कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसान केंद्र सरकार को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेरने की तैयारी में जुट गए हैं। इसी क्रम में किसान संगठनों ने मंगलवार को ब्रिटेन के सांसदों को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को किसानों के समर्थन में गणतंत्र दिवस समारोह में शिरकत करने से रोकने की अपील की गई है।
कुंडली बॉर्डर पर धरने पर बैठे विभिन्न किसान संगठनों के नेताओं ने ब्रिटेन के अनेक वरिष्ठ सांसदों को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया कि अपने देश के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को नई दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल न होने का आग्रह करें। अगर वह ऐसा करते हैं तो इससे किसानों संघर्ष को बल मिलेगा।
किसान नेता ओंकार सिंह ने कहा कि जिस तरह सरकार लोगों को कृषि कानूनों को लेकर गुमराह कर रही है। ठीक उसी तर्ज पर अब किसान संगठन गांव-गांव जाकर लोगों को कानून की खामियों से अवगत कराएंगे और समर्थन की अपील करेंगे।
केंद्र सरकार द्वारा सितंबर में लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले करीब एक महीने से किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार इन कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार बता रही है और दावा है कि इससे बिचौलिए खत्म होंगे और किसान देश में कहीं भी अपनी फसल बेच पाएंगे।
हालांकि प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि ये न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने का रास्ता है और उन्हें मंडियों से दूर कर दिया जाएगा। साथ ही किसानों को बड़े कॉरपोरेट्स के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाएगा। सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है।
कुंडली बॉर्डर पर धरने पर बैठे विभिन्न किसान संगठनों के नेताओं ने ब्रिटेन के अनेक वरिष्ठ सांसदों को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया कि अपने देश के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को नई दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल न होने का आग्रह करें। अगर वह ऐसा करते हैं तो इससे किसानों संघर्ष को बल मिलेगा।
किसान नेता ओंकार सिंह ने कहा कि जिस तरह सरकार लोगों को कृषि कानूनों को लेकर गुमराह कर रही है। ठीक उसी तर्ज पर अब किसान संगठन गांव-गांव जाकर लोगों को कानून की खामियों से अवगत कराएंगे और समर्थन की अपील करेंगे।
केंद्र सरकार द्वारा सितंबर में लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले करीब एक महीने से किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार इन कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार बता रही है और दावा है कि इससे बिचौलिए खत्म होंगे और किसान देश में कहीं भी अपनी फसल बेच पाएंगे।
हालांकि प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि ये न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने का रास्ता है और उन्हें मंडियों से दूर कर दिया जाएगा। साथ ही किसानों को बड़े कॉरपोरेट्स के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाएगा। सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है।