जहां डॉक्टर और दवा साथ मे मिल जाएं, कम से कम बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा और चल सकने लायक सड़को जैसी कुछ बुनियादी ज़रूरतें तो मुहैया करानी ही होंगी.

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