मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम, 'चलो, एकत्र हों ' में लेखिका नयनतारा सहगल ने अपने चिर-परिचित और सुलझे हुए अंदाज़ में कई समकालीन मुद्दों पर दिल की बात रखी। उन्होंने सवाल पूछा कि जब हिंदुस्तान में खुलेआम, सड़कों पर लोगों को सिर्फ इसलिए पीट-पीट कर मार डाला जा रहा था क्योंकि वे मुसलमान थे, ऐसे में नसीरुद्दीन शाह ने अपने बच्चों की हिफाज़त की चिंता जताई तो, पूरी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री चुप-चाप क्यों बैठी रही?
नयनतारा सहगल ने पुरानी याद ताजा करते हुए कहा कि उनके बचपन में अंग्रेज़ों ने जब 'अजादी' शब्द को बैन किया था तब भी एक फिल्म के एक गाने में इस शब्द को बार-बार बोला गया था।
मंच पर बैठीं 91 साल की नयनतारा सहगल की ऐसी ही बातों पर लगातार तालियां बजीं। हज़ारों साल से तैयार हुई हिंदुस्तान की साझी सभ्यता को हिन्दू राष्ट्र न बनने देने की भी उन्होंने अपील की।
बता दें कि कुछ ही दिन पहले हिंदुत्ववादी संगठनों के विरोध के चलते मराठी साहित्य सम्मेलन ने नयनतारा सहगल को भेजा हुआ आमंत्रण वापिस ले लिया था। इस घटना के सन्दर्भ में 'चलो, एकत्र हों' नामक इस कार्यक्रम में उनकी यह बातें और भी ज़रूरी हो जाती हैं।
नयनतारा सहगल ने पुरानी याद ताजा करते हुए कहा कि उनके बचपन में अंग्रेज़ों ने जब 'अजादी' शब्द को बैन किया था तब भी एक फिल्म के एक गाने में इस शब्द को बार-बार बोला गया था।
मंच पर बैठीं 91 साल की नयनतारा सहगल की ऐसी ही बातों पर लगातार तालियां बजीं। हज़ारों साल से तैयार हुई हिंदुस्तान की साझी सभ्यता को हिन्दू राष्ट्र न बनने देने की भी उन्होंने अपील की।
बता दें कि कुछ ही दिन पहले हिंदुत्ववादी संगठनों के विरोध के चलते मराठी साहित्य सम्मेलन ने नयनतारा सहगल को भेजा हुआ आमंत्रण वापिस ले लिया था। इस घटना के सन्दर्भ में 'चलो, एकत्र हों' नामक इस कार्यक्रम में उनकी यह बातें और भी ज़रूरी हो जाती हैं।