शहादत की राजनीति को समझने के लिए आज आपको पटना एयरपोर्ट पर होना था, जहाँ जम्मू कश्मीर में शहीद हुए सीआरपीएफ़ के इंस्पेक्टर पिंटू सिंह का पार्थिव शरीर लाया गया। पटना एयरपोर्ट पर बिहार सरकार का कोई मंत्री नहीं था। बीजेपी का बड़ा क्या अदना सा नेता नहीं था। आज पटना में प्रधानमंत्री की रैली है। साढ़े ग्यारह बजे तक वैसे भी बीजेपी के नेता एयरपोर्ट आते ही, उनमें से कोई साढ़े आठ बजे सुबह भी आ सकता था। कोई नहीं आया। एयरपोर्ट पर पिंटू सिंह के परिवार के सदस्य आए थे। उन्हें लगा होगा कि पूरी सरकार होगी। आज उन्हें कितना ख़ाली और अकेला लगा होगा।
हमारे सहयोगी मनीष कुमार ने बताया कि एयरपोर्ट पर शहीद पिंटू सिंह के भाई, भाभी और बहन थे मगर वो लोग नहीं थे जो थोड़ी देर बाद अपने मंच पर शहीदों के पोस्टर लगाकर शहादत पर राजनीति करेंगे और उसके बहाने रोज़गार से लेकर शिक्षा जैसे बुनियादी सवालों पर बोलने से बच निकलेंगे। एयरपोर्ट पर बीजेपी का कोई नेता नहीं था। कांग्रेस नेता मदन मोहन झा और लोजपा सांसद महमूद अली कौसर मौजूद थे। महमूद अली ने कहा भी कि अगर मुख्य मंत्री को समय नहीं था तो कोई मंत्री आ सकता था। पिंटू सिंह के पार्थिव शरीर को पटना एयरपोर्ट से हेलीकाप्टर के ज़रिए उनके गाँव भेजा गया है।
पुलवामा के शहीदों की शहादत को भुनाना था तो एयरपोर्ट पर सारा मंत्रिमंडल था। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद गए थे। आज बिहार के सारे केंद्रीय मंत्री पटना में हैं मगर पिंटू सिंह को सम्मान देने के नाटक का भी समय नहीं निकाल सके। इसलिए आपको इस खेल को समझना है। नेताओं ने खेल बना दिया है इसलिए खेल समझकर ही देखना होगा।
कशिश न्यूज़ के संतोष कुमार सिंह कल लगातार अपने फ़ेसबुक पेज पर हंगामा कर रहे थे कि पिंटू सिंह की शहादत की ख़बर दबाई जा रही थी ताकि रैली पर असर न पड़े। लोग यह न कहें कि एक शहीद का पार्थिव शरीर आया है और रैली हो रही है। शुक्रवार को शहादत हुई और शाम तक परिवार वालों को ख़बर नहीं दी गई। क्या यह शर्मनाक नहीं है ? मैं संतोष कुमार सिंह के फ़ेसबुक पेज का पोस्ट हु ब हू रख रहा हूँ जो उन्होंने शनिवार सुबह दस बजे लिखा था। पिंटू सिंह शुक्रवार को शहीद हुए।
“ शहीद पर जब सियासत होनी शुरु हो जाती है तो सिस्टम कितना बेशर्म हो जाता है इसकी एक बानगी देखिए बिहार के बेगूसराय का लाल पिन्टू सिंह शुक्रवार की सुबह कश्मीर में आतंकी से लड़ते हुए शहीद हो गये। इसके साथ उस मुठभेड़ में जमुई का एक जवान भी था। शाम तक जब शहीद अधिकारी और पाँच जवानों को लेकर पूरा महकमा खामोश रहा तो जमुई के उस जवान ने अपने घर इस घटना की जानकारी देते हुए कहा कि पिंटू के घर सूचना दे दो ।
शुक्रवार रात आठ बजे हमारे जमुई संवाददाता ने इसकी जानकारी मुझे दी। मैंने बेगूसराय रिर्पोटर को तहकीकात करने को कहा तो पता चला कल दोपहर से ही पिंटू का मोबाइल नॉट-रिचेबुल बता रहा है। उसका भाई सीआरपीएफ के बेस कैम्प फोन करके भाई किस हाल में इसकी जानकारी लेना चाह रहा है कोई कुछ भी बताने को तैयार नहीं है पूरी रात फोन करता रह गया लेकिन कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है । अभी थोड़ी देर पहले फिर उसका भाई फोन किया तो फोन ड्यूटी हा ना हा ना कर रहा था। तभी कोई बिहारी जवान ने फोन लेकर पिंटू के शहीद होने कि बात बता दी।
