डिटेंशन कैम्पों में मौतों के खिलाफ 6 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन

Written by sabrang india | Published on: November 2, 2019
NRC की फ़ाइनल सूची प्रकाशित होने से पहले असम के डिटेंशन कैम्पों में 25 लोगों की मौत हो चुकी है। सूची प्रकाशित होने के बाद दुलाल चंद्र पाल और फालू दास की मौत हुई है। ऐसे में भाकपा माले ने डिटेंशन कैंपों को यातना शिविर बताते हुए इन्हें बंद करने की मांग की है। इसके साथ ही भाकपा माले ने डिटेंशन कैंपों को बंद करने, एनआरसी वापस लेने व नागरिकता संशोधन विधेयक वापस लेने की मांग करते हुए 6 नवंबर को देशभर में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। 



बता दें कि डिटेंशन कैंप में मृत्यु को प्राप्त हुए दुलाल चंद्र पाल और फालू दास के परिवार ने उनके शव लेने से इंकार करते हुए कहा है- ''अगर वे बांग्लादेशी थे, तो बांग्लादेश में उनके परिवार को तलाशिये, और शव को बांग्लादेश भेजिए। नहीं, तो मानिये कि वे भारत के नागरिक थे जिनकी हत्या सरकार द्वारा डिटेंशन कैम्प में हुई।''

भाकपा माले ने कहा कि अमित शाह अब देश भर में NRC लागू करवाने पर आमादा हैं, जिसमें हर किसी को कागज़ात के जरिए साबित करना होगा कि 1951 में उनके पूर्वज भारत में वोटर थे। अमित शाह हर राज्य में डिटेंशन कैम्प खुलवा रहे हैं- महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल में ऐसे कैम्प बन रहे हैं।

भाकपा माले ने उदाहरण देते हुए कहा कि गरीब तो बीपीएल की सूची, वोटर लिस्ट, आधार से भी बाहर रह जाते हैं। वे 1951 के उनके पूर्वजों के कागज़ात कहाँ से लाएंगे? अगर न ला पाएं तो उन्हें डिटेंशन कैम्प में डाला जाएगा। 
मोदी - शाह कह रहे हैं कि अगर आप मुसलमान हैं तो आपको देश से निकाल दिया जाएगा, पर अगर आप हिन्दू या गैर मुसलमान हैं, तो हम नागरिकता कानून में संशोधन करके आपको शरणार्थी मान लेंगे। तो देश के नागरिकों पर खतरा है कि उन्हें या तो डिटेंशन कैम्प में मारा जाएगा, या नागरिक के बजाय शरणार्थी बना दिया जाएगा!


गौरतलब है कि असम के दरांग जिला निवासी दुलाल चंद्र पॉल (65) को अक्टूबर 2017 में एक फॉरेन ट्रिब्यूनल ने एकतरफा विदेशी घोषित कर दिया था। इसके बाद उन्हें तेजपुर स्थित हिरासत गृह में भेज दिया गया था। गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।

पॉल के बेटे आशीष ने कहा, 'हम किसी विदेशी का शव कैसे ले सकते हैं। हमारे पिता को ट्रिब्यूनल ने भारतीय प्रमाणित किए जाने के सभी दस्तावेजों के रहते विदेशी घोषित कर दिया था। अगर ट्रिब्यूनल का आदेश सही है तो मरने के बाद वह भारतीय कैसे हो सकते हैं?' उन्होंने कहा कि हमने असम सरकार से अपने पिता को भारतीय घोषित किए जाने का आग्रह किया है। हम उनके शव को तभी लेंगे जब उन्हें भारतीय घोषित कर दिया जाएगा।

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