शहीद होने कि सूचना क्यों छुपाई जा रही तो पता चला पटना वीवीआईपी मूवमेन्ट पर असर ना पड़े इसका ख्याल रखा जा रहा है ।”
शहादत की राजनीति का सामान सियासत को मिल गया है। अब जो मरेगा वो जानेगा उसका परिवार जानेगा। आपका मीडिया मोदी मोदी करेगा।
हमारे सहयोगी मनीष कुमार ने बताया कि एयरपोर्ट पर शहीद पिंटू सिंह के भाई, भाभी और बहन थे मगर वो लोग नहीं थे जो थोड़ी देर बाद अपने मंच पर शहीदों के पोस्टर लगाकर शहादत पर राजनीति करेंगे और उसके बहाने रोज़गार से लेकर शिक्षा जैसे बुनियादी सवालों पर बोलने से बच निकलेंगे। एयरपोर्ट पर बीजेपी का कोई नेता नहीं था। कांग्रेस नेता मदन मोहन झा और लोजपा सांसद महमूद अली कौसर मौजूद थे। महमूद अली ने कहा भी कि अगर मुख्य मंत्री को समय नहीं था तो कोई मंत्री आ सकता था। पिंटू सिंह के पार्थिव शरीर को पटना एयरपोर्ट से हेलीकाप्टर के ज़रिए उनके गाँव भेजा गया है।
पुलवामा के शहीदों की शहादत को भुनाना था तो एयरपोर्ट पर सारा मंत्रिमंडल था। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद गए थे। आज बिहार के सारे केंद्रीय मंत्री पटना में हैं मगर पिंटू सिंह को सम्मान देने के नाटक का भी समय नहीं निकाल सके। इसलिए आपको इस खेल को समझना है। नेताओं ने खेल बना दिया है इसलिए खेल समझकर ही देखना होगा।
कशिश न्यूज़ के संतोष कुमार सिंह कल लगातार अपने फ़ेसबुक पेज पर हंगामा कर रहे थे कि पिंटू सिंह की शहादत की ख़बर दबाई जा रही थी ताकि रैली पर असर न पड़े। लोग यह न कहें कि एक शहीद का पार्थिव शरीर आया है और रैली हो रही है। शुक्रवार को शहादत हुई और शाम तक परिवार वालों को ख़बर नहीं दी गई। क्या यह शर्मनाक नहीं है ? मैं संतोष कुमार सिंह के फ़ेसबुक पेज का पोस्ट हु ब हू रख रहा हूँ जो उन्होंने शनिवार सुबह दस बजे लिखा था। पिंटू सिंह शुक्रवार को शहीद हुए।
“ शहीद पर जब सियासत होनी शुरु हो जाती है तो सिस्टम कितना बेशर्म हो जाता है इसकी एक बानगी देखिए बिहार के बेगूसराय का लाल पिन्टू सिंह शुक्रवार की सुबह कश्मीर में आतंकी से लड़ते हुए शहीद हो गये। इसके साथ उस मुठभेड़ में जमुई का एक जवान भी था। शाम तक जब शहीद अधिकारी और पाँच जवानों को लेकर पूरा महकमा खामोश रहा तो जमुई के उस जवान ने अपने घर इस घटना की जानकारी देते हुए कहा कि पिंटू के घर सूचना दे दो ।
शुक्रवार रात आठ बजे हमारे जमुई संवाददाता ने इसकी जानकारी मुझे दी। मैंने बेगूसराय रिर्पोटर को तहकीकात करने को कहा तो पता चला कल दोपहर से ही पिंटू का मोबाइल नॉट-रिचेबुल बता रहा है। उसका भाई सीआरपीएफ के बेस कैम्प फोन करके भाई किस हाल में इसकी जानकारी लेना चाह रहा है कोई कुछ भी बताने को तैयार नहीं है पूरी रात फोन करता रह गया लेकिन कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है । अभी थोड़ी देर पहले फिर उसका भाई फोन किया तो फोन ड्यूटी हा ना हा ना कर रहा था। तभी कोई बिहारी जवान ने फोन लेकर पिंटू के शहीद होने कि बात बता दी।
शहीद होने कि सूचना क्यों छुपाई जा रही तो पता चला पटना वीवीआईपी मूवमेन्ट पर असर ना पड़े इसका ख्याल रखा जा रहा है ।”
शहादत की राजनीति का सामान सियासत को मिल गया है। अब जो मरेगा वो जानेगा उसका परिवार जानेगा। आपका मीडिया मोदी मोदी करेगा।